केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र के पुणे में सहकारी समितियों के केन्द्रीय पंजीयक (CRCS) कार्यालय के डिजिटल पोर्टल का शुभारंभ किया

सहकारिता के संस्कार महाराष्ट्र से ही पूरे देश में फैले और यहीं का कोऑपरेटिव मॉडल देशभर में सहकारिता आंदोलन को आगे बढ़ा रहा है

आज मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव को संचालित करने वाले सेंट्रल रजिस्ट्रार (CRCS) कार्यालय का कार्य पूर्णतः डिजिटल हो रहा है, सहकारी समितियों के सभी काम जैसे नई ब्रांच खोलना, दूसरे राज्य में विस्तार करना या ऑडिट करना, ये सभी अब ऑनलाइन हो जायेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने ‘सहकार से समृद्धि’ का विचार बहुत गहरे मंथन के साथ रखा है, पिछले 9 सालों में देश के करोड़ों गरीबों को जीवन की आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने का काम किया है

देश के गरीब को उद्यम के लिए अगर पूंजी की कमी है, तो उसके लिए सहकारिता आंदोलन एक उत्तम रास्ता है, इसके माध्यम से छोटी पूंजी वाले अनेक लोग इकट्ठा होकर बड़ा उद्यम स्थापित कर सकते हैं

आधुनिकता, जवाबदेही और पारदर्शिता को बढ़ाने से ही सहकारिता की स्वीकृति देशभर में और बढ़ेगी

भारत ने अमूल, इफको व कृभको जैसी सहकारिता की अनेक success stories दुनिया के सामने रखी हैं, अब हमें इसे संजोकर सहकारिता के आंदोलन को नई गति देनी है

मल्टी-स्टेट कोआपरेटिव सोसाइटी एक्ट, 2022 से सहकारी समितियों की जवाबदेही तय होगी और भाई-भतीजावाद समाप्त होगा जिससे युवा टैलेंट सहकारी आंदोलन से जुड़ पाएंगे

आज शुरू हुए पोर्टल का फायदा देश की 1555 बहुराज्यीय सहकारी समितियों को मिलेगा और इन 1555 में से 42% समितियां केवल महाराष्ट्र में हैं, ये बताता है कि यहाँ सहकारिता आंदोलन कितना मजबूत है

मोदी सरकार इसी तरह राज्यों की सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार के कार्यालयों का भी कम्प्यूटरीकरण करने जा रही है, जिससे देशभर की 8 लाख कोऑपरेटिव सोसाइटी के साथ संवाद आसान हो जायेगा

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व और सतत मार्गदर्शन में PACS को viable बनाने की दिशा में बहुत काम किया जा रहा है

मोदी सरकार ने अगले 5 सालों में देशभर में 3 लाख नए PACS बनाकर सहकारिता आंदोलन को हर गांव तक पहुंचाने का निर्णय लिया है

New Delhi (IMNB). केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने महाराष्ट्र के पुणे में सहकारी समितियों के केन्द्रीय पंजीयक (CRCS) कार्यालय के डिजिटल पोर्टल का शुभारंभ किया। इस अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे और केन्द्रीय सहकारिता राज्यमंत्री श्री बी एल वर्मा सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

अपने संबोधन में श्री अमित शाह ने कहा कि सहकारिता के संस्कार महाराष्ट्र से ही पूरे देश में फैले और यहीं का कोऑपरेटिव मॉडल देशभर में सहकारिता आंदोलन को आगे बढ़ा रहा है। श्री शाह ने कहा कि आज अगर सहकारिता आंदोलन के विकास की दिशा देखते हैं, तो गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक, यानी पुराने मुंबई राज्य के हिस्सों में ही सहकारिता आंदोलन आगे बढ़ा है और पनपा है। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों के केन्द्रीय पंजीयक कार्यालय को पूरी तरह डिजिटल करने का काम महाराष्ट्र के पुणे में शुरू करना पूरी तरह से प्रासंगिक है। श्री शाह ने कहा कि मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव को संचालित करने वाले सेंट्रल रजिस्ट्रार (CRCS) कार्यालय का कार्य पूर्णतः डिजिटल हो रहा है, सहकारी समितियों के सभी काम जैसे नई ब्रांच खोलना, दूसरे राज्य में विस्तार करना या ऑडिट करना, ये सभी अब ऑनलाइन ही हो जायेंगे। केन्द्रीय पंजीयक कार्यालय में रजिस्ट्रेशन, बायलॉज़ का रजिस्ट्रेशन, उनमें संशोधन, ऑडिटिंग, केन्द्रीय पंजीयक द्वारा ऑडिटिंग की मॉनीटरिंग, चुनाव की पूरी प्रक्रिया, HR का विकास, विजिलेंस और प्रशिक्षण आदि सभी गतिविधियों को समाहित कर इस पोर्टल को बनाया गया है और ये एक प्रकार से संपूर्ण पोर्टल है।

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सहकार से समृद्धि का विचार बहुत गहरे मंथन के साथ रखा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले 9 सालों में देश के करोड़ों गरीबों को जीवन की आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने का काम किया है। उन्होंने कहा कि गरीबों को घर, बिजली, शुद्ध पीने का पानी, गैस सिलिंडर, शौचालय, 5 लाख रूपए तक का स्वास्थ्य का खर्चा और प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलो अनाज मुफ्त देने का काम नरेन्द्र मोदी जी ने किया है। श्री शाह ने कहा कि देश के करोड़ों गरीब व्यक्ति देश के अर्थतंत्र के साथ नहीं जुड़े हुए थे, लेकिन मोदी जी उनकी आधारभूत ज़रूरतों को पूरा कर उनके बैंक खाते खोलकर उन्हें देश के अर्थतंत्र के साथ जोड़ने का काम किया। उन्होंने कहा कि देश के गरीब को उद्यम के लिए अगर पूंजी की कमी है, तो उसके लिए सहकारिता आंदोलन एक उत्तम रास्ता है, इसके माध्यम से छोटी पूंजी वाले अनेक लोग इकट्ठा होकर बड़ा उद्यम स्थापित कर सकते हैं। 

श्री अमित शाह ने कहा कि सहकार से समृद्धि का मतलब है छोटे से छोटे व्यक्ति को अपने जीवन को उन्नत बनाने, उसे देश की आर्थिक प्रगति में योगदान देने के लिए एक मंच देना और सहकारिता के माध्यम से उसके जीवनस्तर को ऊपर उठाना। उन्होंने कहा कि इसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए मोदी जी ने सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की। श्री शाह ने कहा कि आज शुरू हुए पोर्टल का फायदा देश की 1555 बहुराज्यीय सहकारी समितियों को मिलेगा और इन 1555 में से 42 प्रतिशत समितियां केवल महाराष्ट्र में हैंये बताता है कि यहाँ सहकारिता आंदोलन कितना मजबूत है। उन्होंने कहा कि इन 1555 समितियों के सभी काम अब इस पोर्टल के माध्यम से हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि इसके बाद इसी पैटर्न पर राज्यों की सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार के कार्यालयों का भी कम्प्यूटरीकरण करने जा रहे हैं, जिससे देशभर की 8 लाख कोऑपरेटिव सोसायटीज़ के साथ संवाद सुगम बन जाएगा।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारिता आंदोलन आधुनिकता, पारदर्शिता और जवाबदेही के बिना आगे नहीं बढ़ सकता। उन्होंने कहा कि सहकारिता आंदोलन की स्वीकृति बढ़ाने के लिए पारदर्शिता बढ़ानी होगी और जवाबदेही तय करनी होगी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की पारदर्शी व्यवस्था ही देश के करोड़ों लोगों को जोड़ सकती है। श्री शाह ने कहा कि भारत ने अमूल, इफको व कृभको जैसी सहकारिता की अनेक success stories दुनिया के सामने रखी हैं, अब हमें इसे संजोकर सहकारिता के आंदोलन को नई गति देनी है।

श्री अमित शाह ने कहा कि हाल ही में मल्टीस्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी कानून में भी संशोधन किया गया है। उन्होंने कहा कि इस कानून के तहत हमने निर्वाचन सुधार किए हैं, कोऑपरेटिव गवर्नेंस के लिए कई नए आयाम तय किए हैं, फाइनेंशियल डिसिप्लिन और फंड्स की पूर्ति के लिए व्यवस्थाएं, व्यापार की सुगमता के लिए व्यवस्था, निर्वाचन के लिए चुनाव आयोग जैसी एक स्वतंत्र बॉडी की व्यवस्था की है, बोर्ड को चलाने के नियमों में बदलाव और पारदर्शिता लाने के लिए बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स और कर्मचारियों की ज़िम्मेदारी तय की हैं। मल्टी-स्टेट कोआपरेटिव सोसाइटी एक्ट, 2022 से सहकारी समितियों की जवाबदेही तय होगी और भाई-भतीजावाद समाप्त होगा जिससे युवा टैलेंट सहकारी आंदोलन से जुड़ पाएंगे।

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व और सतत मार्गदर्शन में PACS को viable बनाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने अगले 5 सालों में देशभर में 3 लाख नए PACS बनाकर सहकारिता आंदोलन को हर गांव तक पहुंचाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि पिछले 70 सालों में 93000 पैक्स बने हैं, और अगले 5 सालों में देश में 3 लाख नए पैक्स बनाए जाएंगे। श्री शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने देश के सभी पैक्स के कम्प्यूटराइज़ेशन का काम समाप्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि PACS अब Common Service Centre (CSC) हैं जो कई प्रकार की गतिविधियां कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने विश्व की सबसे बड़ी और मल्टीडायमेंशनल भंडारण योजना को स्वीकृति दी है। श्री शाह ने कहा कि महाराष्ट्र को इस योजना का सबसे अधिक फायदा लेना चाहिए और यहां एक भी तहसील ऐसी नहीं रहनी चाहिए जहां कोऑपरेटिव की भंडारण व्यवस्था ना हो। उन्होंने कहा कि अब कोऑपरेटिव्स को GEM प्लेटफॉर्म का भी फायदा मिल रहा है।

श्री अमित शाह ने कहा कि राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस बनाने का 95% काम पूरा हो चुका है। हम एक नई कोऑपरेटिव पॉलिसी भी लेकर आ रहे हैं, हम कोऑपरेटिव यूनिवर्सिटी भी बना रहे हैं जिसके माध्यम से कोऑपरेटिव और इसके सभी एक्सटेंशंस की तकनीकी शिक्षा की व्यवस्था भी इसके साथ जुड़ जाएगी। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने 3 नई मल्टीस्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी बनाने का काम किया है। बहुराज्यीय ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग के लिए एक सोसाइटी बनाई है, जो प्राकृतिक खेती के उत्पादों की मार्केटिंग भारत ब्रांड के साथ कर इसका पूरा मुनाफा किसान के खाते में भेजने का काम सुनिश्चित करेगी। इसी प्रकार, छोटे किसान बीज उत्पादन नहीं कर पाते हैं, लेकिन अब छोटे किसान भी, जिनके पास कम भूमि है, बीज उत्पादन कर सकेंगे और ये सोसायटी उनके बीज लेकर उसे सर्टिफिकेट देगी और अपने ब्रांड के साथ भारत और विश्‍व के बाजार में बेचेगी। उन्होंने कहा कि इन तीनों मल्टीस्टेट कोऑपरेटिव सोसायटीज़ के माध्यम से देशभर के 10 करोड़ से ज्यादा किसानों के जीवनस्तर में सुधार आएगा और ये सोसायटीज़ आने वाले दिनों में देश के करोड़ों किसानों की समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेंगी।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि पहले कोऑपरेटिव के साथ सौतेला व्यवहार होता था, लेकिन आज मोदी जी के नेतृत्व में कोऑपरेटिव के साथ होने वाले सौतेला व्यवहार खत्म हो गया है। उन्होंने कहा कि आज कॉर्पोरेट के लिए जो व्यवस्था है वो सभी कोऑपरेटिव्स के लिए भी हैं। श्री शाह ने कहा कि इन्कम टैक्स के दोहरे मापदंड को भी समाप्त कर दिया गया है। कई सालों से चली आ रही चीनी मिलों की समस्या का भी समाधान मोदी सरकार ने त्वरित रूप से कर दिया है। उन्होंने कहा कि कोऑपरेटिव का कंसेप्ट है कि जो मुनाफा किसान का है उस पर सरकार टैक्स नहीं लगा सकती। इस सिद्धांत को भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने स्वीकार किया, जो पूरे सहकारिता आंदोलन के लिए बहुत बड़ी बात है जिसका बहुत बड़ा फायदा आने वाले दिनों में इस क्षेत्र को मिलेगा। श्री शाह ने कहा कि अर्बन कोऑपरेटिव के लिए हाउसिंग फाइनेंस की एक सीमा थी, इसे दोगुना कर दिया गया है। ग्रामीण सहकारी बैंकों को रियल एस्टेट के लिए लोन देने की भी परमिशन दे दी गई है। डोरस्टेप बैंकिंग के लिए अर्बन कोऑपरेटिव बैंक के पास परमिशन नहीं थी, वह भी दे दी गई है। अर्बन कोऑपरेटिव बैंक अब नई शाखाएं भी खोल सकते हैं, वन टाइम सेटेलमेंट अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों के लिए प्रतिबंधित था, इसके लिए भी हमने राष्ट्रीयकृत बैंकों के बराबर लाकर अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों को अधिकार दे दिए हैं।

श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनामी बनाने और भारत की इकोनॉमी को विश्व की तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है, हमें इसमें कोऑपरेटिव सेक्टर का योगदान क्या हो, इसका एक लक्ष्य तय करना चाहिए। उन्होंने कहा कि और मोदी जी के सहकार से समृद्धि के विजन के तहत इस डिजिटल पोर्टल का शुभारंभ कर सहकारिता मंत्रालय ने आज एक नई शुरूआत की है।

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