Sunday, September 8

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पब्लिक के डबल मज़े, डेमोक्रेसी भी, तानाशाही भी! (व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)
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पब्लिक के डबल मज़े, डेमोक्रेसी भी, तानाशाही भी! (व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)

अब तो मोदी जी के विरोधियों को भी झख मारकर मानना ही पड़ेगा; मोदी जी अपने भारत को वाकई डेमोक्रेसी की मम्मी बना दिए हैं। अब तो वी-डेम इंस्टीट्यूट वालों ने भी इसकी तस्दीक कर दी है। जी हां, स्वीडन के वी-डेम इंस्टीट्यूट वालों ने। उसी वी-डेम इंस्टीट्यूट वालों ने, जो दुनिया भर में डैमोक्रेसी की ही नाप-जोख करते फिरते हैं और सूत-सूत नाप कर बताते रहते हैं कि किस की डैमोक्रेसी की गाड़ी, किस से पीछे रह गयी, किस से आगे निकली और कहां तक पहुंच गयी। और यह भी कि किसकी डैमोक्रेसी में कितनी डैमोक्रेसी बची और कितनी तानाशाही घुस आयी, वगैरह। याद रहे कि यह नाप-जोख भी गुजरे वक्त का नहीं है, आज का है, एकदम रीयल टाइम। यानी मोदी जी ने अपने भारत को पुराने जमाने के लिए तो डेमोक्रेसी की मम्मी बनवाया था और सारी दुनिया से मनवाया था, सो तो सब जानते हैं। पर दर्ज करने वाली बात यह है कि एकदम आज भी, रीयल टाइम में सारी दुनिय...