Friday, July 26

ब्रह्मविद्या विहंगम योग संत समाज रायपुर ने निकाली भव्य स्वर्वेद यात्रा

*संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज के तत्वधान में सम्पूर्ण भारत में 20 राज्यों में 200 से अधिक जगहों में निकाली गई स्वर्वेद यात्रा*


*रायपुर।।* भारतीय नव वर्ष के उपलक्ष्य में मंगलवार को मुख्यालय महर्षि सदाफल देव आश्रम, महादेव घाट रायपुर से विहंगम योग परिवार ने भव्य स्वर्वेद यात्रा निकाला।
यात्रा में संत समाज व सनातन धर्म प्रेमी शामिल हुए। सदाफल देव आश्रम रायपुर से रायपुर चौक, सुंदर नगर, लाखे नगर, पुरानी बस्ती, तात्या पारा, आमापारा चौक, अग्रसेन चौक, समता कॉलोनी, अनुपम गार्डन, डीडी नगर होते हुए शहर के कई मुहल्लों का भ्रमण कर लोगों को हिंदी नववर्ष का शुभकामना दिया।
मौके पर विहंगम योग परिवार से रायपुर जिला संयोजक सुधीर कुमार सपहा ने कहा स्वर्वेद अध्यात्म जगत के अन्यतम कृति है, घर-घर में स्वर्वेद जन-जन में स्वर्वेद की आवश्यकता है। भारत ऋषियों का देश है। भारत की आत्मा अध्यात्म है।

अगर मानव स्वर्वेद का नियमित पाठ करें तो मानव जीवन का के लक्ष्य का मार्ग प्राप्त होने लगता है
स्वर्वेद पढ़ने मात्र से मानव जीवन के अशुभ संस्कार नष्ट होने लगता है और शुभ संस्कार उदय होने लगता है मानव के अंदर आध्यात्मिक शक्ति जागृत होने लगता है।
मानव अपने स्वरूप को पहचान लेता है और अपने कर्तव्य से जुड़ जाता है स्वर्वेद के रचियता अनंत श्री सद्गुरु सदाफल देव महाराज ने 17 वर्ष तपस्या करने के बाद इस गुप्त ज्ञान को इस धरा धाम में प्रकट किया।
स्वर्वेद का अर्थ होता है स्व अर्थात् आत्मा और वेद कहते ज्ञान या परमात्मा अर्थात आत्मा और परमात्मा की संपूर्ण कथा स्वर्वेद के अंदर निहित है।
आज सम्पूर्ण भारत में 20 राज्यों में 200 से भी अधिक जगहों में विहंगम परिवार से सदगुरु उत्तराधिकारी संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज के तत्वाधान में स्वर्वेद यात्रा आयोजित की गई।

स्वास्थ्य, सुख और शांति का संगम है विहंगम योग। सेवा, सत्संग और साधना की त्रिवेणी है विहंगम योग। विहंगम योग का ध्यान आंतरिक शांति का मार्ग प्रशस्त करता है। एक साधक जब सिद्धासन में बैठकर अपनी चेतना को गुरु उपदिष्ट भूमि पर केंद्रित करता है तो वह मानसिक व आत्मिक शांति का अनुभव करता है। मन पर नियंत्रण न होने से ही समाज में तमाम विसंगतियां फैलीं हैं।
विहंगम योग मात्र एक उपाय है।
कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ महा निदेशक बब्बन सिंह जी, आश्रम व्यस्थापक प्रेम प्रकाश मिश्रा, उमेश अग्रवाल, आर एन साहू, योगेश्वरानंद नेताम”योगी”, सुधीर सपहा, जी आर साहू, सावरकर, हरिश्चंद्र, सन्नी धीवर, जितेंद्र बजाज, मनसुख दर्रो, ममता, सोनी धीवर, लता साहू, समतुल यादव, संतु, दिनेश, नंदू, विमल के साथ सम्पूर्ण संत समाज शामिल हुए।

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