Friday, October 18

पैरों में जूते ना हो, पर हाथों में किताबें होनी चाहिए – डाॅ. भीमराव अम्बेडकर

पी.एम.टी. छात्रावास कांकेर में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया संविधान दिवस
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कांकेर। पी.एम.टी. छात्रावास में प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी संविधान दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। छात्रावास अधीक्षक कमलेश्वर रामटेके ने संविधान की प्रस्तावना का वाचन करवाया। उन्होंने बताया कि भारतीय संविधान को संविधान सभा ने 26 नवम्बर 1949 को अपनाया था। यह एक उत्कृष्ट संविधान को अपनाने की वर्षगाठ का दिन है। संविधान दिवस पर उपस्थित इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष शरद ठाकुर ने अपने विचार उद्बोधन में कहा कि स्वतंत्रता, समानता, एवं बंधुत्व संविधान के ये मूलभूत साधन रहे हैं। जिनमें अनुसूचित जाति, जनजाति, अल्प संख्याकों के लिए विशेष प्रावधान किये गये है। सभी छात्रावासियों को भारतीय संविधान दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि डाॅ. अम्बेडकर के वाक्य पैरों में जूता ना सही, हाथों में पुस्तक होनी चाहिए। छात्रावासियों को संकल्प देते हुए कहा कि संविधान की भावना से प्रेरणा लेकर हम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक शसक्त, समावेशी और समावेशी भारत का निर्माण करेंगे। जिसमें प्रमुख रूप से विनोद दुग्गा, संयुक्त अध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार जुर्री, स्थानीय अध्यक्ष अरुण वट्टी सहित छात्रवास के पदाधिकारी एवं छात्र उपस्थित हुए। समस्त जानकारी सयुक्त अध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार जुर्री ने दिया है।

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