टीबी मुक्त पंचायत बनाने बैगा-गुनिया करेंगे सहयोग  टीबी रोग होने के कारण, बचाव के उपाय, लक्षण, जांच एवं उपचार के बारे दी गई जानकारी

 वैध बैगा गुनिया को टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत् दिया गया प्रशिक्षण
जशपुरनगर 23 अक्टूबर 2024/जिले को टीबी मुक्त बनाने अब वैध, बैगा गूनिया भी सहयोग करेंगे। इसके लिए जिला प्रशासन ने सार्थक पहल की है। कलेक्टर डॉ रवि मित्तल के निर्देश पर जिले को टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत् टीबी मुक्त पंचायत बनाने के लिए सहयोग हेतु स्वास्थ्य विभाग एवं पिरामल फाउन्डेशन के संयुक्त तत्वाधान में जिला चिकित्सालय में प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। जिसमें टीबी रोग होने के कारण, बचाव के उपाय लक्षण, जांच, उपचार शासन के द्वारा टीबी मरीजों को प्रदान की जाने वाली प्रोत्साहन राशि और सुविधाओं पर विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की गई।
           विदित हो कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने जिले के सभी पंचायतों को टीबी मुक्त पंचायत बनाने के लिए टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत् टीबी रोग होने के कारण, बचाव के उपाय, लक्षण, जांच एवं उपचार के संबंध में लोगों को जानकारी देने के लिए निर्देशित किए है।
           इसी कड़ी में जिला प्रशासन के सार्थक पहल से जिले के वैध बैगा गूनिया के प्रशिक्षण में  बैगों को जिला क्षय नियंत्रण केन्द्र का भ्रमण कराया गया और उन्हें यह संदेश दिया गया की मरीजों का उपचार वैधों के पास न कराकर नजदिकी स्वास्थ्य केन्द्रों तक भेजना है। क्योंकि वैधों के पास जांच की उपकरण व संसाधन नहीं होते हैं। उन्हें बताया गया कि स्वास्थ्य केन्द्रों में टी.बी. मरीजों को ईलाज निःशुल्क होता है।
          इस दौरान जिला क्षय नियंत्रण अधिकार डॉ. उदय प्रकाश भगत ने जानकारी देते हुए बताया कि जिले के समस्त सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में सीबी नॉट मशीन एक्स-रे एवं माइक्रोस्कोप जांच के लिए उपलब्ध है। जिला क्षय नियंत्रण केन्द्र में ट्रू नॉट, सीबी नॉट, एक्स-रे, माइक्रोस्कोपी जांच की सुविधा निःशुल्क प्रदान किया जाता है। इसके साथ ही जिले के समस्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में जांच की सुविधा प्रदान की जा रही है। उपस्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर प्राप्त नमुनों को टीबी मितानों के माध्यम से परिवहन कर जांच केन्द्र तक पहुंचाकर परीक्षण किया जा रहा है। किसी संभावित व्यक्ति की जांच पश्चात् सकारात्मक परिणाम आता है तो उसे रेफर किए हुए व्यक्ति को 500 सौ रूपए सुचनादान के मापदण्ड के अनुसार प्रोत्साहन राशि प्रदान भी दिया जाता है। उन्होंने बताया कि रेफरलकर्त्ता में पंच, सरपंच, स्व सहायता समूह, वैध, गुनिया बैगा,  धार्मिक गुरू, प्रचारक व कोई भी सामान्य व्यक्ति हो सकता है।
          पिरामल फाउन्डेशन द्वारा जिले में विगत 2 वर्षाे से सामुदायिक गतिविधि कर रेफरलकर्ताओं को हर स्तर पर संवेदिकरण, प्रशिक्षण, शपथ गतिविधि कर आधारभूत जानकारी प्राप्त किया जा रहा है। रूस्तम अंसारी जिला कार्यक्रम समन्वयक द्वारा निक्षय पोषण योजना पर विस्तार पूर्वक बताया गया। उन्होंने कहा कि निक्षय मित्र बनकर टीबी मरीज को किसी भी प्रकार की सहायता करने हेतु स्वयं निक्षय मित्र बने और लोगों को प्रेरित करें।
         डॉ.जी.एस. जात्रा के द्वारा वैधों को निडर निर्भिक होकर विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर संभावित टीबी मरीजो को रेफर करने के लिए कहा। ताकि उनकी जांच उपचार बेहतर तरीके से हो सके। उन्होंने कहा कि जिले की समस्त स्वास्थ्य संस्थाओं के अधिकारी-कर्मचारी आपको पूर्ण सहयोग करेंगे।
  पिरामल फाउन्डेशन के जिला समन्वयक श्री संतोष सोनी द्वारा बैगों को प्रेरित करते हुए कहा  कि आप जनजातिय समुदाय को दुख, दर्द, रोग बिमार के प्रथम निवारणकर्ता हैं। स्वास्थ्य समस्या पर लोग प्रथम उपचार कराने हेतु आपके पास आते है। आप टीबी के लक्षणयुक्त व्यक्ति की रेफरल स्वास्थ्य संस्था तक करें ताकि सही जांच उपचार हो सकेगा। आपके योगदान से हम टीबी मुक्त जशपुर की परिकल्पना को साकार कर पायेंगे। प्रशिक्षण में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी एवं रौशनी राय, प्रसन्नजीत, फैलो पिरामल फाउन्डेशन उपस्थित थे।
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