Saturday, July 27

वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी…कुण्डली से भविष्य जानते हैं, अब तो डकैत भी इसे मानते हैं

कौन सा समय सही, कौन सा है भारी,
छिपछिपा कर पूछें, नेता और अधिकारी

ज्योतिष का अपने देश मे इतना महत्व है और लोगों को ज्योतिषियों पर इतना भरोसा है कि हर काम के लिये ज्योतिष की सलाह लेने लगे हैं। मुहूरत निकलवा के काम करते हैं। ये बात अलग है कि आप किसी से भी इस बारे में बात करो तो वो मानने को तैयार नहीं होगा कि उसे ज्योतिष पर विश्वास है। अपनी डींग हांकेगा।
मानो ज्योतिष का सहारा लेना उसकी कमजोरी का परिचायक है। पर कभी न कभी छिपते-छिपाते वो ज्योतिष के चैहट पर जाता जरूर दिख जाएगा।
फिर चाहे वो नेता हो, अधिकारी हो या आम आदमी हो।

कुण्डली से भविष्य जानते हैं
अब तो डकैत भी इसे मानते हैं

ज्योतिष एक विज्ञान है इस बात को इन लोगों ने गंभीरता से लिया और उसका पालन किया लेकिन अधूरा… । देखिये कैसे… पुणे महाराष्ट्र में कुछ लोगों को डकैती डालनी थी तो उन्होनें इस काम को करने के लये पण्डित का सहारा लिया और डकैती के लिये बकायदा अच्छा मुहुरत निकलवाया। मजेदार बात ये है कि मुहुरत के हिसाब से डकैती डाली और सफल भी हो गये।

उन्हें एक करोड़ मिलने की उम्मीद थी और लगभग उतनी रकम 96 लाख रूप्ये उन्हें डकैती मे मिल गये।
ज्योतिषी का आंकलन सही साबित हुआ मगर आगे की बात बड़ी दुखदायी है। इस बात के लिये डकैतों ने कोई उपाय आदि नहीं किया था। यदि पण्डितजी से सलाह लेकर इसका भी उपाय पहले से कर लेते तो अच्छा होता।

दरअसल डकैत पकड़े गये और पण्डित समेत धर लिये गये। उनके पास से 76 लाख जप्त भी हो गये। कोई बात नहीं….  पूरा पैसा कभी भी जप्त होने का रिवाज हमारे यहां नहीं है। क्योंकि बीच के लोगों का भी पेट लगा है भाई…

किसे बनाएं बाप कांग्रेस भाजपा या आप

चुनावों की घोषणा होते ही अफरा तफरी मच जाएगी। खास तौर पर नेताओं के मन में। जिन्हें चुनाव लड़ना है उनमें भी और जिन्हें समर्थन करना है उनमें भी। और अधिकारियों के मन में भी।

बेईमान अधिकारी इस गुंताड़े में लग जाते हैं कि पता नही ंकिसकी सरकार बनेगी। किसको बाप बनाया जाए। पहले वाला नेता तो शायद इस बार न जीत पाए तो जल्द ही बाप बदला जाए पर किसे बनाया जाए ये असमंजस बना रहेगा।
क्योंकि बेईमान अधिकारियों को तो चरण चुम्बन करने के अलावा कोई रास्ता है ही नहीं। रीढ़ का इस्तेमाल बेईमान नही ंकर सकता।

सभी को है ज्योतिष का सहारा

बहरहाल…. नेता अपने ज्योतिषियों के पास अपनी कुण्डलियां ले-लेकर चक्कर लगा रहे हैं और अधिकारियों की नजर भी उनकी कुण्डलियों पर है कि किसके घर मिठाई का डब्बा लेकर जाना चाहिये। नेता के सामने दो प्रश्न होते हैं। एक टिकट मिलना दूसरी चुनाव जीतना। दोनों के लिये ज्योतिषी चाहियें। मुहुर्त और उपायों की महत्व बढ़ जाता है।

हालांकि सामने वाले की कुण्डली देखकर भी कयास लगाए जा सकते हैं। एक पण्डित ने नेताजी को जीतने की गैरेन्टी दे डाली थी। जब नेताजी हार गये तो बोले हमने केवल आपकी कुण्डली देखी थी न, सामने वाले की नहीं। सामने वाले का राजयोग आपके राजयोग से तगड़ा निकला। इसलिये ऐसा हुआ। अब कोई केस तो बनता नहीं न इस पर।

दिग्विजय सिंह नहीं जीेते तो
आत्महत्या कर लूंगा

2019 का लोकसभा चुनाव याद है न। भोपाल में दिग्विजय सिंह और साध्वी प्रज्ञा आमने-सामने थेे। जंग दिलचस्प थी। एक तरफ कांग्रेसी दिग्गज थे तो दूसरी तरफ हिंदुत्व की पैरोकार साध्वी। ऐसे में स्वामी वैराग्यानंद गिरी महाराज
ने दावा किया कि भारत के संत दिग्विजय सिंह के साथ हैं।

मजे की बात ये है कि स्वमीजी ने पांच क्विंटल मिर्ची से यज्ञ किया था और दावा किया था कि दिग्विजय सिंह जरूर जीतेंगे। नहीं ये मजे की बात नहीं। असल मजे की बात ये कि उन्होंने प्रेस वार्ता लेकर ये दावा कर दिया कि किसी कारण से अगर दिग्विजय नहीं जीते तो स्वामीजी समाधि ले लेंगे। आम बोलचाल में कहा जा सकता है कि दिग्विजय को विजय नहीं मिली तो वे आत्महत्या कर लेंगे।

उससे भी मजे की बात ये कि बाद में कई लोगों ने संतजी को फोन कर-कर के उनकी नाक में दम कर लिया कि कब ले रहे हैं समाधि… । इसका बेहद दिलचस्प आॅडियो भी काफी वायरल हुआ था।

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जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
मोबा. 9522170700
‘बिना छेड़छाड़ के लेख का प्रकाशन किया जा सकता है’
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