ये दोहरा मापदण्ड भी गजब है। जब भी केंद्र के चुनाव की बात आती है सबसे पहले भाजपा वाले व्यंग्य से पूछते हैं ‘विपक्ष के पास प्रधानमंत्री का एक चेहरा तक नहीं है। इनमें कैसे एकजुटता होगी’। इस बात पर विपक्ष वाले जवाब देते हैं कि ‘हमारे पास प्रधानमंत्री के लिये प्रत्याशियों की कमी नहीं है। बहुत सारे योग्य चेहरे हैं और हम जीतने के बाद तय करेंगे कि कौन प्रधान होगा’।
दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में मामला एकदम उल्टा हो जाता है। यहां पर मुख्यमंत्री के लिये कांग्रेस के पास चेहरा है भाजपा के पास नहीं। छत्तीसगढ़ मे कांग्रेस ये डायलाॅग मारती है कि ‘इनके पास मुख्यमंत्री के लिये कोई चेहरा नहीं है’ तब भाजपा वाले सफाई देते हैं कि ‘हमारे यहां पूरा लोकतंत्र है। जीतने के बाद विधायक तय करेंगे कि कौन मुख्यमंत्री होगा’।
यानि दोनों ही पार्टियां अपनी-अपनी सुविधा के हिसाब से किसी गोले को कभी सूरज तो कभी चांद बता देती हैं।
किसे मुख्यमंत्री की आस है
सबके अपने-अपने कयास हैं
भाजपा नेता ओम माथुर का एक बयान सामने आया कि मुख्यमंत्री के लिये कोई नया नाम होगा सबको चैंकाने वाला। हालांकि ना… ना… करते-करते भी पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ रमनसिंह को सामने लाना पड़ा, जबकि प्रदेश में ये वातावरण बनाया गया था कि बहुत से चेहरे बदले जाएंगे। इसमें ये भी शामिल था कि डाॅ रमनसिंह को केन्द्र में भेजा जाएगा।
मुख्यमंत्री के सवाल पर भाजपा अध्यक्ष अरूण साव ने कहा कि वरिष्ठ केन्द्रीय नेतृत्व और विधायक दल तय करेंगे।
वहीं कांग्रेस ने सर्वसम्मति से भूपेश बघेल को आगे कर चुनाव लड़ा। कारण साफ है बघेल ऐसा चेहरा हैं जिसने जनता में भी साख बनाई और कद्र को भी साध के रखा। बकौल भाजपा बघेल कांग्रेस के एटीएम हैं यानि वे पार्टी के पैसे की जरूरत को पूरा करते हैं।
कांग्रेस के (अब पूर्व) उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव की बात करें तो अब जब चुनाव हो चुके हैं तो उन्होंने साफ तौर पर जाहिर किया है कि उनकी मंशा मुख्यमंत्री बनने की है, ये उनका आखिरी चुनाव है और वे आगे चुनाव नहीं लडेंगे। वैसे वे ये भी कहते हैं कि हाईकमान तय करेंगे। यानि हाईकमान के हाथ में कमान है। इसे सिंहदेव की चेतावनी भी कहा जा सकता है।
अमित शाह का फरमान
पूरा करेगा
सिंहदेव के अरमान
एक दिलचस्प चर्चा प्रदेश की राजनीति में ये भी होती रहती है कि यदि कांग्रेस मामूली अंतर से जीत जाती है तो अमित शाह का सतरंगी प्रोग्राम चालू हो जाएगा। ऐसी स्थिति में कांग्रेस के पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव के अरमान अमित शाह द्वारा जगाए जा सकते हैं और उन्हें वे अपने यानि भाजपा के कंधों का सहारा देकर किसी मुकाम तक पहुंचा सकते हैं।
मुख्यमंत्री का आॅफर शायद न मिले लेकिन उपमुख्यमंत्री का आॅफर मिला तो भी सिंहदेव कांग्रेस की जगह भाजपा को अधिक पसंद करेंगे। क्योंकि एक तो उन्हें पहले कांग्रेस मे वादा करके भी ढाई साल मुख्यमंत्री न बनने देने के कारण खुन्नस है और दूसरा भविष्य भाजपा का उज्जवल नजर आता है।
फिलहाल ये केवल कल्पना है मगर राजनीति में किसी भी बात को कोरी कल्पना नहीं कहा जा सकता। कल्पना कब साकार रूप ले ले, कहा नहीं जा सकता।
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जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
मोबा. 9522170700
‘बिना छेड़छाड़ के लेख का प्रकाशन किया जा सकता है’
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