Friday, March 29

अरुणाचल प्रदेश में ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे ‘डोनी पोलो’ और अन्य विकास परियोजनाओं के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

नई दिल्ली (IMNB).

जय हिंद।

जय हिंद।

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल श्री बीडी मिश्रा जी, यहां के लोकप्रिय युवा मुख्यमंत्री श्री पेमा खांडू जी, कैबिनेट में मेरे साथी किरण रिजिजू जी, उपमुख्यमंत्री श्रीमान चौना मीन जी, सम्मानित सांसदगण, विधायकगण, मेयर, अन्य सभी महानुभाव और अरुणाचल प्रदेश के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों !

अरुणाचल आना मेरा बहुत बार हुआ है। जब भी आता हूं एक नई ऊर्जा, नया उमंग, नया उत्‍साह ले करके जाता हूं। लेकिन मुझे कहना होगा कि मैं इतनी बार अरुणाचल आया, शायद गिनती करूंगा भी तो भी कुछ गलती हो जाएगी, इतनी बार आया हूं। लेकिन इतना बड़ा कार्यक्रम पहली बार देखा और वो भी सुबह 9.30 बजे। अरुणाचल में पहाड़ों से लोगों का आना, इसका मतलब ये हुआ कि विकास के कामों का आप के जीवन में कितना महत्‍व है, ये दर्शाता है और इसीलिए आप इतनी बड़ी तादाद में आशीर्वाद देने के लिए आए हैं।

भाइयों-बहनों

अरुणाचल के लोगों को, अरुणाचल के लोगों की आत्मीयता, कभी भी अरुणाचल के लोगों को देखो, वो हंसते ही हैं, चेहरा मुस्‍कराता रहता है। कभी उदासीनता, निराशा अरुणाचल के लोगों के चेहरे पर झलकती नहीं है। और अनुशासन, मुझे लगता है कि सीमा पर अनुशासन क्‍या होता है, ये मेरे अरुणाचल के हर घर में, हर परिवार में, हर व्‍यक्ति के जीवन में नजर आता है।

हमारे मुख्‍यमंत्री पेमा जी के नेतृत्‍व में ये डबल इंजन की सरकार की मेहनत, विकास के लिए प्रतिबद्धता, वो आज अरुणाचल को इस नई ऊंचाई पर पहुंचा रही है। मैं पेमा जी और उनकी पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

आपको याद होगा, और अभी पेमा जी ने उल्‍लेख भी किया कि फरवरी 2019 में इस एयरपोर्ट का शिलान्यास हुआ था और ये सौभाग्‍य मुझे मिला था। और आप तो जानते हैं, हम एक ऐसा वर्क कल्‍चर लाए हैं, जिसका शिलान्‍यास हम करते हैं, उद्घाटन भी हम ही करते हैं। अटकाना, लटकाना, भटकाना, वो समय चला गया। लेकिन मैं बात और करना चाहता हूं, 2019 फरवरी में मैंने इसका शिलान्‍यास किया था। अब 2019 मई में चुनाव आने वाले थे। ये जितने पॉलिटिकल कमेंटेटर्स होते हैं, जिनकी आंखों पर पुराने जमाने के चश्‍मे टंगे हुए हैं, इन लोगों ने चिल्‍लाना शुरू कर दिया, लिखना शुरू कर दिया, बोलना शुरू कर दिया, एयरपोर्ट-वेयरपोर्ट कुछ बनने वाला नहीं है, ये तो चुनाव हैं ना इसलिए मोदी यहां पत्‍थर खड़ा करने आ गया है। और यहां हो रहा है नहीं, हर चीज में, हर चीज में उनको चुनाव नजर आता है। हर चीज के अंदर, किसी भी अच्‍छे काम को चुनाव के रंग से रंग देने का फैशन हो गया है।

इन सब लोगों को आज इस एयरपोर्ट का उद्घाटन ये करारा जवाब है, उनके मुंह पर तमाचा है। और मेरा इन पॉलिटिकल कमेंटेटर्स से आग्रह है, करबद्ध प्रार्थना है कि भई अब पुराने चश्मे उतार दीजिए, ये देश नए उमंग और उत्‍साह के साथ चल पड़ा है, राजनीति के तराजू से तौलना बंद कीजिए। जो कमेंटेटर्स इसको चुनावी घोषणा कहते थे, आज तीन साल के भीतर ही वो इस आधुनिक भव्य स्वरूप से आकार लिए हुए हमारे एयरपोर्ट को देख रहे हैं। और ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे आपकी हाजिरी में, लाखों लोगों के साक्ष्य में पूरा अरुणाचल आज ऑनलाइन जुड़ा हुआ है, पूरा अरुणाचल जुड़ा हुआ है। ये भी एक बड़े गर्व की बात है।

आज न अभी यहां कोई चुनाव है, न कोई चुनाव आने वाला है। उसके बावजूद भी हो रहा है, क्‍योंकि आज देश में जो सरकार है, उसकी प्राथमिकता देश का विकास है, देश के लोगों का विकास है। साल में 365 दिन, चौबीसों घंटे, हम देश के विकास के लिए ही काम करते हैं। और आप देखिए, अभी मैं जहां सूरज उगता है, उस अरुणाचल में हूं और शाम को जहां सूरज डूबता है, वो दमन में मैं जा करके लैंड करूंगा जी और बीच में काशी जाऊंगा। ये मेहनत एक ही सपने को ले करके चल रही है, जी-जान से जुटे हैं- मेरा देश आगे बढ़े। हम न चुनावों के फायदे-नुकसान सामने रख करके काम करते हैं न चुनाव के लाभ पाने के लिए छोटे-छोटे इरादों से काम करने वाले लोग हैं। हमारा तो सपना सिर्फ और सिर्फ मां भारती है, हिन्‍दुस्‍तान है, 130 करोड़ नागरिक हैं।

आज इस एयरपोर्ट के साथ ही 600 मेगावाट के कामेंग हाइड्रो प्रोजेक्ट का भी लोकार्पण हुआ है। ये भी अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। विकास की उड़ान और विकास के लिए ऊर्जा का ये गठबंधन अरुणाचल को एक नई गति से नई ऊंचाईं पर लेकर जाएगा। मैं इस उपलब्धि के लिए अरुणाचल के मेरे प्‍यारे भाइयों-बहनों को, सभी उत्‍तर पूर्व के राज्‍य के भाइयों-बहनों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

आजादी के बाद नॉर्थ ईस्ट बिल्कुल अलग तरह के दौर का गवाह रहा है। दशकों तक ये क्षेत्र उपेक्षा और उदासीनता का शिकार रहा है। तब दिल्ली में बैठकर पॉलिसी बनाने वालों को सिर्फ इतने भर से मतलब था कि किसी तरह यहां चुनाव जीत जाएं। आप जानते हैं ये स्थिति कई दशकों तक बनी रही। जब अटल जी की सरकार बनी, उसके बाद पहली बार इसे बदलने का प्रयास किया गया। वो पहली सरकार थी, जिसने नॉर्थ ईस्ट के विकास के लिए अलग मंत्रालय बनाया।

लेकिन उनके बाद आई सरकार ने उस momentum को आगे नहीं बढ़ाया। इसके बाद बदलाव का नया दौर 2014 के बाद शुरू हुआ, जब आपने मुझे सेवा करने का अवसर दिया। पहले की सरकारें सोचती थीं कि अरुणाचल प्रदेश इतना दूर है, नॉर्थ इतना दूर है। दूर-सुदूर सीमा पर बसे लोगों को पहले आखिरी गांव माना जाता था। लेकिन हमारी सरकार ने उन्हें आखिरी गांव नहीं, आखिरी छोर नहीं, बल्कि देश का प्रथम गांव मानने का काम किया है। नतीजा ये कि नॉर्थईस्ट का विकास देश की प्राथमिकता बन गया।

अब कल्चर हो या एग्रीकल्चर, कॉमर्स हो या कनेक्टिविटी–पूर्वोत्तर को आखिरी नहीं बल्कि सर्वोच्च प्राथमिकता मिलती है। बात ट्रेड की हो या टूरिज्म की हो, टेलीकॉम की हो या टेक्सटाइल्स की हो-पूर्वोत्तर को आखिरी नहीं बल्कि सर्वोच्च प्राथमिकता मिलती है। ड्रोन टेक्नोलॉजी से लेकर कृषि उड़ान तक, एयरपोर्ट से लेकर पोर्ट से कनेक्टिविटी तक–पूर्वोत्तर अब देश की प्राथमिकता है।

भारत का सबसे लंबा ब्रिज हो या सबसे लंबा रेलरोड ब्रिज हो, रेल लाइन बिछानी हो या रिकॉर्ड तेजी से हाईवे बनाना हो–देश के लिए पूर्वोत्तर सबसे पहले है। इसी का परिणाम है कि आज नॉर्थ-ईस्ट में अपेक्षा और अवसरों का नया दौर शुरू हो चुका है, नया युग शुरू हो चुका है।

आज का ये आयोजन, नए भारत की इस अप्रोच का बहुत शानदार उदाहरण है। डोनी-पोलो एयरपोर्ट, अरुणाचल का चौथा ऑपरेशनल एयरपोर्ट है। आजादी के बाद से सात दशकों में पूरे नॉर्थ ईस्ट में केवल 9 एयरपोर्ट थे। जबकि हमारी सरकार ने सिर्फ आठ वर्षों में सात नए एयरपोर्ट बना दिए हैं। यहां कितने ही ऐसे क्षेत्र हैं, जो आजादी के 75 वर्ष बाद अब एयर कनेक्टिविटी से जुड़े हैं। इस वजह से अब नॉर्थ ईस्ट आने-जाने वाली उड़ानों की संख्या भी दोगुनी से ज्यादा हो चुकी है।

साथियों,

ईटानगर का ये डोनी-पोलो एयरपोर्ट, अरुणाचल प्रदेश के अतीत और संस्कृति का भी गवाह बन रहा है। और मुझे बताया गया, पेमा जी बता रहे थे कि डोनी यानि सूर्य और पोलो, चंद्रमा को कहते हैं। और मैं अरुणाचल की डोनी-पोलो संस्कृति में भी विकास के लिए एक सबक देखता हूँ। प्रकाश एक ही है पर सूरज की रोशनी और चंद्रमा का प्रकाश शीतलता, दोनों की ही तो अपनी-अपनी एक अहमियत है, अपना-अपना सामर्थ्‍य है। ठीक इसी प्रकार, जब हम विकास की बात करते हैं, तो बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स हों, या गरीब तक पहुंचने वाली जन-कल्याण की योजनाएं, दोनों ही विकास के जरूरी आयाम हैं।

आज जितनी अहमियत एयरपोर्ट जैसे बड़े इनफ्रास्ट्रक्चर की है, उतनी ही अहमियत गरीब की सेवा को, उसके सपनों को भी दी जाती है। आज अगर एयरपोर्ट बनता है, तो उसका लाभ सामान्य मानवी को कैसे मिले, इसके लिए उड़ान योजना पर भी काम होता है। फ्लाइट सेवा शुरू होने के बाद, पर्यटकों की संख्या कैसे बढ़े, कैसे उसका लाभ छोटे व्यापारियों को, दुकानदारों को, टैक्सी ड्राईवर्स को मिले, इसके लिए हम काम करते हैं।

साथियों,

अरुणाचल प्रदेश में आज दुर्गम से दुर्गम ऊंचाई पर, बार्डर एरियाज़ में सड़कें और हाइवे बन रहे हैं। केंद्र सरकार सड़कों के निर्माण के लिए करीब-करीब 50 हजार करोड़ रुपए और खर्च करने के लिए जा रही है। जब इतना इनफ्रास्ट्रक्चर होगा, तो बड़ी संख्या में पर्यटक भी आएंगे। अरुणाचल के कोने-कोने में प्रकृति ने इतनी खूबसूरती दी है। हर गाँव में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। होम स्टे और लोकल उत्पादों के जरिए हर परिवार की आय बढ़ सकती है। उसके लिए जरूरी है कि गांव-गांव तक पहुँचने की व्यवस्था भी हो। इसीलिए, आज अरुणाचल के 85 प्रतिशत से ज्यादा गांवों तक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क बनाई जा चुकी हैं।

साथियों,

एयरपोर्ट और बेहतर इनफ्रास्ट्रक्चर बनने के बाद अरुणाचल में कार्गो सुविधाओं की बड़ी संभावना बन रही है। इससे यहां के किसान अपनी पैदावार अरुणाचल के बाहर बड़े बाज़ारों में आसानी से बेच सकेंगे, उन्हें आज की तुलना में कई गुना ज्यादा पैसे मिलेंगे। अरुणाचल के किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि का भी बड़ा लाभ मिल रहा है।

साथियों,

पूर्वोत्तर को लेकर हमारी सरकार कैसे काम कर रही है, उसका एक उदाहरण, बांस की खेती भी है। बैम्बू यहां की जीवनशैली का एक अहम हिस्सा है। आज बैम्बू प्रॉडक्ट्स पूरे देश और दुनिया में पॉपुलर हो रहे हैं। लेकिन अंग्रेजों के जमाने से, उस समय से बैम्बू काटने पर ऐसे कानूनी बंधन लगाए हुए थे कि हमारे आदिवासी भाई-बहनों को, हमारे उत्‍तर-पूर्वी इलाके के लोगों को जीवन में वो रुकावट बन गया था। इसलिए हमने उस कानून को बदला, और अब बैम्‍बू आप उगा सकते हैं, बैम्‍बू काट सकते हैं, बैम्‍बू बेच सकते हैं, बैम्‍बू का वैल्‍यू एडीशन करते हैं, और खुले बाजार में जा करके आप व्‍यापार कर सकते हैं। जैसे फसल उगाते हैं, वैसे बैम्‍बू भी उगा सकते हैं।

भाइयों और बहनों,

गरीब जैसे ही जीवन की बुनियादी चिंताओं से आज़ाद होता है, वो अपने साथ-  साथ देश के विकास के भी नए आयाम गढ़ने लगता है। इसीलिए, आज गरीब से गरीब व्यक्ति उपेक्षा और बदहाली से बाहर आए, उसे गरिमापूर्ण जीवन मिले, ये देश की प्राथमिकता है। पहले कहा जाता था कि पहाड़ों पर शिक्षा और इलाज हमेशा एक संकट रहता है। लेकिन अब अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ आयुष्मान भारत योजना के जरिए 5 लाख रुपए के मुफ्त इलाज की व्यवस्था भी की गई है। हर गरीब को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का घर दिया जा रहा है। विशेष रूप से आदिवासी इलाकों में केंद्र सरकार 500 करोड़ रुपए खर्च करके एकलव्य मॉडल स्कूल खोल रही है, ताकि कोई भी आदिवासी बच्चा पढ़ाई में पीछे न रह जाए।

जो युवा किन्हीं कारणों से हिंसा के रास्ते पर चले गए हैं, उन्हें एक अलग नीति के जरिए मुख्यधारा में लाने का प्रयास हो रहा है। उनके लिए अलग से फंड बनाया गया है। स्टार्टअप इंडिया की ताकत से जुड़ने के लिए अरुणाचल स्टार्टअप पॉलिसी के जरिए अरुणाचल प्रदेश भी कदम से कदम मिला रहा है। यानी, विकास की जो हमारी अमर धारा है, ऊपर से शुरू होती है, वो आज गांव-गरीब, युवाओं-महिलाओं तक पहुंचकर उनकी ताकत बन रही है।

साथियों,

देश ने 2014 के बाद हर गाँव तक बिजली पहुंचाने का अभियान शुरू किया था। इस अभियान का बहुत बड़ा लाभ अरुणाचल प्रदेश के गांवों को भी हुआ है। यहां ऐसे अनेकों गांव थे, जहां आजादी के बाद पहली बार बिजली पहुंची थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने सौभाग्य योजना बनाकर हर घर को बिजली कनेक्शन से जोड़ने का अभियान चलाया था। यहां अरुणाचल में भी हजारों घरों को मुफ्त बिजली कनेक्शन से जोड़ा गया। और जब यहां के घरों में बिजली पहुंची तो घरों में केवल उजाला ही नहीं फैला, बल्कि यहां के लोगों के जीवन में भी उजाला आया है।

भाइयों और बहनों,

अरुणाचल प्रदेश में विकास की जो यात्रा रफ्तार पकड़ चुकी है, इसे हम गांव-गांव तक, घर-घर तक पहुंचाने के मिशन पर काम कर रहे हैं। हमारा प्रयास है कि सीमा से सटे गांवों को वाइब्रेंट बॉर्डर विलेज का दर्जा देकर उन्हें सशक्त बनाया जाए। जब सीमा से सटे हर गांव में संभावनाओं के नए द्वार खुलेंगे, वहीं से समृद्धि की शुरुआत होगी।

वाइब्रेंट बॉर्डर विलेज प्रोग्राम के तहत सरहदी गांवों से पलायन को रोकने और वहां पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना पर तेजी से काम हो रहा है। सरकार द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों के युवाओं को NCC से जोड़ने के लिए एक विशेष अभियान चल रहा है। प्रयास ये है कि बॉर्डर किनारे बसे गांवों, वहां के युवाओं की NCC में ज्यादा से ज्यादा भागीदारी हो। NCC से जुड़ने वाले इन गांवों के बच्चों को सेना के अफसरों से ट्रेनिंग मिलेगी। इससे युवाओं के उज्ज्वल भविष्य का रास्ता तो तैयार होगा ही, साथ ही उनमें देश के प्रति सेवा का एक जज्बा भी और ज्यादा पैदा होगा, और ज्‍यादा बढ़ेगा।

साथियों,

सबका साथ-सबका विकास के मंत्र पर चलते हुए डबल इंजन की सरकार, अरुणाचल के विकास के लिए, लोगों की Ease of Living के लिए प्रतिबद्ध है। मेरी कामना है विकास का ये अरुण इसी तरह यहां अपने प्रकाश को बिखेरता रहे।

मैं एक बार फिर पेमा जी और उनकी पूरी सरकार को इन सारी भारत सरकार  की योजनाओं को आगे बढ़ाने में सक्रिय सहयोग के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। और हमारे पूरे पूर्वोत्‍तर के हमारे साथियों को भी हमारी माताओं-बहनों को भी बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

मेरी तरफ से आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं, बहुत बहुत धन्यवाद!

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