Saturday, September 7

Tag: Deepening crisis of democracy and dangerous steps of Sangh-BJP (Article: Javrimall Parakh)

लोकतंत्र का गहराता संकट और संघ-भाजपा की ख़तरनाक पदचापें (आलेख : जवरीमल्ल पारख)
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लोकतंत्र का गहराता संकट और संघ-भाजपा की ख़तरनाक पदचापें (आलेख : जवरीमल्ल पारख)

इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि यह दौर आज़ादी के बाद का सबसे संकटपूर्ण और चुनौती भरा दौर है। न केवल आर्थिक क्षेत्र गहरे संकट में हैं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र भी गहरे संकट में हैं। धर्म के नाम पर जिस तरह एक पूरे वर्ग को देश के दुश्मन की तरह पेश किया जा रहा है और उन्हें संविधान में मिले नागरिक अधिकारों से वंचित कर दोयम दर्जे के नागरिक में तब्दील किया जा रहा है, वह इस राजसत्ता के फ़ासीवादी चरित्र का ही प्रमाण है। भारत का यह फ़ासीवाद अपने चरित्र में अतिदक्षिणपंथी भी है और ब्राह्मणवादी भी। मौजूदा राजसत्ता के चरित्र को समझने के लिए आरएसएस की विचारधारा को समझना ज़रूरी है। वे अपनी राजनीतिक विचारधारा को ‘हिंदुत्व’ नाम देते हैं। यह विचारधारा उन्होंने विनायक दामोदर सावरकर से ग्रहण की थी, जिन्होंने 1923 में हिंदुत्व नामक पुस्तक लिखी थी। आरएसएस ने अपने इन राजनीतिक उद्देश्यों को कभी छुपाया...