Saturday, September 7

दूर के ढोल सुहाने आज का सब गोल ‘ वाला केंद्रीय बजट – कोमल हुपेंडी

किसान की आय दुगनी जुमला साबित, आम आदमी पर महंगाई की मार, शिक्षा और स्वास्थ्य महज खाना पूर्ति रह गई आम जन के लिए – कोमल हुपेंडी

केंद्रीय बजट में महंगाई रोकने की इच्छाशक्ति का अभाव है- विजय झा

रायपुर, केंद्रीय बजट पर आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कोमल हुपेंडी ने अपनी प्रतिक्रया देते हुए बजट को दूर के ढोल सुहाने और आज के लिए निराशाजनक बताया है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय बजट में आम लोगों के हित में कोई खास प्रावधान नहीं है. पीएम किसान सम्मान निधि में कोई इजाफा नहीं हुआ है। इससे किसान वर्ग में निराशा है।कृषि सेक्टर में आय दोगुनी जैसी कोई बात नहीं है, अर्थात प्रधानमंत्री का 2023 तक किसानों की आय दुगनी का वादा भी महज एक जुमला ही बनकर रह गया है ।किसानों को उत्पादन शुल्क व कुल व्यय राशि से न्यूनतम 10% अधिक विक्रय मूल्य निर्धारण की सुरक्षा प्रदान नहीं की गई है। किसानों के उत्पाद हमेशा घाटे का सौदा साबित हो रहे हैं। उसका प्रत्यक्ष उदाहरण टमाटर उत्पादक टमाटर को सड़कों में फेंक रहे हैं।

युवा बेरोजगारों की समस्या की बाते भी हवा हवाई ही है।आंकड़ों का जाल बुना गया है और आम जन को मंहगाई से कोई राहत की दूर दूर तक कोई उम्मीद दिखाई नहीं दे रही है।

शिक्षा के स्तर का और स्कूलों में शिक्षकों की उपलब्धता का हाल बेहाल है और सरकार पंचायत स्तर पर लाइब्रेरी खोलने की बात कह रही जो मात्र सपना दिखा देने के समान है।

महंगाई की मार से राहत मिलती अब नही दिखती और सिर्फ बड़े बड़े ऐलान और 2048 की तैयारी से भरा पड़ा है यह बजट , आज के जन मानस की परिस्थितियों से कोसों दूर,जैसे आज की जनता से इस सरकार को कोई सरोकार ही नही , उनकी परेशानियों और साधारण जनता कैसे जीवन यापन करेंगी इससे केंद्र सरकार को कोई लेने देना ही नही है।अमृत काल के नाम पर ही जनता जीवन यापन कर लेगी।

नए नए प्रोग्राम नए नाम से फिर से शुरू किए जा रहा पुराने सभी इसी तरह के प्रोग्राम भ्रष्टाचार की भेंट चढ़कर खत्म कर दिए जाते है सिर्फ लोकलुभावन नाम रखकर मुंगेरी लाल के स्वप्न की तरह का केंद्रीय बजट है।

महिला सुरक्षा व बेरोजगारी पर भी ठोस निर्णय नहीं लिया गया है और युवाओं और महिलाओं के बजट कहा गया है ये हास्यास्पद है।

रायपुर जिला सचिव विजय झा ने नरेंद्र मोदी सरकार के चुनाव पूर्व अंतिम बजट में महंगाई रोकने की इच्छाशक्ति का अभाव स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा निरूपित किया है। देश के कर्मचारियों को दूध देने वाली जर्सी गाय समझा गया है। 3 लाख रू तक आयकर सीमा में वृद्धि कर एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी व वाहन चालक को भी आयकर सीमा के दायरे में रखा गया है। वृद्धावस्था सुरक्षा शून्य बटे सन्नाटा है क्योंकि पूरे देश में पुरानी पेंशन योजना लागू न करना वह नई अंशदाई पेंशन योजना में 18 वर्षों की राशि की वापसी पर बजट में कोई चिंता नहीं किया गया है। उन्हें पूरे देश में वृद्धजनों सेवानिवृत्तों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू नहीं किया गया है। गैस सिलेंडर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि करने से सुई से जहाज तक की कीमतों में वृद्धि होगी। कुल मिलाकर मध्यम श्रेणी नागरिकों को छला गया है।

आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष कोमल हुपेंडी ने अंत में कहा की आम जनता आज ठगा हुआ महसूस कर रही है और राहत के नाम पर केंद्रीय बजट ने सभी को ना उम्मीद और निराश ही किया है।

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