Thursday, October 10

मन की बात की 104वीं कड़ी में प्रधानमंत्री के सम्बोधन का मूल पाठ (27.08.2023)

New Delhi (IMNB). मेरे प्यारे परिवारजन, नमस्कार। ‘मन की बात’ के अगस्त एपिसोड में आपका एक बार फिर बहुत-बहुत स्वागत है। मुझे याद नहीं पड़ता कि कभी ऐसा हुआ हो, कि सावन के महीने में, दो-दो बार ‘मन की बात’ का कार्यक्रम हुआ, लेकिन, इस बार, ऐसा ही हो रहा है। सावन यानि महाशिव का महीना, उत्सव और उल्लास का महीना। चंद्रयान की सफलता ने उत्सव के इस माहौल को कई गुना बढ़ा दिया है। चंद्रयान को चन्द्रमा पर पहुँचे, तीन दिन से ज्यादा का समय हो रहा है। ये सफलता इतनी बड़ी है कि इसकी जितनी चर्चा की जाए, वो कम है। जब आज आपसे बात कर रहा हूँ तो एक पुरानी मेरी  कविता की कुछ पंक्तियां याद आ रही हैं…

आसमान में सिर उठाकर

घने बादलों को चीरकर

रोशनी का संकल्प ले

अभी तो सूरज उगा है।

 

दृढ़ निश्चय के साथ चलकर

हर मुश्किल को पार कर

घोर अंधेरे को मिटाने

अभी तो सूरज उगा है।

 

आसमान में सिर उठाकर

घने बादलों को चीरकर

अभी तो सूरज उगा है।

मेरे परिवारजन, 23 अगस्त को भारत ने और भारत के चंद्रयान ने ये साबित कर दिया है कि संकल्प के कुछ सूरज चाँद पर भी उगते हैं। मिशन चंद्रयान नए भारत की उस spirit का प्रतीक बन गया है, जो हर हाल में जीतना चाहता है, और हर हाल में, जीतना जानता भी है।

साथियो, इस मिशन का एक पक्ष ऐसा भी रहा जिसकी आज मैं आप सब के साथ विशेष तौर पर चर्चा करना चाहता हूं। आपको याद होगा इस बार मैंने लाल किले से कहा है कि हमें Women Led Development को राष्ट्रीय चरित्र के रूप में सशक्त करना है। जहां महिला शक्ति का सामर्थ्य जुड़ जाता है, वहाँ असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। भारत का मिशन चंद्रयान, नारीशक्ति का भी जीवंत उदाहरण है। इस पूरे मिशन में अनेकों Women Scientists और Engineers सीधे तौर पर जुड़ी रही हैं। इन्होंने अलग-अलग systems के project director, project manager ऐसी कई अहम जिम्मेदारियां संभाली हैं। भारत की बेटियां अब अनंत समझे जाने वाले अंतरिक्ष को भी चुनौती दे रही हैं। किसी देश की बेटियाँ जब इतनी आकांक्षी हो जाएं, तो उसे, उस देश को, विकसित बनने से भला कौन रोक सकता है!

साथियो, हमने इतनी ऊंची उड़ान इसलिए पूरी की है, क्योंकि आज हमारे सपने भी बड़े हैं और हमारे प्रयास भी बड़े हैं। चंद्रयान-3 की सफलता में हमारे वैज्ञानिकों के साथ ही दूसरे सेक्टर्स की भी अहम भूमिका रही है। तमाम पार्ट्स और तकनीकी जरूरतों को पूरा करने में कितने ही देशवासियों ने योगदान दिया है। जब सबका प्रयास लगा, तो सफलता भी मिली। यही चंद्रयान-3 की सबसे बड़ी सफलता है। मैं कामना करता हूँ कि आगे भी हमारा Space Sector सबका प्रयास से ऐसे ही अनगिनत सफलताएँ हासिल करेगा।

मेरे परिवारजनों, सितम्बर का महीना, भारत के सामर्थ्य का साक्षी बनने जा रहा है। अगले महीने होने जा रही G-20 Leaders Summit के लिए भारत पूरी तरहसे तैयार है। इस आयोजन में भाग लेने के लिए 40 देशों के राष्ट्राध्यक्ष और अनेक Global Organisations राजधानी दिल्ली आ रहे हैं। G-20 Summit के इतिहास में ये अब तक की सबसे बड़ी भागीदारी होगी। अपनी presidency के दौरान भारत ने G-20 को और ज्यादा inclusive forum बनाया है। भारत के निमंत्रण पर ही African Union भी G-20 से जुड़ी और अफ्रीका के लोगों की आवाज दुनिया के इस अहम प्लेटफार्म (platform)तक पहुंची। साथियो, पिछले साल, बाली में भारत को G-20 की अध्यक्षता मिलने के बाद से अब तक इतना कुछ हुआ है, जो हमें गर्व से भर देता है। दिल्ली में बड़े-बड़े कार्यक्रमों की परंपरा से हटकर, हम इसे देश के अलग-अलग शहरों में ले गए। देश के 60 शहरों में इससे जुड़ी करीब-करीब 200 बैठकों का आयोजन किया गया। G-20 Delegates जहां भी गए, वहां लोगों ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया। ये Delegates हमारे देश की diversity देखकर, हमारी vibrant democracy देखकर, बहुत ही प्रभावित हुए। उन्हें ये भी एहसास हुआ कि भारत में कितनी सारी संभावनाएं हैं।

साथियो, G-20 की हमारी Presidency, People’s Presidency है, जिसमें जनभागीदारी की भावना सबसे आगे है। G-20 के जो ग्यारह Engagement Groups थे, उनमें Academia, Civil Society, युवा, महिलाएं, हमारे सांसद, Entrepreneurs और Urban Administration से जुड़े लोगों ने अहम भूमिका निभाई। इसे लेकर देशभर में जो आयोजन हो रहे हैं, उनसे, किसी न किसी रूप से डेढ़ करोड़ से अधिक लोग जुड़े हैं। जनभागीदारी की हमारी इस कोशिश में एक ही नहीं, बल्कि दो-दो विश्व रिकॉर्ड (record) भी बन गए हैं| वाराणसी में हुई G-20 Quiz में 800 स्कूलों के सवा लाख स्टूडेंट्स (Students) की भागीदारी एक नया विश्व रिकॉर्ड बन गया। वहीं, लंबानी कारीगरों ने भी कमाल कर दिया। 450 कारीगरों ने करीब 1800 Unique Patches का आश्चर्यजनक Collection बनाकर, अपने हुनर और Craftsmanship का परिचय दिया है। G-20 में आए हर प्रतिनिधि हमारे देश की Artistic Diversity को देखकर भी बहुत हैरान हुए। ऐसा ही एक शानदार कार्यक्रम सूरत में आयोजित किया गया। वहां हुए ‘साड़ी Walkathon’ में 15 राज्यों की 15,000 महिलाओं ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम से सूरत की Textile Industry को तो बढ़ावा मिला ही, (Vocal for Local) ‘वोकल फॉर लोकल’ को भी बल मिला और लोकल के लिए ग्लोबल होने का रास्ता भी बना। श्रीनगर में G-20 की बैठक के बाद कश्मीर के पर्यटकों की संख्या में भारी बढ़ोतरी देखी जा रही है। मैं, सभी देशवासियो को कहूँगा कि आइए, मिलकर G-20 सम्मलेन को सफल बनाएं, देश का मान बढ़ाएं।

मेरे परिवारजनों, ‘मन की बात’ के Episode में हम अपनी युवा पीढ़ी के सामर्थ्य की चर्चा अक्सर करते रहते हैं। आज, खेल-कूद एक ऐसा क्षेत्र है, जहाँ हमारे युवा निरंतर नई सफलताएँ हासिल कर रहे हैं। मैं आज ‘मन की बात’ में, एक ऐसे Tournament की बात करूंगा जहाँ हाल ही में हमारे खिलाड़ियों ने देश का परचम लहराया है। कुछ ही दिनों पहले चीन में World University Games हुए थे। इन खेलों में इस बार भारत की Best Ever Performance रही है। हमारे खिलाड़ियों ने कुल 26 पदक जीते, जिनमें से 11 Gold Medal (गोल्ड मेडल) थे। आपको ये जानकर अच्छा लगेगा कि 1959 से लेकर अब तक जितने World University Games हुए हैं, उनमें जीते सभी Medals को जोड़ दें तो भी ये संख्या 18 तक ही पहुँचती है। इतने दशकों में सिर्फ 18, जबकि इस बार हमारे खिलाड़ियों ने 26 Medal जीत लिए। इसलिए, World University Games में Medal जीतने वाले कुछ युवा खिलाड़ी, विद्यार्थी इस समय Phone Line (फोन लाइन) पर मेरे साथ जुड़े हुए हैं। मैं सबसे पहले इनके बारे में आपको बता दूँ। यूपी की रहने वाली प्रगति ने Archery (आर्चरी) में Medal जीता है। असम के रहने वाले अम्लान ने Athletics (एथलेटिक्स) में Medal जीता है। यूपी की रहने वाली प्रियंका ने Race Walk (रेस वाक) में Medal जीता है। महाराष्ट्र की रहने वाली अभिदन्या ने Shooting (शूटिंग) में Medal जीता है।

मोदी जी :- मेरे प्यारे युवा खिलाड़ियो नमस्कार।

युवा खिलाड़ी :- नमस्ते सर।

मोदी जी :- मुझे आप से बात करके बहुत अच्छा लग रहा है। मैं सबसे पहले भारत की Universities में से Select की गई Team, आप लोगों ने जो भारत का नाम रोशन किया है, इसलिए मैं आप सबको बधाई देता हूँ। आपने World University Games में अपने प्रदर्शन से हर देशवासी का सिर गर्व से ऊँचा कर दिया है। तो सबसे पहले तो मैं आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

प्रगति, मैं इस बातचीत की शुरुआत आपसे कर रहा हूँ। आप सबसे पहले मुझे बताइए कि दो Medal जीतने के बाद आप जब यहाँ से गई तब ये सोचा था क्या ? और इतना बड़ा विजय प्राप्त किया तो महसूस क्या हो रहा है ?

प्रगति :- सर बहुत Proud Feel कर रही थी मैं, मुझे इतना अच्छा लग रहा था कि मैं अपने देश का झंडा इतना ऊँचा लहरा के आई हूँ कि एक बार तो ठीक है कि Gold Fight में पहुंचे थे उसको lose किया था तो Regret हो रहा था। पर दूसरी बार ये ही था दिमाग में कि अब कुछ हो जाए ये इसको नीचे नहीं जाने देना है। इसको हर हाल में सबसे ऊँचा लहरा के ही आना है। जब हम Fight को Last में जीते थे तो वही Podium पे हम लोगों ने बहुत अच्छे से Celebrate किया था। वो moment बहुत अच्छा था। इतना Proud Feel हो रहा था कि मतलब हिसाब नहीं था उसका।

मोदी जी :- प्रगति आपको तो Physically बहुत बड़े Problem आए थे। उसमें  से आप उभर करके आईं। ये अपने आप में देश के नौजवानों के लिए बड़ा Inspiring हैं। क्या हुआ था आपको ?

प्रगति :- सर 5 मई, 2020 में, मुझे सर Brain Haemorrhage हुआ था। मैं Ventilator पे थी। कुछ Confirmation नहीं थी कि मैं बचूंगी की नहीं और बची तो कैसे बचूंगी ! But इतना था कि हाँ, मुझे अन्दर से हिम्मत थी कि मैंने जाना है वापिस Ground पर खड़े होना है, Arrow चलाने। मेरे को, मेरी ज़िन्दगी बचाई है तो सबसे बड़ा हाथ भगवान का, उसके बाद डॉक्टर का फिर Archery का।

हमारे साथ अम्लान भी है। अम्लान, जरा बताइये आपकी Athletics के प्रति इतनी ज्यादा रूचि कैसे Develop की !

अम्लान :- जी नमस्कार सर।

मोदी जी :- नमस्कार ! नमस्कार।

अम्लान :- सर Athletics के प्रति तो पहले उतनी रूचि नहीं थी। पहले हम Football में थे ज्यादा। But जैसे-जैसे मेरे भाई का एक दोस्त है, तो उन्होंने मेरे को बोला कि अम्लान तुम्हें Athletics में, Competition में जाना चाहिये। तो मैंने सोचा चलो ठीक है तो पहला जब मैंने State Meet खेला तो मैं हार गया उसमें। तो हार मुझे अच्छी नहीं लगी। तो ऐसे करते-करते मैं Athletics में आ गया। फिर ऐसे ही धीरे-धीरे अभी मजा आने लग रहा है। तो वैसे ही मेरा रूचि बढ़ गया।

मोदी जी :- अम्लान जरा बताइए ज्यादातर Practice कहाँ की !

अम्लान :- ज्यादातर मैंने हैदराबाद में Practice की है, साई रेड्डी सर के Under। फिर उसके बाद में भुबनेश्वर में Shift हो गया तो उधर से मेरा Professionally Start हुआ सर।

अच्छा हमारे साथ प्रियंका भी है। प्रियंका, आप 20 किलोमीटर Race Walk Team का हिस्सा थीं। सारा देश आज आपको सुन रहा है, और वे इस Sport के बारे में जानना चाहते हैं। आप ये बताइए कि इसके लिए किस तरह की Skills की जरुरत होती है। और आपकी Career कहाँ-कहाँ से कहाँ पहुँची ?

प्रियंका :- मेरे जैसे Event में मतलब काफी Tough है क्योंकि हमारे पांच Judge खड़े होते हैं। अगर हम भाग भी लिए तो भी वो हमें निकाल देंगे या फिर थोड़ा रोड से अगर हम उठ जाते हैं Jump आ जाती है तो भी वो हमें निकाल देते हैं। या फिर हमने Knee Bend किया तो भी हमें निकाल देते हैं और मेरे को तो Warning भी दो आ गई थी। उसके बाद मैंने अपनी Speed पे इतना Control किया कि कहीं न कहीं मुझे Team Medal तो At least यहाँ से जीतना ही है। क्योंकि हम देश के लिए यहाँ पे आए हैं और हमें खाली हाथ यहाँ से नहीं जाना है।

मोदी जी :-  जी, और पिताजी, भाई वगैरा सब ठीक हैं?

प्रियंका :- हां जी सर, सब बढिया, मैं तो सबको बताती हूँ कि आप, मतलब इतना motivate करते हैं हम लोग को, सच में सर, बहुत  अच्छा लग रहा है, क्योंकि World University जैसे खेल को, India में इतना पूछा भी नहीं जाता है, लेकिन अब इतना Support मिल रहा है ना इस game में भी मतलब हम Tweet भी देख रहे हैं, कि हर कोई Tweet कर रहा है कि, हमने इतने Medal जीते हैं, तो काफी अच्छा लग रहा है कि Olympics की तरह, इसको भी, इतना बढ़ावा मिल रहा है।

मोदी जी:- चलिए प्रियंका, मेरी तरफ से बधाई है। आपने बड़ा नाम रोशन किया है, आईये हम अभिदन्या से बात करते हैं।

अभिदन्या :- नमस्ते सर।

मोदी जी:- बताइये अपने विषय में।

अभिदन्या :- सर मैं proper कोल्हापुर, महाराष्ट्र से हूँ, मैं shooting में 25m sports pistol और 10m air pistol दोनों event करती हूँ। मेरे माता-पिता दोनों एक High School Teacher हैं, तो मैंने, 2015 में shooting start किया। जब मैंने shooting start किया तब उधर कोल्हापुर में उतनी facilities नहीं मिलती थी Bus से travel करके वडगांव से कोल्हापुर जाने के लिए डेढ़ घंटा लगता है, तो वापस आने के लिए डेढ़ घंटा, और चार घंटे की training, तो ऐसे, 6-7 घंटे तो आने जाने में और training में जाते थे, तो मेरी school भी miss होती थी, तो फिर Mummy-Papa ने बोला कि बेटा एक काम करो, हम आपको, Saturday-Sunday को ले के जायेंगे shooting range के लिए, और बाकी times आप दूसरे games करो। तो मैं बहुत सारे games करती थी बचपन में, क्योंकि मेरे मम्मी-पापा दोनों को, खेल में काफी रूचि थी, लेकिन, वो कुछ कर नहीं पाए, Financial Support उतना नहीं था और उतनी जानकारी भी नहीं थी, इसलिए मेरी माताजी का बड़ा सपना था कि देश को represent करना चाहिए और फिर देश के लिए medal भी जीतना चाहिए। तो मैं उनकी dream complete करने के लिए बचपन से काफी खेल-कूद में रूचि लेती थी और फिर मैंने Taekwondo भी किया है, उसमें भी, black belt हूँ, और Boxing, Judo और fencing और discuss throw जैसे बहुत सारे games करके फिर मैं 2015 में shooting में आ गयी। फिर 2-3 साल मैंने बहुत struggle किया और first time मेरा University Championship के लिए Malaysia selection हो गया और उसमें मेरा Bronze Medal आया, तो, उधर से actually मुझे push मिला। फिर मेरे school ने मेरे लिए एक shooting range बनवाई, फिर मैं उधर training करती थी और फिर उन्होंने मुझे पुणे भेज दिया training करने के लिए। तो यहां पर Gagan Narang Sports Foundation है Gun for Glory तो मैं उसी के under training कर रही हूँ, अभी गगन सर ने मुझे काफी support किया और मेरे game के लिए बढ़ावा दिया।

मोदी जी :- अच्छा आप चारों मुझसे कुछ कहना चाहते हो तो मैं सुनना चाहूँगा। प्रगति हो, अम्लान हो, प्रियंका हो, अभिदन्या हो। आप सब मेरे साथ जुड़े हुए हैं तो कुछ कहना चाहते हैं तो मैं जरुर सुनूंगा।

अम्लान :- सर, मेरा एक सवाल है सर।

मोदी जी :- जी।

अम्लान :- आपको सबसे अच्छा sports कौनसा लगता है सर?

मोदी जी :- खेल की दुनिया में भारत को बहुत खिलना चाहिए और इसलिए मैं इन चीज़ों को बहुत बढ़ावा दे रहा हूँ, लेकिन Hockey, football, कबड्डी, खो-खो, ये हमारी धरती से जुड़े हुए खेल हैं, इसमें तो हमें, कभी, पीछे नहीं रहना चाहिए और मैं देख रहा हूँ कि archery में हमारे लोग अच्छा कर रहे हैं, shooting में अच्छा कर रहे हैं। और दूसरा मैं देख रहा हूँ कि हमारे youth में और even परिवारों में भी खेल के प्रति पहले जो भाव था वो नहीं है। पहले तो बच्चा खेलने जाता था तो रोकते थे, और अब, बहुत बड़ा वक्त बदला है और आप लोगों ने जो Success लेते आ रहे हैं न, वो, सभी परिवारों को, Motivate करती है। हर खेल में जहाँ भी हमारे बच्चें जा रहे हैं, कुछ न कुछ देश के लिए करके आते हैं। और ये ख़बरें आज देश में प्रमुखता से दिखाई भी जाती हैं, बताई जाती हैं और School, College में चर्चा में भी रहती हैं। चलिए! मुझे बहुत अच्छा लगा मेरी तरफ से आप सबको बहुत-बहुत बधाई| बहुत शुभकामनाएँ।

युवा खिलाड़ी :- बहुत-बहुत धन्यवाद ! Thank You Sir ! धन्यवाद।

मोदी जी :- धन्यवाद जी ! नमस्कार।

मेरे परिवारजनों, इस बार 15 अगस्त के दौरान देश ने ‘सबका प्रयास’ का सामर्थ्य देखा। सभी देशवासियों के प्रयास ने ‘हर घर तिरंगा अभियान’ को वास्तव में ‘हर मन तिरंगा अभियान’ बना दिया। इस अभियान के दौरान कई Record भी बने। देशवासियों ने करोड़ों की संख्या में तिरंगे खरीदे। डेढ़ लाख Post Offices के जरिए करीब डेढ़ करोड़ तिरंगे बेचे गए। इससे हमारे कामगारों की, बुनकरों की, और खासकर महिलाओं की सैकड़ों करोड़ रुपए की आय भी हुई है। तिरंगे के साथ Selfie Post करने में भी इस बार देशवासियों ने नया Record बना दिया। पिछले साल 15 अगस्त तक करीब 5 करोड़ देशवासियों ने तिरंगे के साथ Selfie Post की थी। इस साल ये संख्या 10 करोड़ को भी पार कर गई है।

साथियो, इस समय देश में ‘मेरी माटी, मेरा देश’ देशभक्ति की भावना को उजागर करने वाला अभियान जोरों पर है। सितंबर के महीने में देश के गाँव-गाँव में, हर घर से मिट्टी जमा करने का अभियान चलेगा। देश की पवित्र मिट्टी हजारों अमृत कलश में जमा की जाएगी। अक्टूबर के अंत में हजारों अमृत कलश यात्रा के साथ देश की राजधानी दिल्ली पहुँचेंगे। इस मिट्टी से ही दिल्ली में अमृत वाटिका का निर्माण होगा। मुझे विश्वास है, हर देशवासी का प्रयास, इस अभियान को भी सफल बनाएगा।

मेरे परिवारजनों, इस बार मुझे कई पत्र संस्कृत भाषा में मिले हैं। इसकी वजह यह है कि सावन मास की पूर्णिमा, इस तिथि को विश्व संस्कृत दिवस मनाया जाता है।

सर्वेभ्य: विश्व-संस्कृत-दिवसस्य हार्द्य: शुभकामना:

आप सभी को विश्व संस्कृत दिवस की बहुत-बहुत बधाई। हम सब जानते हैं कि संस्कृत दुनिया की सबसे प्राचीन भाषाओँ में से एक है।इसे कई आधुनिक भाषाओँ की जननी भी कहा जाता है। संस्कृत अपनी प्राचीनता के साथ-साथ अपनी वैज्ञानिकता और व्याकरण के लिए भी जानी जाती है।भारत का कितना ही प्राचीन ज्ञान हजारों वर्षों तक संस्कृत भाषा में ही संरक्षित किया गया है। योग, आयुर्वेद और philosophy जैसे विषयों पर research करने वाले लोग अब ज्यादा से ज्यादा संस्कृत सीख रहे हैं। कई संस्थान भी इस दिशा में बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। जैसे कि Sanskrit Promotion foundation, Sanskrit for Yog, Sanskrit for Ayurveda और Sanskrit for Buddhism जैसे कई Courses करवाता है। ‘संस्कृत भारती’ लोगों को संस्कृत सिखाने का अभियान चलाती है। इसमें आप 10 दिन के ‘संस्कृत संभाषण शिविर’ में भाग ले सकते हैं। मुझे ख़ुशी है कि आज लोगों में संस्कृत को लेकर जागरूकता और गर्व का भाव बढ़ा है। इसके पीछे बीते वर्षों में देश का विशेष योगदान भी है। जैसे तीन Sanskrit Deemed Universities को 2020 में Central Universities बनाया गया। अलग-अलग शहरों में संस्कृत विश्वविद्यालयों के कई कॉलेज और संस्थान भी चल रहे हैं। IITs और IIMs जैसे संस्थानों में संस्कृत केंद्र काफी Popular हो रहे हैं।

साथियो, अक्सर आपने एक बात ज़रूर अनुभव की होगी, जड़ों से जुड़ने की, हमारी संस्कृति से जुड़ने की, हमारी परम्परा का बहुत बड़ा सशक्त माध्यम होती है- हमारी मातृभाषा। जब हम अपनी मातृभाषा से जुड़ते हैं, तो हम सहज रूप से अपनी संस्कृति से जुड़ जाते हैं। अपने संस्कारों से जुड़ जाते हैं, अपनी परंपरा से जुड़ जाते हैं, अपने चिर पुरातन भव्य वैभव से जुड़ जाते हैं। ऐसे ही भारत की एक और मातृभाषा है, गौरवशाली तेलुगू भाषा। 29 अगस्त तेलुगू दिवस मनाया जायेगा।

अन्दरिकी तेलुगू भाषा दिनोत्सव शुभाकांक्षलु।

आप सभी को तेलुगू दिवस की बहुत-बहुत बधाई। तेलुगू भाषा के साहित्य और विरासत में भारतीय संस्कृति के कई अनमोल रत्न छिपे हैं। तेलुगू की इस विरासत का लाभ पूरे देश को मिले, इसके लिए कई प्रयास भी किये जा रहे हैं।

मेरे परिवारजनों, ‘मन की बात’ के कई Episodes में हमने Tourism पर बात की है। चीजों या स्थानों को साक्षात् खुद देखना, समझना और कुछ पल उनको जीना, एक अलग ही अनुभव देता है।

कोई समंदर का कितना ही वर्णन कर दे लेकिन हम समंदर को देखे बिना उसकी विशालता महसूस नहीं कर सकते। कोई हिमालय का कितना ही बखान कर दे, लेकिन हम हिमालय को देखे बिना उसकी सुन्दरता का आकलन नहीं कर सकते। इसलिए ही मैं अक्सर आप सभी से ये आग्रह करता हूँ कि जब मौका मिले, हमें अपने देश की Beauty अपने देश की Diversity उसे ज़रूर देखने जाना चाहिए। अक्सर हम एक और बात भी देखते हैं हम भले ही दुनिया का कोना-कोना छान लें लेकिन अपने ही शहर या राज्य की कई बेहतरीन जगहों और चीजों से अनजान होते हैं।

कई बार ऐसा होता है कि लोग अपने शहर के ही ऐतिहासिक स्थलों के बारे में ज्यादा नहीं जानते। ऐसा ही कुछ धनपाल जी के साथ हुआ। धनपाल जी, बेंगलुरु के Transport Office में driver का काम करते थे। करीब 17 साल पहले उन्हें Sightseeing wing में ज़िम्मेदारी मिली थी। इसे अब लोग बेंगलुरु दर्शिनी के नाम से जानते हैं। धनपाल जी पर्यटकों को शहर के अलग-अलग पर्यटन स्थलों पर ले जाया करते थे। ऐसी ही एक trip पर किसी tourist ने उनसे पूछ लिया, बेंगलुरु में tank को सेंकी टैंक क्यों कहा जाता है। उन्हें बहुत ही ख़राब लगा कि उन्हें इसका जवाब पता नहीं था। ऐसे में उन्होंने खुद की जानकारी बढ़ाने पर focus किया। अपनी विरासत को जानने के इस जुनून में उन्हें अनेक पत्थर और शिलालेख मिले। इस काम में धनपाल जी का मन ऐसा रमा – ऐसा रमा, कि उन्होंने epigraphy (एपिग्राफीयानि शिलालेखों से जुड़े विषय में Diploma भी कर लिया। हालाँकि अब वे retire हो चुके हैं, लेकिन बेंगलुरु के इतिहास खंगालने का उनका शौक अब भी बरक़रार है।

साथियो, मुझे Brian D. Kharpran (ब्रायन डी खारप्रन) के बारे में बताते हुए बेहद खुशी हो रही  है। ये मेघालय के रहने वाले हैं और उनकी Speleology (स्पेलियो-लॉजी) में गज़ब की दिलचस्पी है। सरल भाषा में कहा जाए तो इसका मतलब है – गुफाओं का अध्ययन। वर्षों पहले उनमें यह Interest तब जगा, जब उन्होंने कई Story Books पढ़ी। 1964 में उन्होंने एक स्कूली छात्र के रूप में अपना पहला Exploration किया। 1990 में उन्होंने अपने दोस्त के साथ मिलकर एक Association की स्थापना की और इसके जरिए मेघालय की अनजान गुफाओं के बारे में पता लगाना शुरू किया। देखते ही देखते उन्होंने अपनी Team के साथ मेघालय की 1700 से ज्यादा गुफाओं की खोज कर डाली और राज्य को World Cave Map पर ला दिया। भारत की सबसे लंबी और गहरी गुफाओं में से कुछ मेघालय में मौजूद हैं। Brian Ji और उनकी Team ने Cave Fauna यानि गुफा के उन जीव-जंतुओं को भी Document किया है, जो दुनिया में और कहीं नहीं पाए जाते हैं। मैं इस पूरी Team के प्रयासों की सराहना करता हूं, साथ ही मेरा यह आग्रह भी है कि आप मेघालय के गुफाओं में घूमने का Plan जरुर बनाएं।

मेरे परिवारजनों, आप सभी जानते हैं कि Dairy Sector, हमारे देश के सबसे important sector में से एक है। हमारी माताओं और बहनों के जीवन में बड़ा परिवर्तन लाने में तो इसकी बहुत अहम भूमिका रही है। कुछ ही दिनों पहले मुझे गुजरात की बनास डेयरी के एक Interesting Initiative के बारे में जानकारी मिली। बनास Dairy, एशिया की सबसे बड़ी Dairy मानी जाती है। यहां हर रोज औसतन 75 लाख लीटर दूध Process किया जाता है। इसके बाद इसे दूसरे राज्यों में भी भेजा जाता है। दूसरे राज्यों में यहां के दूध की समय पर Delivery हो, इसके लिए अभी तक Tanker या फिर Milk Trains (ट्रेनों)का सहारा लिया जाता था। लेकिन इसमें भी चुनौतियां कम नहीं थीं। एक तो यह कि loading और unloading में समय बहुत लगता था और कई बार इसमें दूध भी ख़राब हो जाता था। इस समस्या को दूर करने के लिए भारतीय रेलवे ने एक नया प्रयोग किया। रेलवे ने पालनपुर से न्यू रेवाड़ी तक Truck-on-Track की सुविधा शुरू की। इसमें दूध के ट्रकों को सीधे ट्रेन पर चढ़ा दिया जाता है। यानि transportation की बहुत बड़ी दिक्कत इससे दूर हुई है। Truck-on-Track सुविधा के नतीजे बहुत संतोष देने वाले रहे हैं। पहले जिस दूध को पहुँचाने में 30 घंटे लग जाते थे, वो अब आधे से भी कम समय में पहुँच रहा हैं। इससे जहाँ ईंधन से होने वाला प्रदूषण रुका है, वहीं ईंधन का खर्च भी बच रहा है। इससे बहुत बड़ा लाभ ट्रकों के ड्राईवरों को भी हुआ है, उनका जीवन आसान बना है।

साथियों, Collective Efforts से आज हमारी dairies भी आधुनिक सोच के साथ आगे बढ़ रही है। बनास डेयरी ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी किस तरह से कदम आगे बढ़ाया है, इसका पता सीडबॉल वृक्षारोपण अभियान से चलता है। Varanasi Milk Union हमारे dairy farmers की आय बढ़ाने के लिए manure management पर काम कर रही है। केरला की मालाबार Milk Union Dairy का प्रयास भी बेहद अनूठा है। यह पशुओं की बिमारियों के इलाज के लिए Ayurvedic Medicines विकसित करने में जुटी है|

साथियो, आज ऐसे बहुत से लोग हैं, जो dairy को अपना कर इसे Diversify कर रहे हैं। राजस्थान के कोटा में dairy farm चला रहे अमनप्रीत सिंह के बारे में भी आपको ज़रूर जानना चाहिए। उन्होंने डेयरी के साथ Biogas पर भी focus किया और दो biogas plants लगाये। इससे बिजली पर होने वाला उनका खर्च करीब 70 प्रतिशत कम हुआ है। इनका यह प्रयास देशभर के dairy farmers को प्रेरित करने वाला है। आज कई बड़ी dairies, biogas पर focus कर रही हैं। इस प्रकार के Community Driven Value addition बहुत उत्साहित करने वाले हैं। मुझे विश्वास है कि देशभर में इस तरह के trends निरंतर जारी रहेंगे।

मेरे परिवारजनों, मन की बात में आज बस इतना ही। अब त्योहारों का मौसम भी आ ही गया है। आप सभी को रक्षाबंधन की भी अग्रिम शुभकामनाएं। पर्व-उल्लास के समय हमें Vocal for Local के मंत्र को भी याद रखना है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ ये अभियान हर देशवासी का अपना अभियान है। और जब त्योहार का माहौल है तो हमें अपनी आस्था के स्थलों और उसके आसपास के क्षेत्र को स्वच्छ तो रखना ही है, लेकिन हमेशा के लिए। अगली बार आपसे फिर ‘मन की बात’ होगी, कुछ नए विषयों के साथ मिलेंगें। हम देशवासियों के कुछ नए प्रयासों की उनके सफलता की जी-भर करके चर्चा करेंगे। तब तक के लिए मुझे विदा दीजिये। बहुत-बहुत धन्यवाद।

नमस्कार।

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