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दंगल मूवी देख शुरू की कुश्ती, बिहार केसरी बन जीते 18 मेडल, पिता की मौत से भी नहीं डिगा हौसला
23 वर्षीय राधा आरा की रहने वाली है. भोजपुर के अब तक के इतिहास में राधा पहली महिला पहलवान है, जिसे बिहार केसरी के उपाधि से नवाजा जा चुका है. परिवार की आर्थिक तंगी और पिता के मौत के बाद भी राधा ने हार नहीं मानी और पहलवानों को धूल चटाती रही.
गौरव सिंह/भोजपुर. भोजपुर की बेटी राधा कुमारी ओडिशा के पुरी में आयोजित कॉम्बैट नेशनल चैंपियनशिप में पहलवानी में गोल्ड मेडल जीत ना सिर्फ भोजपुर बल्कि बिहार का मान बढ़ाई है. पहलवानी में बिहार केसरी का खिताब पहले ही राधा जीत चुकी है. 23 वर्षीय राधा आरा की रहने वाली है. भोजपुर के अब तक के इतिहास में राधा पहली महिला पहलवान है, जिसे बिहार केसरी के उपाधि से नवाजा जा चुका है. परिवार की आर्थिक तंगी और पिता के मौत के बाद भी राधा ने हार नहीं मानी और पहलवानों को धूल चटाती रही. वह आरा शहर के श्री टोला मोहल्ले के स्व. योगेंद्र शर्मा की पुत्री है.
नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप में जीता गोल्ड
ओडिशा के पुरी में चार से सात अप्रैल तक हुए प्रथम कॉम्बैट सीनियर और जूनियर-सब जूनियर महिला-पुरुष नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप में भोजपुर की राधा कुमारी ने गोल्ड मेडल जीता है. महिला के 69 किलो वर्ग में खेलते हुए राधा ने पश्चिम बंगाल की खिलाड़ी को धूल चटा ये मुकाम हासिल की है.
बिना मैट के आज भी करती है अभ्यास
राधा ने पहलवानी की शुरुआत साल 2018 में आरा के जैन कॉलेज में शुरू की. उसके बाद जगह के अभाव में इधर से उधर भटकती रही. भोजपुर जिला प्रसाशन और राज्य सरकार की उदासीनता का शिकार राधा बनी. पहलवानी के अभ्यास के लिए जो सबसे जरूरी होता है वो है मैट. बिना मैट के आज भी अभ्यास करती है. राधा महाराज कॉलेज के घास पर अभ्यास करते हुए राधा के साथ आधा दर्जन अन्य लड़कियां भी पहलवानी में अंतराष्ट्रीय मेडल जीतने का सपना दिखाती है.
17 मेडल बिहार को देने के बाद भी आज तक मदद नहीं मिली
लोकल 18 से बात करते हुए राधा ने अपनी समस्या और तंग हाली को बताते हुए बोली कि 2020 में बीमारी की वजह से पिता की मौत हो गई. जिसके बाद घर की आर्थिक स्थिति बेहद ही खराब हो चुकी थी. घर में कोई कमाने वाला नहीं था. उस समय सोचा कि खेल छोड़ शादी-विवाह कर लूं, लेकिन मेरे गुरु जुगेश्वर सर ने मेरा हौसला बढ़ाए रखा और वो मेरे खेल के खर्च को उठाने लगे.
अभी भी मेरे सारे पैसे देते है. लेकिन 17 मेडल बिहार को देने के बाद भी आजतक राज्य सरकार से कोई मदद नहीं मिली. इस बार फिर से एक राष्ट्रीय मेडल हम बिहार के झोली में डाल दिये है, लेकिन हमें अभ्यास करने की भी जगह नहीं दी जाती. खेल भवन में अभ्यास के लिए मैट मंगाया गया है लेकिन वहां के अधिकारी हमे उसपर अभ्यास करने की इजाजत नहीं देते हैं.
दंगल मूवी को देखकर के वह कुश्ती के लिए प्रेरित हुई
राधा कुमारी ने बताया कि कुछ साल पहले आई दंगल मूवी को देखकर के वह कुश्ती के लिए प्रेरित हुई थी. उसके बाद वह मैदान में उतर गई और लगातार अभ्यास करते हुए अब तक बिहार को 18 राष्ट्रीय मेडल दे चुकी है. एक बार बिहार केसरी की उपाधि उसे मिल चुकी है.
राधा ने बताया कि दंगल फिल्म से प्रेरित होकर ही वह पहलवान बनने का सपना देख रही है.आने वाले समय में एशिया गेम के लिए राधा का चयन हुआ है.अब वह नेपाल या अन्य किसी देश में आयोजित होने वाले इस चैंपियनशिप में हिस्सा लेगी और बिहार का फिर से एक बार मन बढ़ाएगी.