कश्मीर से कन्याकुमारी राष्ट्रव्यापी संकल्प यात्रा आज पहुँची उमदा

सत्संगति हमारे जीवन को निखारती है। शरीर की पुष्टि और इन्द्रियों की तृप्ति मानव जीवन का उद्देश्य नहीं हो सकता। शरीर का ध्यान रखना है, जितना आवश्यक है। शरीर को सबकुछ समझ कर आत्मकल्याण के मार्ग से दूर हो जाना ये श्रेष्ठ जीवन नहीं है।

उक्त उद्गार स्वर्वेद कथामृत के प्रवर्तक सुपूज्य संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने संकल्प यात्रा के क्रम में सामुदायिक भवन उमदा में आयोजित जय स्वर्वेद कथा एवं ध्यान साधना सत्र में उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं के मध्य व्यक्त किये।
महाराज जी ने कहा कि जिन्दगी जीने में ही जिन्दगी बित जाती है, जीवन जीने में ही जीवन चला जाता है और ये जीवन है क्या, कौन हूं मैं इसका अनुभव नहीं हो पाता है।

संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज ने जय स्वर्वेद कथा के दौरान कहा कि अध्यात्म का महाशास्त्र है स्वर्वेद। स्वर्वेद हमारी आध्यात्मिक यात्रा को सदैव जागृत रखता है। स्वर्वेद का आचरण मनुष्य को देवत्व में स्थापित कर देता है।

उन्होंने बताया कि भीतर की अनंत शक्ति का सच्चा ज्ञान स्वयं को जानने से होता है। आंतरिक शांति के अभाव से ही आज विश्व मे अशांति है। जब हम आत्म कल्याणकारी विचारों से अपने मन को भरते हैं तब हमारा मन शांत और स्थिर स्वभाव वाला बन जाता है।

संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को विहंगम योग के क्रियात्मक योग साधना को सिखाया। कहा कि यह साधना खुद से खुद की दूरी मिटाने के लिए है।

संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज की दिव्यवाणी जय स्वर्वेद कथा के रूप में लगभग 2 घंटे तक प्रवाहित हुई । स्वर्वेद के दोहों की संगीतमय प्रस्तुति से सभी श्रोता मंत्रमुग्ध हो उठे।

दिव्यवाणी के पश्चात मुख्य आगंतुकों को संत प्रवर जी के हाथों विहंगम योग का प्रधान सद्ग्रन्थ स्वर्वेद भेंट किया गया।

आयोजकों ने बताया कि विहंगम योग सन्त समाज के शताब्दी समारम्भ महोत्सव एवं 25000 कुण्डीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ के निमित्त संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज 17 जुलाई को संकल्प यात्रा का शुभारंभ कश्मीर की धरती से हो चुका है। संकल्प यात्रा के प्रथम चरण में कश्मीर , जम्मू, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड , उड़ीसा के पश्चात छत्तीसगढ़ में विगत आठ दिनों में आठ स्थानों पर संकल्प यात्रा कार्यक्रम होते हुए आज भिलाई के उमदा में पहुँच चुकी है।

17 एवं 18दिसंबर 2023 को विशालतम ध्यान – साधना केंद्र (मेडिटेशन सेंटर) स्वर्वेद महामंदिर, वाराणसी के पावन परिसर में 25000 कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ होना है। उसी क्रम में यह संकल्प यात्रा हो रही है जिससे अधिक से अधिक लोगों को पूरे भारत वर्ष में लाभ मिले।

इस शताब्दी समारम्भ महोत्सव में विहंगम योग के प्रणेता अनंत श्री सदगुरू सदाफल देव जी महाराज की 135 फिट से भी ऊंची प्रतिमा (Statue of Spirituality) का भी शिलान्यास होगा।

इस अवसर पर भक्तों ने भव्य विहंगम शोभायात्रा निकाली। अनुयायियों ने संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज का स्वागत अभिनंदन किया। शिष्यों ने हाथ मे अ अंकित श्वेत ध्वजा लिए सदगुरुदेव का जयघोष करते हुए, हम सबका संकल्प महान ! स्वर्वेद महामन्दिर निर्माण !! का संकल्प दोहराते हुए कार्यक्रम स्थल पहुँचे।

इस अवसर पर बबन सिंह ( निदेशक), कोटेश्वर चापड़ी उपाध्यक्ष, सुश्री श्याम कुमारी उसेंडी , दिनेश सिंह, आर एन साहू, पुरुषोत्तम सपहा, सत्येंद्र स्वर्वेदी आदि लोग उपस्थित रहे।

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