मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एस. एन. केशरी ने जानकारी देते हुए बताया कि सांप के काटने का एकमात्र इलाज अस्पताल में दिए जाने वाले एंटीवेनम से होता है। झाड़-फूंक से किसी भी सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति की जान नहीं बचाई जा सकती है। अंधविश्वास के कारण ग्रामीण सर्पदंश के मामलों में झाड़-फूंक में समय नष्ट कर मरणासन्न स्थिति में पीड़ितों को चिकित्सालय लेकर आते है, जिससे ऐसे प्रकरणों में जीवन बचाने में चिकित्सक भी असफल रहते हैं। उन्होंने बताया कि जिले के ग्रामीण क्षेत्र में सर्पदंश से बचाव हेतु जनसामान्य में जागरूकता लाने हेतु विभागीय सभी अधिकारियों/कर्मचारियों को नागरिकों को व्यापक स्वास्थ्य शिक्षा देने व सजग रहने की हिदायत दी गई है। वर्तमान स्थिति में जिला चिकित्सालय सहित विकासखण्ड मुख्यालय स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में सर्पदंश के प्रकरणों का निःशुल्क इलाज हेतु पर्याप्त मात्रा में दवाईयां (एण्टी स्नेक वेनम) उपलब्ध है।
सर्पदंश से बचाव व इन घटनाओं में कमी लाने की जानकारी देते हुए सीएमएचओ ने बताया कि रात में घर से बाहर जाते समय पर्याप्त रोशनी न होने की स्थिति में टॉर्च रखना व जूते पहनना सुनिश्चित करें। घरों में समुचित प्रकाश की व्यवस्था बनाए रखें, घरों में कचरे का ढेर लगाकर न रखें। शयन कक्ष में भोजन सामग्री, धान आदि न रखें, ताकि चूहे का आना कम हो। सर्पदंश की घटनाओं से न घबराएं अन्यथा हृदय गति बढ़ सकती है। सर्पदंश के शिकार व्यक्ति के लिए यह घातक साबित हो सकता है, जिससे विष शरीर में तेजी से फैल सकता है।
सर्पदंश वाली जगह के उपरी हिस्से को कपड़ा या रस्सी से न बांधे। अधिकांश परिस्थितियों में बेहद हानिकारक हो सकती है। सांप के काटने वाली जगह पर कुछ भी बांधने के पश्चात् उपचार के लिए हटाये जाने पर विष का दुष्प्रभाव बढ़ सकता है। सर्पदंश से ग्रसित अंग के आसपास काटने, जलाने व हिलाने-डुलाने से शरीर के अन्य अंगो में विष का तीव्र संचार का खतरा बढ़ जाता है। सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को त्वरित नजदीक के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अथवा जिला चिकित्सालय पहुंचाएं, साथ ही परीक्षण व चिकित्सक के सलाह अनुसार उपचार कराएं। साथ ही उन्होंने अनाधिकृत चिकित्सक या झाड़-फूंक के उपचार से बचने की अपील की।