Saturday, September 7

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ISRO: साइकिल पर रॉकेट ले जाने से लेकर चंद्रयान-3 तक, ऐसा रहा है हमारा अंतरिक्ष फतह का सफर
खास खबर, छत्तीसगढ़ प्रदेश, रायपुर

ISRO: साइकिल पर रॉकेट ले जाने से लेकर चंद्रयान-3 तक, ऐसा रहा है हमारा अंतरिक्ष फतह का सफर

History Of ISRO: एक समय था, जब भारत में रॉकेट के पुर्जों को साईकिल पर ले जाया जाता था। आज वही भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक से बढ़कर एक कीर्तिमान रच रहा है। आइए पढ़ते हैं इस संघर्षों से भरे प्रेरणादायक और खूबसूरत सफर के बारे में। Chandrayaan-3: साल 1947 में जब देश आजाद हुआ, तब देश की स्थिति बेहद खराब थी। ऐसे में अंतरिक्ष में जाने की कल्पना करना भी बहुत दूर की बात थी, लेकिन हमने सभी चुनौतियों का डटकर सामना किया और दुनियाभर में अपना लोहा मनवाया। अपने बुलंद हौसलों में जिस देश के वैज्ञानिकों ने साइकिल और बैलगाड़ियों पर रॉकेट को ढोया, आज उसके चंद्रयान-3 मिशन पर दुनियाभर की नजर है। आइए इस ऐतिहासिक अवसर पर जानते हैं कि भारत का अंतरिक्ष का सफर कैसा रहा।  कब हुई थी इसरो की स्थापना? साल 1962 में भारत ने अंतरिक्ष का सफर करने का फैसला किया और देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल...