New Delhi (IMNB). भारत सरकार देश के विभिन्न क्षेत्रों की हवाई परिवहन सेवाओं की बेहतर कनेक्टिविटी हासिल करने के उद्देश्य से रूट डिस्पर्सल गाइडलाइन (आरडीजी) लागू कर रही है। आरडीजी के तहत विभिन्न मार्गों को विभिन्न श्रेणियों – I, II, II-ए और III में वर्गीकृत किया गया है। श्रेणी- I के अंतर्गत वर्गीकृत मार्गों के लिए मानदंड हैं: –
700 किलोमीटर से अधिक की उड़ान दूरी, 70 प्रतिशत से अधिक का औसत सीट फैक्टर और दो पूर्ण शेड्यूल यानी गर्मियों एवं सर्दियों के शेड्यूल में 5 लाख यात्रियों का वार्षिक आवागमन।
इसके अलावा, श्रेणी-I के अंतर्गत विभिन्न शहरों को सीधे जोड़ने वाले बीस मार्ग हैं। ये मार्ग हैं: मुंबई-दिल्ली, दिल्ली-बैंगलोर, मुंबई-चेन्नई, हैदराबाद-दिल्ली, बेंगलुरु-कोलकाता, बेंगलुरु-पुणे, दिल्ली-पटना, मुंबई-कोचीन, मुंबई-चंडीगढ़, मुंबई-लखनऊ, बेंगलुरु-मुंबई, दिल्ली-कोलकाता, दिल्ली-चेन्नई, मुंबई-कोलकाता, चेन्नई-कोलकाता, अहमदाबाद-दिल्ली, मुंबई-जयपुर, दिल्ली-पुणे, दिल्ली-गोवा और चेन्नई-पुणे।
उत्तर-पूर्वी क्षेत्र, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, केन्द्र-शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर, लद्दाख, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप द्वीप समूह में विभिन्न स्टेशनों को जोड़ने वाले मार्गों को श्रेणी- II के रूप में वर्गीकृत किया गया है। सभी निर्धारित ऑपरेटरों को श्रेणी-I वाले मार्गों पर अपनी तैनाती क्षमता का कम से कम 10 प्रतिशत हिस्सा श्रेणी-II वाले मार्गों पर तैनात करना आवश्यक है।
उत्तर-पूर्वी क्षेत्र, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, केन्द्र-शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर, लद्दाख, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप द्वीप समूह और कोचीन-अगत्ती-कोचीन के भीतर के मार्गों को श्रेणी- II ए के रूप में वर्गीकृत किया गया है। सभी ऑपरेटरों को श्रेणी- I वाले मार्ग पर तैनाती क्षमता का कम से कम एक प्रतिशत हिस्सा श्रेणी- II ए वाले मार्गों पर तैनात करना आवश्यक है।
श्रेणी-I, II और II-ए में उल्लिखित मार्गों के अलावा अन्य मार्गों को श्रेणी-III के रूप में वर्गीकृत किया गया है। सभी ऑपरेटरों को श्रेणी-I वाले मार्गों पर तैनाती क्षमता का कम से कम 35 प्रतिशत हिस्सा श्रेणी-III वाले मार्गों पर तैनात करना आवश्यक है।
यह जानकारी नागर विमानन राज्यमंत्री श्री मुरलीधर मोहोल ने कल लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।