Saturday, July 27

बाजार में न शेड बनाए गए और ना ही सुविधायुक्त प्लेटफार्म

नगरनार। विकास खंड जगदलपुर की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत नगरनार में भ्रष्टाचार के मामले भी बड़े बड़े सामने आ रहे हैं। ग्राम पंचायत के खेवनहार शासन और उद्योगों से मिलने वाले धन के सहारे अपनी नैया पार लगा रहे हैं। सरपंच, सचिव और कुछ पंच ग्राम पंचायत को विभिन्न मदों से मिलने वाली रकम की बंदरबांट करने में मशगूल हैं। नगरनार इस्पात संयंत्र से मिले करोड़ों रु. का भी गोलमाल किया गया है। यह रकम बाजार स्थल के सौंदर्यीकरण के लिए दी गई थी, लेकिन अनियमितता बरतते हुए कार्य निम्न स्तर का कराया गया और रकम डकार ली गई। इस मसले को लेकर गांव में अब विरोध के स्वर उठने लगे हैं। नगरनार के रास्ते बस्तर संभाग का भाग्योदय होने जा रहा है। यहां विशाल इस्पात संयंत्र की स्थापना हो चुकी है। इस स्टील प्लांट के लगने से ढेरों सहायक उद्योगों की भी स्थापना के द्वार खुल गए हैं तथा बस्तरिहा युवाओं और मजदूरों के लिए रोजगार की अपार संभावनाएं भी उभरने वाली हैं। ऐसी सुखद अनुभूति के बीच भ्रष्टाचार की काली छाया भी जगदलपुर जनपद की इस सबसे बड़ी ग्राम पंचायत पर मंडराती नजर आने लगी है। शासन से विभिन्न मदों और योजनाओं के तहत नगरनार ग्राम पंचायत को मिलने वाली राशि की अफरा तफरी की बात समय समय पर सामने आती रही है, लेकिन अब बडे पैमाने पर शासन तथा इस्पात संयंत्र की ओर से दी जाने वाली रकम की भी जमकर बंदरबांट होने लगी है। मिली जानकारी के अनुसार नगरनार इस्पात संयंत्र प्रबंधन ने कुछ माह पहले अपनी सीएसआर स्कीम के तहत बाजार स्थल के सौंदर्यीकरण के लिए नगरनार ग्राम पंचायत को करोड़ों रुपए आवंटित किए थे। सरपंच, सचिव और कुछ पंचों ने आपसी सांठगांठ कर इस रकम के बड़े हिस्से को आपस में बांट लिया तथा थोड़ी बहुत राशि से सौंदर्यीकरण के नाम पर मामूली और पूरी तरह गुणवत्ता विहीन कार्य कराए। बाजार में फुटकर व्यापारियों की दुकानें लगाने के लिए आधा फुट से भी कम ऊंचे चबूतरे बनवाए गए हैं। चबूतरों के निर्माण के लिए बहुत ही कम मात्रा में सीमेंट तथा अन्य सामग्री का उपयोग किया गया है। चबूतरों की ऊपरी सतह का भराव सीमेंट कांक्रिट से ना कर मिट्टी भरवा दी गई है। चबूतरे अभी से टूट फूट गए हैं। वहीं नालियों का निर्माण भी स्तरहीन कराया गया है। इन नालियों से बरसाती पानी के साथ ही दुकानों व आसपास के घरों से निकलने वाली गंदगी की समुचित निकासी नहीं हो पाती। बाजार स्थल का समतलीकरण भी ढंग से नहीं कराया गया है तथा वहां मिट्टीयुक्त मुरुम डलवाई गई है। इसके चलते हल्की बरसात होने पर पूरे बाजार परिसर में कीचड़ ही कीचड़ हो जाता है। कीचड़ की वजह से खरीदारों और व्यापारियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

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