Saturday, September 7

Tag: Senior journalist Chandrashekhar Sharma’s words are frank

वरिष्ठ पत्रकार चंद्रशेखर शर्मा की बात बेबाक….
कवर्धा, खास खबर, छत्तीसगढ़ प्रदेश, लेख-आलेख

वरिष्ठ पत्रकार चंद्रशेखर शर्मा की बात बेबाक….

*गोबरहिंन टुरी - कैसे रे लपरहा भारी ईमानदारी के ढोंग करत रेहेस 9 घण्टा कुछु नई करन देव अउ आज 15 मिनट में सब होंगे आज के सर्वसम्मति अउ ईमानदारी ल नई समझेव नई रे रोगहा ।* *लपरहा टुरा - तै नई जानस रे गोबरहिंन नकटा बन के पैसा कमाय जाथे देख 15 मिनट में 35 हजार पा गेन न बाई बर 4 ग्राम के नथनी आ जाहि अउ का । भागते भूत के लंगोटी सही गोबरहिंन । #जय_हो (डिसक्लेमर - इस व्यंग वार्तालाप का नगरपालिका से कोई सम्बन्ध नही है कृपया इसे नगरपालिका से जोड़ कर न देखे)*...
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खास खबर, छत्तीसगढ़ प्रदेश, लेख-आलेख

वरिष्ठ पत्रकार चंद्रशेखर शर्मा की बात बेबाक….

राहुल और अनुराग ठाकुर की बहस , राहुल के सर पर सवार जातिगत जनगणना का भूत और मुलायम पुत्र का डायलाग आप किसी की जाति नही पूछ सकते । इन दिनों शोसल मीडिया में छाया हुआ है । संसद में चल रहे इस घमासान के मजे इन दिनों जनता ले रही है । संसद में जो हालात बने है सांसदों के व्यवहार उनकी अनुशासन हीनता को देख प्राइमरी स्कूल के बच्चे ज्यादा अनुशासित दिखते है । वैसे हमारा संविधान कहता है कि जाति,धर्म और क्षेत्र के आधार पर किसी से कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा । जबकि हकीकत में भेदभाव इन्हीं तीन आधार पर किया जाता है । जन्म से ही हमारी जाति निर्धारित हो जाती है । स्कुल कॉलेज में एडमिशन लेना हो या नौकरी का फार्म भरना हो जाति और धर्म का कालम पहले भरो । बच्चों को स्कूल कालेज में जाति धर्म के नाम पर बंटती छात्रवृत्ति में भेदभाव होता दिखाता है । बच्चे जब छोटे थे अक्सर पूछते थे पापा , ताऊजी , चाचाजी हमारा जाति प...
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कवर्धा, खास खबर, छत्तीसगढ़ प्रदेश, दुर्ग, लेख-आलेख

वरिष्ठ पत्रकार चंद्रशेखर शर्मा की बात बेबाक

अक्सर टीवी पर आने वाला ब्रुक बाण्ड ताज़ा चाय के विज्ञापन की पंच लाइन "जानती हो हम कौन है जानती हो क्या ? जल्दी करो " के डायलॉग पर रिसेप्शनिस्ट चाय की चुस्की ले अनाउंस करती है कि "यात्री कृपया ध्यान दे कि ये महाशय नही जानते कि ये कौन है ? अगर आप इनकी ये जानने में मदद कर सकते है तो बड़ी मेहरबानी होगी " कह कर यात्री शर्मिंदा कर देती है , ठीक वैसे ही हालात जिले में चल रहे IPS के रुतबा ए रुआब को देख कर लगने लगा है बात बात पर " मैं IPS हूँ , मेरी नौकरी अभी 30 साल बाकी है , मैं IG , DGP बन जाऊंगा , मुझे क्या समझते हो देख लूँगा " का डायलाग शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है । वैसे भी जो IPS है वो एक न एक दिन IG , DIG भी बनेगा ये तो सरकारी प्रक्रिया है ।अब इसमें घमंड किस बात का समझ से परे है । जिस IPS के कांधे पर कानून व्यवस्था और शान्ति बनाये रखने की महती जिम्मेदारी हो जब वही बात बात पर अपने IPS होने ...
वरिष्ठ पत्रकार चंद्रशेखर शर्मा की बात बेबाक
खास खबर, छत्तीसगढ़ प्रदेश, रायपुर, लेख-आलेख

वरिष्ठ पत्रकार चंद्रशेखर शर्मा की बात बेबाक

" लाउडस्पीकर की आवाज सुनकर कभी अमीरों ने जमघट नही लगाया , गरीब ही हमेशा खींचे चले आते है । ये सोच के कि आज उनके मतलब की बात होगी , लेकिन वो बोल कर चुप हो गए और हम चिल्लाकर रह गए ।" वन्स अपॉन अ टाइम मुंबई - फिल्म का यह डायलाग पार्टियों और नेताओं की सत्ता की प्यास जनता को मुफ्तखोर बनाने वाले वादो और गारंटी की घोषणा को लेकर याद आ गया । आज कल पार्टियां अपने काम व विकास को भूल नगद बांटने की योजना के दावे वादे कर रहे । भाजपा महतारी वंदन की 1000 की गारंटी से सत्ता में पहुंच गई किन्तु लोकसभा चुनाव में कांग्रेस महालक्ष्मी न्याय योजना के बहाने 8333 रुपये महिलाओं को देने के दावे वादे कर रही । आज राजनीति मुफ्त में बांटने वाली योजनाओं के भरोसे रह गई है नेताओ की छवि की चर्चा तक नही होती घपले घोटालों को छोड़ कर । अपने नेता की छवि पर वोट मांगने की जगह फोकट में बांटने वाली व कर्जमाफी के वादे पर मांगने लगे ह...
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वरिष्ठ पत्रकार चंद्रशेखर शर्मा की बात बेबाक

भोरमदेव महोत्सव के 30 बरस के सफ़र में समय के साथ साथ आदिवासियों के पारंपरिक मेले का सरकारी करण होने से छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति ,लोक नृत्य , शास्त्रीय संगीत के साथ साथ मुम्बईया ठुमके भी लगने लगे । आदिवासियो का पारंपरिक मेला आज भोरमेदेव महोत्सव के रूप में भले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है । परंतु रंगबिरंगी लाईटो , डीजे आर्केस्ट्रा की धुन और मुम्बईया ठुमके के बीच आधुनिकता की दौड़ व विकास की चकाचौंध के आगे टिमटिमा रही आदिवासी संस्कृति व सभ्यता अपनी पहचान खोती जा रही है । खानापूर्ति बन चुके भोरमदेव महोत्सव कुछ वर्षो से प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के मनमानी के चलते मूलरूप रंग और ढाल के विपरीत आधुनिक तौर तरीको से आयोजित करने की परम्परा शुरू हुई । महोत्सव पर हावी अफसर शाही के चलते तीन दिन होने वाला महोत्सव दो दिन कर दिया गया । महोत्सव हर साल किसी ना किसी कारण से चर्चा मे रहता ही है ...
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वरिष्ठ पत्रकार चंद्रशेखर शर्मा की बात बेबाक

मन से बड़ा कोई धाम न मिलेगावि भीषण अगर बन भी गए, तो अब राम ना मिलेगा । देश की विडम्बना है कि कुर्सी की चाहत में अपने भी बेगाने हो जाते है जो मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ के साथ हुए अन्य राज्यो के विधानसभा चुनाव परिणामो में दिखा था जिसका असर लोकसभा के चुनाव में भी दिखने लगा है । पार्टी की नैया डूबती देख मतलब परस्त पार्टी से किनारा कर नए आशियाने की तलाश में है । सत्ता व सरकार गंवाने के साथ साथ ईडी का शिकंजा शराब , कोयला घोटाले को लेकर साल 23 - 24 छत्तीसगढ में कांग्रेस के लिए हताशा भरा रहना है 15 साल सत्ता की मलाई खा 5 साल वनवास भोगने वाली भाजपा का वनवास 2024 आते आते खत्म हुआ । वैसे वर्ष 2024 चुनावी वर्ष रहने वाला है इस दौरान लोकसभा नगरीय निकाय और उसके बाद पंचायती राज के चुनावों का दौर रहेगा । छत्तीसगढ़ में सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस सन्नपात की स्थिति में है हालात ये है कि कार्यकर्ताओ की नाराज...
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वरिष्ठ पत्रकार चंद्रशेखर शर्मा की बात बेबाक

2024 का महाभारत चालू हो चुका है मैं भी चौकीदार से चालू हुई भाजपा के मोदी काल की राजनीति 2024 आते आते मैं भी मोदी का परिवार तक पहुंच गई दूसरी ओर कांग्रेस की राजनीति राहुल बाबा के जनेऊ धोती गोत्र मोहब्बत की दुकान से होते हुए न्याय यात्रा में उलझी पड़ी है । राम मंदिर बनने के बाद अबकी बार 400 पार वाला नमो मंत्र इंडी गठबंधन पर भारी पड़ रहा है । लोक सभा चुनाव में राजनाँदगाँव क्षेत्र से भूपेश के मैदान में कूदने से राजनाँदगाँव लोकसभा क्षेत्र कुरुक्षेत्र बन गया है जहां चुनाव जीतने शाम दाम दंड भेद छल प्रपंच सब आजमाए जाएंगे । सत्ता के सिंहासन पर बने रहने संतोष पांडेय अपना सारा दमखम लगा साख बचाने जिले के आला नेताओ में वर्चस्व के शीतयुद्ध के बावजूद जुटे हुए है तो भूपेश कार्यकर्ताओ की नाराजगी और पार्टी के विभीषणों से जूझ रहे है । मोदी मोदी और राहुल राहुल के नारों वाली राजनीति के बावजूद ऐसा पहली बार हो रह...
वरिष्ठ पत्रकार चंद्रशेखर शर्मा की बात बेबाक
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वरिष्ठ पत्रकार चंद्रशेखर शर्मा की बात बेबाक

बचपन मे एक कहावत सुनी थी " झूठ बोले कौवा काटे " हमारे बाप दादा इस कहावत के जरिये हमे डरा धमकाकर सच बोलने की नसीहतें देते नही थकते थे । झूठ बोलते पकड़े जाने पर जमकर ठुकाई भी होती थी । जैसे जैसे कौवो की प्रजाति विलुप्त होती जा रही वैसे वैसे झूठ बोलने से कौवे के काटने का डर खत्म होते जा रहा आम आदमी तो आम आदमी नेता तक झूठ बोलने के आदी और किये वादों को भूलने लगा है । छत्तीसगढ़ की राजनीति भी इन दिनों मतिभ्रम , वादाखिलाफी , भूलने भुलाने की बातों के इर्दगिर्द घूम रही है । कांग्रेसी मोदी की गारंटी के नाम पर वादाखिलाफी व किसानों से धोखा को ले भाजपाइयों को घेरने भिड़े है तो भाजपाई कका राज के गोबर घोटाले से लेकर शराब , कोयला घोटाले के नाम पर लट्ठ ले पीले पड़े है । लकड़ी की कुर्सी जिस पर बैठ कर फीलगुड महसूस होता है राजनीति का केंद्र बिंदु है जिस पर बैठने की चाहत आदमी को नेता और नेता को लबरा बना देती है । ...