प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना से सतीश धावलकर का घर बना ऊर्जा उत्पादन का स्रोत

*बिजली बिल की चिंता खत्म, अब छत के सोलर पैनल से रोशन हो रहा हर कोना*

रायपुर, 04 जुलाई 2025/ ऊर्जा बचत और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में जब सरकार की योजनाएं आम नागरिक तक पहुंचती हैं, तो उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन साफ दिखाई देते हैं। ऐसा ही एक प्रेरणादायक उदाहरण हैं कवर्धा जिले के मठपारा निवासी सतीश धावलकर की, जिन्होंने प्रधानमंत्री सूर्य घर-मुफ्त बिजली योजना का लाभ उठाकर न केवल बिजली बिल से मुक्ति पाई, बल्कि अपने घर को सौर ऊर्जा से आत्मनिर्भर बना लिया। यह योजना उनके लिए सिर्फ एक सरकारी पहल नहीं, बल्कि जीवन को रोशन करने वाली क्रांतिकारी बदलाव बन गई।

श्री सतीश धावलकर ने योजना के तहत 3 किलोवाट क्षमता का रूफटॉप सोलर प्लांट अपने घर की छत पर स्थापित किया। इसमें केंद्र सरकार द्वारा 78 हजार रूपए की सब्सिडी प्रदान की गई है, जबकि छत्तीसगढ़ शासन की ओर से 30 हजार रूपए की अतिरिक्त सब्सिडी मिली है। इस तरह 1 लाख 8 हजार सब्सिडी मिली। इस सहायता से उन्हें सोलर पैनल लगवाने में भारी आर्थिक सहयोग मिला है। उन्होंने बताया कि सोलर पैनल की स्थापना के बाद से उनके बिजली बिल में उल्लेखनीय कमी आई है। इससे पहले उनके घर का बिजली बिल हर महीने 1200 से 1500 रुपए तक आता था। लेकिन अब, सोलर प्लांट लगने के बाद उनका बिजली बिल पूरी तरह से शून्य हो गया है। उन्होंने बताया कि उनके घर में पंखा, लाइट, मोटर पंप जैसे सभी उपकरण अब इसी सौर ऊर्जा से चलते हैं।

सतीश धावलकर इस बात से भी खुश हैं कि सरकार की सब्सिडी सीधे उनके बैंक खाते में प्राप्त हुई। उन्होंने कहा कि सोलर प्लांट लगाने की प्रक्रिया आसान, पारदर्शी और तेज़ रही। न कोई भाग-दौड़, न कोई जटिलता। इससे आम लोगों में भी योजना के प्रति भरोसा और जागरूकता बढ़ रही है। वे बताते हैं कि अब बिजली कभी जाती नहीं, और उनकी छत पर लगे सोलर पैनल हर दिन जरूरत से ज़्यादा यूनिट बिजली उत्पन्न कर रहे हैं। यह न सिर्फ उनके परिवार को लाभ पहुँचा रहा है, बल्कि वे अब अपने स्तर पर हरित ऊर्जा के संवाहक बन चुके हैं।

सतीश धावलकर की यह सफलता मठपारा ही नहीं, बल्कि पूरे जिले के लोगों के लिए एक प्रेरणा है। प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना आम ग्रामीण परिवारों को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की राह दिखा रही है। यह योजना अब सिर्फ बिजली बचाने का माध्यम नहीं, बल्कि आर्थिक सशक्तिकरण और पर्यावरणीय संतुलन का मजबूत स्तंभ बन चुकी है।

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