Saturday, September 7

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सांप्रदायिकता और तानाशाही का जहरीला कॉकटेल है भागवत का साक्षात्कार (आलेख : बृंदा करात)
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सांप्रदायिकता और तानाशाही का जहरीला कॉकटेल है भागवत का साक्षात्कार (आलेख : बृंदा करात)

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आरएसएस प्रकाशन के 'ऑर्गनाइज़र' और 'पाञ्चजन्य' (15 जनवरी) के संपादकों को दिए एक साक्षात्कार में कई सवालों का जवाब दिया है। भागवत की टिप्पणियों को हिंदू राष्ट्र के निर्माण के लिए हेगड़ेवार और गोलवलकर जैसे आरएसएस संस्थापकों के लेखन के वर्ष 2023 में नवीकरण (अद्यतन) के रूप में लिया जाना चाहिए। वह कहते हैं, “हिंदुस्तान एक हिंदू राष्ट्र है। यह समृद्ध और शक्तिशाली हिंदू समाज - हिंदू राष्ट्र -8 भारत - अपने गौरव के शिखर पर पहुंचेगा और विश्व को नेतृत्व प्रदान करेगा।" जब भारत एक ब्रिटिश उपनिवेश था, तब आरएसएस ने अपनी परियोजना की शुरुआत की थी। आज स्वतंत्र भारत का अपना संविधान है। आरएसएस प्रमुख के अपमानजनक बयान इस बात की पुष्टि करते हैं कि आरएसएस ने कभी भी संविधान को स्वीकार नहीं किया है। वह यह भी कहते हैं कि आज आरएसएस के पास "प्रचुर संसाधन और साधन" हैं। यह पूछना वैध है कि ये ...