अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प के बाद भारतीय सेना ने बयान जारी कर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर मौजूदा हालात की जानकारी दी है.
अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई है, जिसके बाद भारतीय सेना की तरफ से जारी बयान में बताया जा रहा है कि 9 दिसंबर को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के सैनिक यांग्त्से एरिया की तरफ बढ़े थे, लेकिन इस इलाके में पेट्रोलिंग कर रही भारतीय टुकड़ी ने देख लिया और चीन की घुसपैठ को रोक दिया.
भारत के 6-7 और चीन के 9-10 सैनिक जख्मी
अरुणांचल प्रदेश के तवांग में भारतीय सेना और चीन की सेना के बीच झड़प उस वक्त हुई, जब वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के सैनिक यांग्त्से एरिया की तरफ बढ़ रहे थे. इस दौरान दोनों ओर से हाथापाई और धक्कामुक्की भी हुई, जिसमें दोनों देशों के सैनिकों को चोटें भी आई हैं. बताया जा रहा है कि झड़प में भारतीय सेना के 6 से 7 जवान जख्मी हुए हैं, जिन्हें गुवाहाटी के अस्पताल में भर्ती कराया गया है. वहीं, चीन के 9 से 10 सैनिक जख्मी हुए हैं.
भारतीय सेना ने बताया एलएसी पर अब कैसे हैं हालात
भारतीय सेना और चीन की सेना के बीच झड़प के बाद भारतीय सेना (Indian Army) की तरफ बयान जारी किया गया है, जिसमें बताया जा रहा है कि अब वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर हालात सामान्य हैं. सेना के बयान के अनुसार, झड़प के बाद दोनों देशों के बीच फ्लैग मीटिंग भी हुई है, जिसके बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा से चीन के सैनिक पीछे हट गए हैं.
तवांग की तरफ बढ़े से 300 से ज्यादा चीनी सैनिक
सूत्रों के मुताबिक, चीन की तरफ से 300 से ज्यादा सैनिक भारतीय सीमा में तवांग की तरफ बढ़े थे, लेकिन चीन के सैनिकों को भारत की ताकत का अंदाजा नहीं था. भारत की तरफ से चीन को तगड़ा जवाब मिला, जिसमें चीन को भारी नुकसान हुआ है. इस बार भारतीय सेना की नजर चीन की हरकतों पर पहले से थी.
चीन पहले भी कर चुका है घुसपैठ की कोशिश
विस्तारवाद की सनक में पागल चीन (China) ने पहले भी घुसपैठ वाली घिनौनी हरकत करने की कोशिश की है. तवांग पहला मौका नहीं है, जब चीन और भारत की सेना के बीच घमासान हुआ हो. इससे पहले गलवान और पेंगोंग में भी दोनों तरफ की सेनाएं आमने सामने आ गई थीं. इससे पहले जून 2020 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच गलवान घाटी में झड़प हुई थी, जिसमें कर्नल संतोष बाबू समेत भारत की सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे. इस झड़प में चीन के 40 से ज्यादा सैनिक भी मारे गए थे. इसके बाद 29-30 अगस्त को पैंगोंग झील के दक्षिणी हिस्से पर भी चीन की ओर से घुसपैठ की कोशिश हुई थी, जहां भारतीय सेना पहले से डटी थी. लिहाजा, चीन की हर चाल बेकार गई. हालांकि, दोनों ओर से बड़े स्तर पर वार्ता होती रही है और अब तक दोनों ओर से मामला शांत ही रहा था.