प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात’ में नारायणपुर जिले के बुटलूराम के कार्यों को सराहा

*मुख्यमंत्री श्री साय ने प्रधानमंत्री द्वारा बुटलूराम के कार्यों की सराहना किए जाने पर प्रसन्नता जताई*

रायपुर, 27 अक्टूबर 2024/ देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 115वें संस्करण में नारायणपुर जिले के देवगांव निवासी बुटलूराम माथरा जी की प्रशंसा की। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में नारायणपुर के बुटलूराम माथरा जी अबूझमाड़िया जनजाति की लोक कला को संरक्षित करने में जुटे हुए हैं। उनकी ये कला ‘‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं’’ और ‘‘स्वच्छ भारत’’ जैसे अभियान से लोगों को जोड़ने में भी बहुत कारगर रही है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा लोक कला के संरक्षण और संवर्धन में जुटे बुटलूराम माथरा की सराहना किए जाने पर प्रसन्नता जताई है।
मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से अबुझमाड़िया जनजाति की लोककला के संरक्षण, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान और स्वच्छ भारत मिशन में उनके योगदान को उजागर किया। बुटलूराम माथरा पिछले चार दशकों से जनजातीय लोककला के संरक्षण में सक्रिय हैं। उनके प्रयासों ने न केवल स्थानीय संस्कृति को जीवित रखा है, बल्कि उन्होंने अपनी कला के माध्यम से सामाजिक अभियानों को भी बढ़ावा दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे कार्य समाज को प्रेरित करते हैं और देश की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने में सहायक होते हैं।
श्री बुटलूराम माथरा ने बताया कि उन्होंने 5वीं कक्षा तक पढ़ाई की है, लेकिन इसके बावजूद उनकी कला ने उन्हें एक नया मार्ग प्रशस्त किया है। मुख्य पेशे के तौर पर कृषक होने के नाते, वे बांस की कला कृतियों के माध्यम से विभिन्न प्रकार के यंत्र बनाते हैं। उनकी यह अनोखी कला न केवल उनकी पहचान है, बल्कि इससे वे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी प्रदान कर रहे हैं। उनकी कृतियों में बांस की सजावट, बर्तन और अन्य यांत्रिक उपकरण शामिल हैं, जो न केवल सुंदरता में वृद्धि करते हैं बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी हैं। बुटलूराम का मानना है कि कला समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती है और इससे आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने बुटलूराम के प्रयासों को एक मिशन के रूप में देखा, जिसमें सामाजिक कल्याण और सांस्कृतिक संरक्षण दोनों शामिल हैं। उनका यह कार्य निश्चित रूप से दूसरों को प्रेरित करेगा और जनजातीय संस्कृति को संरक्षित करने में मदद करेगा।

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