रायपुर दक्षिण की सीट की लड़ाई बेहद नीरस है। केवल कार्यकर्ताओं में उत्साह है, क्योंकि नेता बृजमोहन अग्रवाल में उत्साह है और उनसे जुड़कर उत्साह का माहौल बन ही जाता है। इसलिये सुनील सोनी की जीत में कोई संदेह नहीं।
कहा भी जाता है प्रायः कि ऐसी कोई सीट जीती नहीं जा सकती जिसे बृजमोहन हराना चाहंे और ऐसी कोई सीट हारने का आशंका नगण्य है जिसे वे जिताना चाहें।
लेकिन आम जनता आराम से है। पता है नतीजा क्या होना है। इसलिये मामला किसी कोण से दिलचस्प नहीं रहा। दिलचस्प मामला तो महाराष्ट में घटा है जहां एक महिला प्रत्याशी को माल कहने पर सांसद के विरूद्ध एफआईआर दर्ज हो गयी है।
हालांकि ऐसा होता नहीं आमतौर पर… पर अब बारीक-बारीक बातों पर ध्यान दिया जाने लगा है और सामने वाले को आड़े हाथांे लिया जाने लगा है।
भाजपा से त्यागपत्र देकर शिंदे शिवसेना से चुनावी समर में डटीं शाइना एनसी को शिवसेना उद्धव के सांसद अरविंद सावंत ने इम्पोर्टेड माल कह दिया। माल कहे जाने की अशिष्टता को लेकर मामला बन गया।
बरसो पूर्व एक फिल्म में अक्षयकुमार ने भी रवीना टण्डन को चीज कहा था। गाने के बोल थे ‘तू चीज बड़ी है मस्त-मस्त’… लेकिन तब किसी ने इसे ‘इशू’ नहीं बनाया था। क्योंकि मामला किसी की हार-जीत से नहीं जुड़ा था।
दंगाईयों से नुकसान की भरपाई
योगी ने नयी परम्परा बनाई
‘कटेंगे तो बटेंगे’ वाले धुंआधार बयान से देश में धमाका और हिंदुओं को एकता का संदेश देने वाले धुआंधार नेता योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषण में कहा कि
‘उत्तरप्रदेश में नो कफ्र्यू नो दंगा, सर्वत्र है चंगा’।
इतिहास बताता है कि एक दौर था जब उत्तरप्रदेश में दंगे होना आम बात थी। वहां पर भी मुस्लिम बाहुल्य इलाकों मे ज्यादा होता था। लेकिन देखने में आया है कि जब से योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी है तब से दंगे लगभग समाप्त हो गये हैं।
इसका सबसे बड़ा कारण सरकार की इच्छा शक्ति और कार्यप्रणाली रही।
सारा देश चैंका तब, जब योगी जी ने सबसे पहले तो दंगे करने वालों की लिस्ट बनाई और जिसने जो नुकसान किया उसका बिल उसके घर भिजवाया।
पहले तो दंगाई आराम-आराम से आम जनता के घर, मकान लूट ले जाते थे और कोई पूछने वाला नहीं होता था,जो लोग लुट जाते थे वे यही सोचकर खुश हो जाते थे कि चलो जान तो बच गयी।
सरकारी संपत्ति को बेरहमी के साथ जला दिया जाता था। सरकार मूक बनी रहती थी, पर योगी सरकार ने इस तरह लूटने वालों से कड़ाई से वसूली करनी शुरू कर दी।
यहां तक कि कई लोगों को घर तक बेचने की नौबत आ गयी।
दंगाईयों के पोस्टर भी चैराहों पर लगाए जाने लगे। हालांकि कुछ कानूनी पेचीदिगियों के चलते वे हटा दिये गये पर दंगाईयों को नानी तो याद आ ही गयी। हिम्मत पस्त हो गयी।
अपने भाषण में आगे योगीजी कहते हैं कि ‘कावड़िया यात्रा में हमारे आने से पहले हर बार दंगा होता था अब चार करोड़ लोग यात्रा निकालते हैं, कोई पत्थर नहीं चलाता उलटा पुष्पवर्षा होती है’।
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जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
मोबा. 9522170700
‘बिना छेड़छाड़ के लेख का प्रकाशन किया जा सकता है’(IMNB NEWS AGENCY)
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