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बड़ा दिलचस्प होना है 24 का चुनाव यानि लोकसभा का चुनाव यानि प्रधानमंत्री बनने का चुनाव… बस अब कुछ कहने की जरूरत नहीं। जहां प्रधानमंत्री का नाम आया वहां मोदी का नाम आया।
यानि इस बात का सहज ही दावा किया जा सकता है कि जनता फिर से मोदी को प्रधान बनाने की सोच बैठी है। काम ही ऐसे हैं मोदी के। जो कहा वो किया। चाहे कितना भी दुरूह हो। बताने के लिये ढेरों काम हैं कुछ सरल, कुछ कठिन, कुछ अत्यंत कठिन जो विपक्ष को असंभव से लगते थे।
विपक्ष ने दिया मुद्दा
इसके बाद एक मुद्दा ऐसा है जो बेहद कारगर है और जो विपक्ष ने खुद थाली में परोसकर दे दिया भाजपा को। वो है सनातन पर प्रहार। विपक्ष ने सनातन पर प्रहार करके एक बार फिर सनातनियों को एक साथ कर दिया। ये गलती बार-बार विपक्ष के किसी न किसी धड़े द्वारा कभी गलती से तो कभी निजी स्वार्थ के लिये कर दी जाती है और हर बार वे हिंदुओं को एक मंच पर ले आते हैं।
विगत दिनों विपक्ष के कुछ नेताओ द्वारा सनातन को समाप्त करने और कुचलने जैसी भावनाओं का प्रदर्शन किया गया। जाहिर तौर पर वे यही चाहते हैं। इससे होगा ये कि हिंदुओं को फिर से ये समझाने में भाजपा कामयाब होगी कि देख लो ये लोग कितने हिंदु विरोधी हैं और किस तरह हर कीमत पर हिंदुओं को कुचलना चाहते हैं।
सियासी समर में ये मुद्दा भाजपा के तरकस में एक रामबाण की तरह काम करेगा। इस मामले को भाजपा लंबा खींचेगी और बार-बार इस हथियार का प्रयोग करेगी। निश्चित ही इससे विपक्ष को गहरा आघात पहुंचेगा।
वैसे भाजपा का ये दांव गलत भी नहीं है। क्यों हिंदुओं को कुचलने की बात करना ? हिंदुओं ने किसी का क्या बिगाड़ा है ? हिंदुओं ने तो हमेशा दिल खोलकर हर कौम की मदद की है, हर तबके को सर आंखों पर बिठाया है।
यहां तक कि विपक्ष की तुष्टीकरण की नीति से हिंदु समुदाय को हमेशा नुकसान उठाना पड़ा है जिसे हिंदुओं ने चुपचाप सहा है। तब भी यदि हिंदु विपक्ष की आंख में खटकता है तो ये हिंदुओं के साथ घोर नाइंसाफी है।
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जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
मोबा. 9522170700
‘बिना छेड़छाड़ के लेख का प्रकाशन किया जा सकता है’
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