आज की शुरुआत आने वाले दिनों में कृषि क्षेत्र में प्रचंड परिवर्तन लाने वाली शुरुआत है
उत्पादन से पहले ही इस पोर्टल पर रजिस्टर करने वाले सभी किसानों की दलहन हम खरीदेंगे…ये पीएम मोदी की गारंटी है
किसी भ्रष्टाचार के बगैर किसानों की उपज का मूल्य सीधा उनके खाते में आएगा
MSP में 10 साल में जितनी बढ़ोतरी पीएम मोदी जी ने की है उतनी किसी सरकार ने नहीं की
“सहकार से समृद्धि” का अर्थ “सहकार से किसानों की समृधि” है
इस पोर्टल पर रजिस्टर करने के बाद किसानों के दोनों हाथों में लड्डू होंगे
मूंग और चने में आत्मनिर्भर बनने के बाद अब भारत को दलहन में भी आत्मनिर्भर बनना है
प्रधानमंत्री मोदी जी ने पेट्रोल के साथ 20 प्रतिशत इथेनॉल मिलाने का लक्ष्य रखा है, इसके लिए लाखों टन इथेनॉल का उत्पादन करना होगा
मक्के की खेती करने वाले किसान के खेत पेट्रोल के कुएँ के समान हो जायेंगे
भारत ब्रांड दाल सिर्फ 7 महीने में सबसे ज्यादा बिकने वाली ब्रांड बन चुकी है
अपने सम्बोधन में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज हमने पोर्टल के जरिए ऐसी शुरुआत की है जिससे NAFED और NCCF के माध्यम से किसानों को एडवांस में रजिस्ट्रेशन कर तूर दाल की बिक्री में सुविधा होगी और उन्हें MSP या फिर इससे अधिक के बाजार मूल्य का डीबीटी के जरिए भुगतान हो सकेगा। उन्होंने कहा कि इस शुरुआत से आने वाले दिनों में किसानों की समृद्धि, दलहन के उत्पादन में देश की आत्मनिर्भरता और साथ ही पोषण अभियान को भी मजबूती मिलेगी। इसके साथ ही क्रॉप पैटर्न चेंजिंग के हमारे अभियान में गति आएगी और भूमि सुधार एवं जल संरक्षण के क्षेत्रों में भी बदलाव आएगा। उन्होंने कहा कि आज की शुरुआत आने वाले दिनों में कृषि क्षेत्र में प्रचंड परिवर्तन लाने वाली शुरुआत है।
श्री अमित शाह ने कहा कि दलहन के क्षेत्र में देश आज आत्मनिर्भर नहीं है, लेकिन हमने मूंग और चने में आत्मनिर्भरता प्राप्त की है। उन्होंने कहा कि भारत जैसे कृषि प्रधान देश में पानी की उपलब्धता बढ़ रही है और देश के अलग-अलग हिस्सों का अलग-अलग मौसम कृषि के लिए बहुत उपयोगी है।प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने दलहन के उत्पादक किसानों पर बड़ी जिम्मेदारी डाली है कि वर्ष 2027 तक दलहन के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर हो। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि किसानों के सहयोग से दिसंबर 2027 से पहले दलहन उत्पादन के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर बन जाएगा और देश को एक किलो दाल भी आयात नहीं करनी पड़ेगी।
गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि दलहन के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सहकारिता मंत्रालय और कृषि मंत्रालय सहित अन्य पक्षों की कई बैठकें हुई हैं जिनमें इस लक्ष्य को प्राप्त करने की राह में आने वाली बाधाओं पर चर्चा की गई है। उन्होंने कहा कि कई बार दलहन उत्पादक किसानों को सटोरियों या किसी अन्य स्थिति के कारण उचित दाम नहीं मिलते थे, जिससे उन्हें बड़ा नुकसान होता था। इसके कारण किसान दलहन की खेती करना पसंद नहीं करते थे। श्री शाह ने कहा कि हमने निश्चित कर लिया है कि जो किसान उत्पादन करने से पहले ही NAFED और NCCF से अपना रजिस्ट्रेशन कराएगा, उसकी दलहन को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर शत-प्रतिशत खरीद कर लिया जाएगा। श्री शाह ने कहा कि इस पोर्टल पर रजिस्टर करने के बाद किसानों के दोनों हाथों में लड्डू होंगे। दलहन फसल आने पर अगर दलहन का दाम एमएसपी से ज्यादा होगा तो उसकी एवरेज निकाल कर भी किसान से ज्यादा मूल्य पर दलहन खरीदने का एक वैज्ञानिक फार्मूला बनाया गया है और इससे किसानों के साथ कभी अन्याय नहीं होगा।
श्री अमित शाह ने किसानों से अपील की कि वे NAFED और NCCF के साथ रजिस्टर करें और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की गारंटी है कि सरकार किसानों की दलहन खरीदेगी और उन्हें इसे बेचने के लिए कहीं भटकना नहीं पड़ेगा। उन्होंने विश्वास जताया कि देश को आत्मनिर्भर बनाने में देश का किसान कोई कसर नहीं छोड़ेगा। सहकारिता मंत्री ने कहा कि देश का बहुत बड़ा हिस्सा आज भी शाकाहारी है और उनके लिए प्रोटीन का बहुत महत्व होता है, जिसका एकमात्र स्रोत दलहन है। उन्होंने कहा कि कुपोषण के खिलाफ देश की लड़ाई में भी दलहन के उत्पादन का बहुत महत्व है। भूमि सुधार के लिए भी दलहन महत्वपूर्ण फसल है क्योंकि दलहन की खेती करने से भूमि की गुणवत्ता बढ़ती है। उन्होंने यह भी कहा कि दलहन के उत्पादन में पानी की जरूरत कम होती है और देश के अनके हिस्सों में गिरता भूजल स्तर हमारे भविष्य के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। अगर भूजल स्तर को बनाए रखना और बढ़ाना है तो ऐसी फसलों का चयन करना होगा जिनके उत्पादन में पानी का कम इस्तेमाल हो।
सहकारिता मंत्री ने कहा कि पहले किसानों के सामने दुविधा थी कि अगर वे दलहन का उत्पादन करते थे तो उन्हें उचित दाम नहीं मिलता था, लेकिन अब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने किसानों की दुविधा समाप्त कर दी है। अगर किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है तो MSP पर पूरी दलहन खरीदने की जिम्मेदारी NAFED और NCCF की है।उन्होंने कहा कि दलहन एक प्रकार से फर्टिलाइजर का एक लघु कारखाना आपके खेत में ही लगा देती है। एक हेक्टेयर क्षेत्र में 30 से 40 किलो नाइट्रोजन उपलब्ध कराना बहुत बड़ी बात है और ढेर सारे प्रयोगों से ये सिद्ध हुआ है। श्री शाह ने कहा कि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, छत्तीसगढ़ और बिहार जैसे राज्यों के किसानों के लिए यह शुभ समाचार है कि वे दलहन के लिए अपनी भूमि के आकार का रजिस्ट्रेशन करा के इस बात के लिए निश्चिंत हो सकते हैं कि उनकी दलहन एमएसपी पर खरीदी जाएगी।
गृह एवं सहकारिता मंत्री ने बहुत कम समय में पोर्टल की शुरुआत के लिए NAFED और NCCF की तारीफ की। उन्होंने देश के सभी एफपीओ और प्रगतिशील किसानों से अपील की कि वे पोर्टल पर रजिस्टर करने के बारे में उन सभी क्षेत्रों में जागरूकता पैदा करें जहां दलहन का उत्पादन हो सकता है। उन्होंने कहा कि किसानों को इस बात से अवगत कराया जाना चाहिए कि रजिस्ट्रेशन एक बहुत सरल प्रकार की ऐप से सभी भाषाओं में हो सकता है। उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रेशन का एक्नॉलेजमेंट आने के बाद NAFED और NCCF कम से कम MSP पर किसानों की दलहन खरीदने को बाध्य हैं और साथ ही किसानों के सामने बाजार में अपनी दलहन बेचने का विकल्प भी खुला है।
श्री अमित शाह ने कहा कि पोर्टल को काफी वैज्ञानिक तरीके से बनाया गया है, जिसमें आधार संख्या को सत्यापित किया जाता है, किसान की यूनिक आईडी बनाई जाती है, भूमि रिकॉर्ड के साथ यह एकीकृत किया जा चुका है और आधार बेस्ड पेमेंट के साथ इंटीग्रेटेड करके किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार के बगैर किसानों की उपज का मूल्य सीधा किसानों के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किए जाने की व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि वेयरहाउसिंग एजेंसियों के साथ भी इस ऐप का रियल टाइम बेसिस पर एकीकरण करने का प्रयास किया जा रहा है। आने वाले दिनों में वेयरहाउसिंग का बहुत बड़ा हिस्सा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार के कारण कोऑपरेटिव सेक्टर में आने वाला है। हर पैक्स एक बड़ा वेयरहाउस बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, इससे फसलों को दूर भेजने की समस्या का समाधान हो जाएगा। सहकारिता मंत्री ने कहा कि सरकार तो कम से कम एमएसपी की दर देगी ही और यदि किसानों को बाजार में ज्यादा दाम मिलता है तो वह अपनी फसल बाजार में बेचने के लिए भी स्वतंत्र हैं। उन्होंने किसानों से दलहन अपनाने और देश को एक जनवरी 2028 से पहले दलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की अपील की ताकि भारत को एक किलो दलहन भी इंपोर्ट नहीं करना पड़े।
गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि बहुत कम समय के भीतर 537प्राथमिक कृषि सहकारी ऋण समिति (PACS)और ढेर सारे किसान उत्पादक संगठन (FPO)इस पोर्टल के साथ जुड़ चुके हैं। गुजरात के 480, महाराष्ट्र के 227, कर्नाटक के 209, मध्य प्रदेश के 45 और अन्य राज्यों के पैक्स और एफपीओ ने भी पोर्टल से जुड़ने की इच्छा जाहिर की है। उन्होंने कहा कि बीते 9 साल में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के कार्यकाल में खाद्यान्न उत्पादन में बहुत बड़ा बदलाव आया है। श्री शाह ने कहा कि वर्ष 2013—14 में खाद्यान्न उत्पादन कुल मिलाकर 265 मिलियन टन था और 2022—23 में यह बढ़कर 330 मिलियन टन तक पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद के 75 साल में किसी एक दशक का विश्लेषण करें तो सबसे बड़ी बढ़ोत्तरी मोदी जी के नेतृत्व में देश के किसानों ने की है। उन्होंने कहा कि इस दौरान दलहन के उत्पादन में भी बहुत बड़ी बढ़ोतरी हुई है मगर तीन दलहनों में हम आत्मनिर्भर नहीं है और उसमें हमें आत्मनिर्भर होना है।
श्री अमित शाह ने कहा कि यह संतोष का विषय है कि दलहन के उत्पादन के मामले में क्षेत्रफल और उत्पादन दोनों में भारत आज दुनिया में नंबर वन है। दुनिया में दलहन उत्पादन की बुवाई का 31 प्रतिशत क्षेत्र भारत में हैऔर कुल दलहन उत्पादन में भारत की 28 प्रतिशत हिस्सेदारी है। उन्होंने कहा कि एक्सपोर्ट के लिए सरकार ने एक कॉपरेटिव बनाई गई है, जिसके माध्यम से दुनिया भर में दलहन निर्यात का लक्ष्य रखकर आगे बढ़ना है और यह जिम्मेदारी देश के किसानों पर है। श्री शाह ने कहा कि प्रोडक्विटी बढ़ाने के लिए अच्छे बीज उत्पादन के लिए भी एक कॉपरेटिव बनाई गई है, कुछ ही दिनों में हम दलहन और तिलहन के बीजों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए अपना प्रोजेक्ट सामने रखेंगे। हम अपने परंपरागत बीजों का संरक्षण और सवंर्धन भी करेंगे। इसके साथ-साथ उत्पादकता बढ़ाने के लिए हमने कॉपरेटिव आधार पर बहु-राज्यीय बीज संशोधन समिति बनाई है। उन्होंने सभी पैक्स से समिति में रजिस्टर कराने की भी अपील की।
श्री शाह ने कहा कि 2013-14 में देश का किसान 19 मिलियन मीट्रिक टन दलहन का उत्पादन करता था जबकि 2022-23 में 26 मिलियन मीट्रिक टन करता है, लेकिन हमें इस पर संतोष नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें एक ऐसी व्यवस्था बनानी है जिसमें 2027 तक न हम केवल दलहन का आयात बंद कर पाएं बल्कि इसका निर्यात भी कर सकें। सहकारिता मंत्री ने किसानों को भरोसा दिलाते हुए अपील की कि वे इस पोर्टल का सदस्य बनें, ऐसे छोटे-छोटे प्रयासों से हम देश के लिए बहुत बड़ा काम कर लेंगे और इससे किसान समृद्ध भी होंगे। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने लाल क़िले की प्राचीर से किसानों की आय दोगुनी करने को कहा था। उन्होंने कहा कि आंकड़ों को देखे बिना विपक्षी दल इसका मज़ाक उड़ाते हैं। सहकारिता मंत्री ने आँकड़े देते हुए बताया कि 2014-15 में तूर का MSP 4350 रुपये था और आज तूर की MSP 7000 रुपये है। उन्होंने कहा कि सिर्फ़ तूर में हमने किसान की आय में 65% की वृद्धि करने का काम किया है। इसी अवधि में मूँग की MSP 4600 रुपये थी जो आज 8558 रुपये हो गई है, उड़द का MSP 4350 रुपये था जो 6950 रुपये किया है, चने की MSP 3100 रुपये थी जिसे 5440 रुपये और मसूर का MSP 2950 रुपये था जिसे दो गुना से अधिक बढ़ाकर 6425 रुपये करने का काम किया है। श्री शाह ने कहा कि अब किसान तूर, उड़द और मसूर जितनी होना चाहें बो सकते हैं उनकी आय बिना कुछ और किए वैसे ही दोगुना हो जाएगी।
गृह एवं सहकारिता मंत्री ने देश भर के किसानों से कहा की MSP में 10 साल में इतनी अधिक बढ़ोतरी नरेन्द्र मोदी जी की सरकार के अलावा किसी और सरकार ने नहीं की है। उन्होंने कहा कि सहकारिता आंदोलन का लक्ष्य सहकार से समृद्धि है और इसमें समृद्धि का अर्थ किसान की समृद्धि से है। उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सहकार से किसान की समृद्धि के लिए सहकारिता आंदोलन को मज़बूत करने का काम किया है और किसानों को इसका स्पष्ट संदेश और समझ होनी चाहिए। श्री शाह ने कहा कि आज हमें अरहर, उड़द और मसूर में आत्मनिर्भर होने की आवश्यकता है। दलहन की गुणवत्ता और उत्पादन बढ़ाने के लिये ICAR और IIPR कानपुर के साथ 150 अच्छे बीज केन्द्र स्थापित किए हैं। उन्होंने कहा कि इस काम में बहुत सारे FPOs भी लगे हैं। दलहन की प्राइमरी खेती के लिए 608 FPOs और सेकेंडरी या इंटर खेती के लिए 123 FPOs रजिस्टर हो चुके हैं।
श्री शाह ने कहा कि इसके साथ-साथ इथेनॉल के उत्पादन को भी हमें बढ़ाना है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने पेट्रोल के साथ 20 प्रतिशत इथेनॉल मिलाने का लक्ष्य रखा है और 20 प्रतिशत इथेनॉल मिलाना है तो हमें इसके लिए लाखों टन इथेनॉल का उत्पादन करना है। उन्होंने कहा कि नाफेड और एनसीसीएफ इसी पैटर्न पर आने वाले दिनों में मक्के का रजिस्ट्रेशन चालू करने वाले हैं, जो किसान मक्का बोएगा, उसके लिए हम सीधा इथेनॉल बनाने वाली फैक्ट्री के साथ एमएसपी पर मक्का बेचने की व्यवस्था कर देंगे, जिससे उनका कोई शोषण नहीं होगा और पैसा सीधा उनके बैंक अकाउंट में जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे आपका खेत मक्का उगाने वाला नहीं बल्कि पेट्रोल बनाने वाला कुंआ बन जाएगा। श्री शाह ने कहा कि देश के पेट्रोल के लिए इम्पोर्ट की फॉरेन करेंसी को बचाने का काम देश के किसानों को करना चाहिए। सहकारिता मंत्री ने कहा कि वे देशभर के किसानों से अपील करना चाहते हैं कि हम दलहन के क्षेत्र आत्मनिर्भर बनें और पोषण अभियान को भी आगे बढ़ाएं।
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