नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय शुक्रवार को उस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया जिसमें छत्तीसगढ़ में आरआरवीयूएनएल को कोयला ब्लॉक आवंटन और अडाणी एंटरप्राइज लिमिटेड (एईएल) के खनन कार्य को निरस्त करने की मांग की गई है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) और एईएल ने
इस परियोजना के लिए पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से दी गई पर्यावरण मंजूरी का उल्लंघन किया है. मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने वकील प्रशांत भूषण की इस दलील का संज्ञान लिया कि शीर्ष अदालत ने अप्रैल 2019 में एक जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया था लेकिन उसके बाद इसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया है.
भूषण ने कहा, ‘‘यह याचिका छत्तीसगढ़ में एक कोयला ब्लॉक के बारे में है जिसके लिए 2019 में नोटिस जारी किया गया था. सुनवाई की आखिरी तारीख जनवरी 2020 थी. उसके बाद से इसे सूचीबद्ध नहीं किया गया है. हमने उस कोयला ब्लॉक की वैधता को चुनौती दी है.’’ उन्होंने कहा कि इसी कोयला ब्लॉक से जुड़ा एक और मामला है जिसमें राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी थी और इसे न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था. पीठ ने इस मामले को सुनवाई के लिए 14 जुलाई को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया था.
भूषण ने कहा, ‘‘दोनों मामलों को एक साथ सूचीबद्ध किया जाए.’’ उन्होंने कहा कि सुनवाई के लिए एक निश्चित तारीख दी जा सकती है.
इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह (मामला) आ जाएगा. कुछ वरिष्ठ न्यायाधीशों के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे हैं. यह आएगा.’’ शीर्ष अदालत ने अप्रैल 2019 में छत्तीसगढ़ के रहने वाले एक पर्यावरण कार्यकर्ता दिनेश कुमार सोनी द्वारा दायर जनहित याचिका पर केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया था. जनहित याचिका में कोयला ब्लॉक आवंटन को लेकर सीबीआई जांच कराने की मांग की गई है.