Saturday, July 27

LS 2024,MODI जिसमे मिला दो लगे उस जैसा, Rahul : दंतेश्वरी मैया या दंतेश्वर माया, MODI झूठ बोलता है, राहुल CONGRESS का भट्ठा बैठाएगा 0 जवाहर नागदेव

 

आचार्य प्रमोद कृष्णन का एक बयान सुना कि कांग्रेस से और भी जाएंगे। धीरे-धीरे सब जाएंगे। एक-एक करके जाएंगे। कांग्रेस के पतन का कारण राहुल गांधी है।
कांग्रेस की सबसे बड़ी समस्या राहुल गांधी है। जब तक राहुल गांधी हैं कांग्रेस को कोई नहीं बचा सकता।
धर्म का विरोध, संस्कारों का विरोध, संतों का विरोध।

बेहद दुखी स्वर में आचार्य जी ने ये बातें कहीं। निस्संदेह इन बातों की सच्चाई में कोई संदेह नहीं है।
दो-तीन दिन पहले राहुल गंाधी का भाषण सुना था, बोले …. जैसे ही मैने एक्सरे की बात की नरेंद्र मोदी कांपने लग गया। जेसे ही उसको डर लगता है झूठ बोलना शुरू कर देता है।

मगर.. इस बार नहीं निकल पाएगा… वगेरा…वगेरा। बोलता है, उसको, पाएगा, ये सारे शब्द उम्र में, अनुभव में, लियाकत में, संस्कारों में, ईमानदारी में, सद्भावना में, चरित्र में, अध्यात्म में, वफादारी में यानि हर बात में मोदी से दूर-दूर तक कोई मुकाबला नहीं होने वाले राहुल गांधी कह रहे हैं मोदीजी के लिये।

जाने क्या होगा कांग्रेस का… ?
राहुल के प्रति थोड़ी नाराजगी होने के बाद भी मैं राहुल गांधी ‘बोला’ नहीं लिख पाया, मैने राहुल गांधी बोले ही लिखा।
ये मेरे संस्कार हैं।
ऐसी भाषा से राहुल कांग्रेस का भट्ठा बिठाने में लगे हैं। आचार्य प्रमोद कृष्णन ने सौ प्रतिशत सही कहा।

जितना राहुल मोदीजी को कोसते हैं, उतना मोदीजी को फायदा और उससे भी अधिक कांग्रेेस को नुकसान होता है हर बार…

चुनावी घमासान बड़ा दिलचस्प हो गया है। रोमांच सा है। मजा आ रहा है। हालांकि परिणाम सबको पता हैं। सब जानते हैं कि जीत कौन रहा है, हार कौन रहा है और शायद ये भी कि सूपड़ा किसका साफ होने वाला है।

कयास सिर्फ ये लगाए जा रहे हैं कि जीतने वाला कितने से जीतेगा। विपक्ष जीतने वाले को कहां पर रोक सकता है।
एक तरफ नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा है, दूसरी तरफ समूचा विपक्ष। लगता है जैसे लकड़ी की तलवार से ताल ठोक रहे हैं। एक तरफ मोदी हैं पानी जैसे। जिसमें मिला दो लगे उस जैसा। जहां गये वहीं के दिखने लगते हैं, अपने से।

पिछले दिनों दमोह गये तो वहां की भाषा में बोले सभी जनों ‘खांे’ राम-राम। वहां पर को की जगह खों इस्तेमाल करते हैं।
दूसरी ओर राहुल गांधी हैं एकदम तेल जैसे। कभी किसी में मिक्स नहीं होते। किसी भी क्षेत्र में उन्हें देखकर वहां के लोगों को अपना सा का भाव नहीं आता। उनका रिकाॅर्ड है वे एक आध को छोड़कर कोई भी थोड़ा लंबा नाम तक सही नहीं ले पाते।

छत्तीसगढ़ में आए तो यहां पर दंतेश्वरी मैया को दंतेश्वर माया बोल गये वो भी अटक-अटक कर। हर जगह उनका यही रिकाॅर्ड रहा है। एक बार कुंभाराम योजना को कुंभकरण योजना बोल गये थे।
उन्हें पहले से नाम रटने की सलाह कोई क्यों नहीं देता ? कम से कम संस्कारों की सलाह तो दो
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जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
मोबा. 9522170700
‘बिना छेड़छाड़ के लेख का प्रकाशन किया जा सकता है’
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