Monday, May 20

वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी… जोगी कांग्रेस अभी ज़िदा है बघेल को हराएंगे अमित जोगी

माननीय अजीत जोगी सियासी द्वंद के बेहतरीन खिलाड़ी, जब गये तो जोगी कांगेस में एक निराशा का माहौल छा गया और ऐसा लगा कि बस अब ये पार्टी केवल नाम भर के लिये रह जाएगी। कदाचित् इसी सोच के चलते इस पार्टी में कूदफांद मच गयी। कई वरिष्ठ लोग पार्टी से निकल लिये और नया ठिकाना बना लिया।

लेकिन वर्तमान में जो दृश्य दिख रहा हैै, उसे देखकर बस यही कहा जा सकता है कि जोगी कांग्रेस अभी जिंदा है।
छत्तीसगढ़ में दो दिन पहले जो सियासी सनसनी अजीत जोगी के पुत्र जोगी कांग्रेस के कर्णधार अमित जोगी ने फैलाई वो छत्तीसगढ़ को चैंकाने के लिये काफी है।

पाटन का नतीजा, जीतेगा भतीजा

पाटन याने वो विधानसभा जहां से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल चुनाव लड़ रहे हैं। भतीजा यानि भूपेश बघेल के भतीजे विजय बघेल जो वर्तमान में सांसद हैं। वे अपने ही चाचा के सामने ताल ठोक के खड़े हैं। यानि एक ही परिवार से दो लोग आमने-सामने।
सबकुछ ठीक चल रहा था कि अचानक जोगी कांग्रेस के वरिष्ठतम् नेता अमित जोगी ने पाटन से ही ताल ठोककर सनसनी मचा दी। उन्होंने इसी विधानसभा से नामांकन भरकर छत्तीसगढ़ को आश्चर्य में डाल दिया।

सांठगांठ का आरोप

अमित जोगी का आरोप है कि दोनों बघेल प्रत्याशी एक ही परिवार के हैं और दोनो के बीच सांठगांठ है। ऐसे ही आरोप सालांे पहले माधवराव सिंधिया और राजमाता विजयाराजे सिंधिया पर लगा करते थे। माधवराव कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे और राजमाता भाजपा की। कहा जाता था कि दोनों में से कोई एक तो सत्ता में रहेगा ही। ऐसे में उनके उपर कोई हाथ नहीं  डाल सकता था। क्योंकि उनके पास अकूत धन-सम्पदा थी।

कांग्रेस रहे या भाजपा उनका दखल होना ही था और सुरक्षा बनी रहनी थी। कुछ और भी परिवार हैं जिन पर ऐसी ही सांठगांठ का आरोप लगता रहता था।

इस मामले में फर्क

पाटन के बघेल परिवार में और ग्वालियर के सिंधिया परिवार में एक बड़ा फर्क है। कभी भी माधवराव और राजमाता आमने-सामने चुनाव नहीं लड़ा करते थे। जबकि यहां पर भूपेश बघेल और विजय बघेल आमने-सामने ताल ठोककर खड़े हैं।
एक को जीत तो दूसरे की हार पक्की है। दोनों ही अपने-अपने स्थान पर दिग्गज हैं। इसलिये ये कहना कि सांठगांठ है गलत लगता है।

भाजपा के लिये जीत आसान करेंगे जोगी

राजनैतिक घमासान में ये बात कई बार सामने आ चुकी है और भूपेश बघेल द्वारा भी बयान दिया जा चुका है कि स्व अजीत जोगी भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिये सियासत में सक्रिय रहा करते थे। कांग्रेस के अंदर रहकर भी और कांग्रेस से बाहर रहकर भी उन्होंने कांग्रेस को डैमेज किया।

तो क्या अमित जोगी भी अपने पिता के कदमों पर चल रहे हैं। कांग्रेसियों का यही प्रश्न है कि चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा करने वाले अमित जोगी ने एकाएक पाटन से किस मकसद से दावा ठोक दिया, जबकि ये उनका कार्यक्षेत्र भी नहीं है।
उनका प्रभाव बिलासपुर के कुछ इलाकों में है। ऐसे में यहां वे केवल भाजपा को यानि विजय बघेल को जिताने के लिये आए हैं।

बहरहाल अमित जोगी लड़कर किसी एक के वोट काटेंगे तब भी एक बघेल जीतेंगे और एक बघेल हारेंगे। वैसे भाजपा कार्यकर्ताओं को विश्वास है कि ‘पाटन का नतीजा, जीतेगा भतीजा’। वहीं कांग्रेसियों का कहना है कि त्रिकोणीय संघर्ष में पहले भी भूपेश बघेल को फायदा ही हुआ है और अब भी होगा।
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जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
मोबा. 9522170700
‘बिना छेड़छाड़ के लेख का प्रकाशन किया जा सकता है’
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