उद्धव की नीतियों के चलते टूटी पार्टी

नरेन्द्र मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में भाजपा के संपर्क अभियान के तहत नांदेड़ में एक रैली को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि भाजपा ने पिछले साल ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार को नहीं गिराया, लेकिन वे शिवसैनिक थे जिन्होंने ठाकरे की नीतियों से थक चुके थे और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के साथ जाने को तैयार नहीं थे।

शाह ने आगे कहा-

“मैंने और तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 2019 चुनाव से पहले ठाकरे से बातचीत की थी कि अगर एनडीए विजयी हुआ, तो फडणवीस फिर से मुख्यमंत्री होंगे। इसपर उद्धव ने सहमति जताई थी। हालांकि, चुनाव परिणाम के बाद ठाकरे ने वादा तोड़ दिया और कांग्रेस-एनसीपी की गोद में बैठ गए।”

एकनाथ शिंदे की पार्टी ही असली शिवसेना

शाह ने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को अपना धनुष और तीर वापस मिल गया है और यह तय हो गया है कि असली शिवसेना कौन है। उन्होंने कहा कि मैं उद्धव ठाकरे को चुनौती देता हूं कि वह तीन तलाक की प्रथा को समाप्त करने, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण, समान नागरिक संहिता और मुसलमानों के लिए आरक्षण पर सहमत हैं या नहीं, इस पर अपना रुख स्पष्ट करें।

शाह ने ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा, “आप दो पत्थरों पर खड़े नहीं हो सकते। आप राज्य के लोगों के सामने बेनकाब हो चुके हैं।” गृह मंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान जब पीएम मोदी देशवासियों को वैक्सीन दे रहे थे, तब ठाकरे कार्यालय नहीं गए। COVID-19 महामारी के दौरान कार्यालय नहीं जाने के लिए ठाकरे को आलोचना का सामना करना पड़ा था।