Sunday, September 8

वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी…  अनिल कपूर की वो सात दिन, मोदी के ये पांच दिन

अनिल कपूर की एक फिल्म आई थी वो 7 दिन। बड़ी बेहतरीन, संस्कारी फिल्म थी। हिट हुई और काफी अच्छी चली। अब एक नयी स्क्रिप्ट लिखी जा रही है ‘ये पांच दिन’। लिखने वाली है मोदी-शाह की जोड़ी। निस्संदेह ये भी हिट होगी।
ये फिल्म सारे देश को लाईव दिखाई जाएगी 18 से 22 तक। इसकी शूटिंग होगी संसद में।
जी हां संसद में पांच दिन का विशेष सत्र चलने वाला है जिसने विपक्ष की सांसें उपर की उपर और नीचे की नीचे कर दी हैं। सब जानते हैं मोदी जब लीक से हट के कोई काम करते हैं तो वो लीक  से हट के परिणाम देता है। जिसका सबसे बड़ा और हड़कम्प मचा देने वाला घटनाक्रम हम अनुच्छेद 370 हटाने के समय देख चुके हैं। जो विपक्ष को, देशविरोधियों को, पाकिस्तान परस्त तत्वों को, काश्मीर का भरपूर शोषण करने वालों को जोर का झटका धीरे से दे गया।

तवे पर कौन सी रोटी सिकेगी
मोदी की नयी कलाबाजी दिखेगी

तवा गरम है। सियासी पण्डित उत्सुक हैं। कईयों की रातों की नींद हराम है कि होने क्या वाला है। जब भी मोदी ऐसा कोई निर्णय लेते हैं धमाका ही करते हैं। इससे होता ये है कि देश में उनका मान कुछ और बढ़ जाता है। विपक्ष दो कदम और पीछे दिखने लगता है।
एक देश एक विधान, सारे चुनाव एक साथ, देश का नाम केवल भारत करना और महिला आरक्षण ऐसे विषय हैं जो इन पांच दिन के विशेष सत्र मे पेश किये जाने की संभावना है। यही चर्चा जोरों पर है।

एक देश एक विधान
बड़ा तबका है हलाकान

सबसे महत्वपूर्ण एक देश एक विधान है। इससे होगा ये कि किसी भी जाति, धर्म के लिये संविधान में कोई अलग कानून नहीं होगा। हिंदु हांे या पारसी, क्रिश्चियन, ईसाई सभी के लिये एक ही नियम कानून होगा। यह मामला सबसे पेचीदा है। लेकिन ऐसे और इससे भी अधिक पेचीदे काम निपटाने की आदत मोदीजी को है।
साथ चुनाव
विपक्ष को घाव

दूसरा एक साथ चुनाव का मामला विपक्ष को बिल्कुल नहीं पच रहा। सरकार विरोधियों का आशंका है कि यदि विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ हुए तो विपक्ष को बड़ा नुकसान हो सकता है। हालांकि इसके पक्ष और विपक्ष में कई तरह के तर्क दिये जा रहे हैं।

महिला आरक्षण

महिला आरक्षण अगर कर दिया गया तो निश्चित रूप् से महिलाओं की सहानुभूति भाजपा से हो जाएगी। और अब जबकि लोकसभा की सीटें बढ़ाने की तैयारी भी चल रही है तो हो सकता है सीटें बढ़ा दी जाएं और वो तमाम बढ़ी हुई सीटें भाजपा की झोली में आ             गिरें। इसमें देर नहीं दिखती क्योंकि नये संसद भवन में बैठने के लिय पहले से ही अधिक सीटों का प्रावधान किया गया है।

मतदाता भारत को अधिक चाहता है
बजाए इण्डिया के

इसके अलावा विपक्ष को हिला देने वाला एक और मुद्दा है वो है देश का नाम। जी हां, सरकार इस बात पर गंभीरता से विचार कर रही है कि देश का नाम इण्डिया और भारत दोनों न हो। केवल भारत हो। इस तरह इण्डिया का पत्ता साफ हो जाएगा और साथ ही गठबंधन इण्डिया को मिल रही सहानुभूति पर भी असर पड़ेगा।

वैसे लंबे समय से ये बात उठती रही है कि देश का नाम एक ही हो। भारत। विश्व के किसी भी देश के दो नाम नहीं हैं। हर देश का एक ही नाम होता है। किसी वस्तु के दो नाम हो सकते हैं। हिंदी में अलग और अंग्रेजी में अलग। लेकिन देश कोई वस्तु नहीं है।
कुछ विद्वानों का मत है कि ये काफी कठिन काम है लेकिन कठिन काम करने की आदत है वर्तमान केन्द्र सरकार को। वैसे विश्व में ऐसे कुछ उदाहरण है जिनमें देश का नाम बदला गया हो। जैसे श्रीलंका जो पहले सीलोन कहलाता था और म्यांमार जो पहले बर्मा कहलाता था।
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जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
मोबा. 9522170700
‘बिना छेड़छाड़ के लेख का प्रकाशन किया जा सकता है’
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