संयुक्त टीम द्वारा नाबालिग बालिका का रोका गया बाल विवाह

बेमेतरा । कलेक्टर रणबीर शर्मा के आदेशानुसार जिले में बाल विवाह मुक्त करने हेतु संयुक्त टीम जिले में लगातार कार्यवाही कर रही है। इसी कड़ी में बीते दिवस जिला बाल संरक्षण इकाई (मिशन वात्सलय) को प्राप्त सूचना अनुसार एवं चाइल्ड हेल्पलाईन न.1098 जिला बाल संरक्षण इकाई महिला एवं बाल विकास विभाग को विकासखण्ड बेमेतरा के ग्राम नवलपुर, तह-बेमेतरा की एक बालिका जिसका उम्र महज 16 वर्ष 7 माह की है, उक्त बालिका बाल विवाह की जानकारी प्राप्त हुई थी, जानकारी के आधार पर श्री चन्द्रबेश सिंह सिसोदिया जिला कार्यक्रम अधिकारी एवं श्री सी.पी. शर्मा महिला एवं बाल विकास अधिकारी के निर्देशानुसार जिला बाल संरक्षण अधिकारी श्री व्योम श्रीवास्तव एवं बेमेतरा परियोजना अधिकारी श्रीमती लीना दीवान के मार्गदर्शन में बाल विवाह के रोकथाम हेतु कार्यवाही की गयी। उक्त ग्राम में महिलांगे परिवार की बालिका का बाल विवाह होने जा रहा था। बाल विवाह किये जाने की सूचना पर महिला एवं बाल विकास विभाग जिला बाल संरक्षण इकाई चाइल्ड हल्पलाईन 1098 एवं पुलिस विभाग के संयुक्त टीम द्वारा शिकायत प्राप्त होने पर महिलांगे परिवार में हो रहे बालिका के बाल विवाह को रोकवाया गया। उक्त बालिका की बारात ग्रान हीरापुर, जिला कवर्धा के कोसले परिवार से आना था। सूचना के पश्चात टीम द्वारा बालिका के परिजनों के समक्ष कार्यवाही किया गया। बालिका के परिजनों के द्वारा निर्धारित आयु पूर्ण होने के उपरांत ही विवाह किये जाने हेतु अपनी सहमति प्रदान की गई तथा विवाह स्थगित करने की बात कही गई, युवक के परिजनों के कथन अनुसार हमें यह ज्ञात नहीं था कि वर्तमान में मौजूदा कानून के तहत् 18 वर्ष से कम आयु की बालिका एवं 21 वर्ष से कम आयु के बालक का विवाह गैर कानूनी है।

उक्त गठित टीम में महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा समझाईस दिये जाने पर वधू पक्ष द्वारा उक्त बालिका की विवाह वर्तमान में मौजूदा कानून के तहत् विवाह किये जाने की शपथपूर्वक कथन किया गया। संयुक्त टीम द्वारा उन्हे बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 में उल्लेखित प्रावधानों के बारे में बताया गया कि निर्धारित आयु पूर्ण होने के पूर्व विवाह करवाना अपराध है, बाल विवाह कराने वाले सभी सेवा प्रदाताओं पर भी कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। जो व्यक्ति ऐसा करता या कराता है या विवाह में सहयोग प्रदान करता है. तो उसे भी 02 वर्ष तक कठोर कारावास अथवा जुर्माना जो कि 1 लाख रू. तक हो सकता है अथवा दोनो से दण्डित किया जा सकता है। बाल विवाह के दुष्परिणामः बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का निर्मम उल्लंघन है। बाल विवाह से बच्चों के पोषण और हिंसा, उत्पीडन व शोषण से बचाव के मूलभूत अधिकारों का हनन होता है। कम उम्र में बाल विवाह से शिक्षा के अधिकारों का हनन होता है। बाल विवाह से बच्चों के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पडता है।

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