मुख्यमंत्री श्री चौहान ने पुराने विमानतल पर मीडिया प्रतिनिधियों से चर्चा में कहा कि स्व. श्री यादव मध्यप्रदेश के सपूत थे, वे अचानक चले गए, मेरे तो वे पड़ोसी थे। बचपन से ही प्रखर, जुझारू और अन्याय के खिलाफ लड़ने वाले स्व. श्री शरद जी ने समाज के कमजोर वर्ग, विशेषकर पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित किया। छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय राजनीति में छाने वाले स्व. श्री यादव जी, जे.पी. आंदोलन के प्रमुख स्तंभ रहे। अस्सी-नब्बे के दशक में उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति की दिशा बदली, मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू करवाने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही। वे ऐसे नेता थे जो गलत का विरोध करते थे, उन्होंने नैतिकता की राजनीति की। जब तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया और संसद का कार्यकाल पाँच से बढ़ा कर छह वर्ष किया, तब स्व. श्री शरद जी ने संसद की सदस्यता से यह कह कर इस्तीफा दिया था कि जनता ने उन्हें पाँच साल के लिए चुना था, छह साल के लिए नहीं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि स्व. श्री शरद जी एक अद्भुत नेता थे, जो अभी भी देश को बहुत कुछ दे सकते थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अपनी और प्रदेशवासियों की ओर से श्रद्धेय स्व. श्री शरद यादव को श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए ईश्वर से दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करने और उनके परिजन, परिचितों तथा अनुयायियों को यह गहन दुख सहन करने की क्षमता प्रदान करने की प्रार्थना की है।