Thursday, October 10

वरिष्ठ पत्रकार चंद्र शेखर शर्मा की बात बेबाक,गुजरात की राजनीति में चाणक्यो और उनके प्यादों की बन्दर गुलाटी , पप्पू की पदयात्रा , गप्पू की गप्प ,

चंद्र शेखर शर्मा 【पत्रकार 】9425522015

गुजरात की राजनीति में चाणक्यो और उनके प्यादों की बन्दर गुलाटी , पप्पू की पदयात्रा , गप्पू की गप्प , केजरी की चाल के ख्वाबो में खोया ही था कि –
“ सुनते हो जी आप पहले जैसे नहीं रह गए …!” श्रीमती जी की मधुरवाणी सुन तंद्रा टूटी । श्रीमती जी ने एक वाक्य में अविश्वाश प्रस्ताव ला दिया । घर की सरकार संकट में देख हम घबराए हड़बड़ाए फिर सम्हलते हुए कहा “पगली हमारी सरकार के गठबंधन के 25 साल बाद ऐसा क्यूं कर महसूस हुआ ..? ”
हमारी गठबंधन की सरकार के मिनिमम प्रोग्राम में आखिर कमी क्या रह गई । शिवसेना की तरह थोड़ी तल्खी क्या दिखाई दाम्पत्य जीवन की शांति सीमा खतरे में पड़ गई , बात चचा भतीजे सरीखी बिगड़ती इसके पहले ही हमने बात सम्हालते हुये थोड़ी चापलूसी भरे अंदाज़ में कहा “ देख प्रिये मैं गाय जैसा सीधा सादा घर से ऑफ़िस , ऑफिस से घर तक का वास्ता रखने वाला बैल सरीखा दौड़ लगाता प्राणी , रास्ते की सुंदर बालाओं की अदाओं से किसी तरह बच निकल थका हारा आता हूँ फिर “ सुनते हो जी आप पहले जैसे नहीं रह गए …!” ये क्या बात हुई कह हमने अपनी सरकार गिरने से बचाई । बातों ही बातों में बच्चो ने मम्मी के आज बर्थडे होने की बात बताई । तब समझ मे आया हमारी सरकार आज क्यों अल्पमत में आई । भला हो बच्चो का , फेसबुक का जिसने हमारी गिरती सरकार बचाई ।
अब श्रीमती जी मुस्काई और कहने लगी आज कल खूब बात बेबाक लिखते हो कुछ हमे भी सुनाओ गिफ्ट तो क्या दोगे !! व्यंग के ताने ही दे मारो । श्रीमती जी की बात टालने की हिम्मत हममे थी कहा सो तुकबंदी कर उनकी खिदमत में पेश कर फेसबुक में चिपका दी :-
” पहली दफ़ा देखा तो ये जाना सनम ,
तुम्हे ठीक से समझ न सका मैं सनम ,
यूँ तो भांप जाता हूँ खतरों की आहट को ,
पर पहचान ना सका इस सुनामी को ।
मेरे विराट व्यक्तित्व के सामने,
सच में तुम महान हो ।
बलवान हो, पहलवान हो, शक्तिमान हो,
पर सच्ची-मुच्ची में , तुम ही मेरी जान हो जान हो।
और कितनी तारीफ़ करूँ मैं तुम्हारी ,
बिना क्रेडिट कार्ड के लफ्ज़ मेरे किस काम के ।
तुम्हे बेवजह नाराज़ करने से क्या फ़ायदा,
चलिए स्वीकारो एक जादू की झप्पी और ढ़ेरों बधाइयां ।
अवतरण दिवस की बाधाई मंगलकामनाएं प्रियतमे ।
और अंत मे :-
जिसे तुम समझ सको वो बात है हम,
जो नयी सुबह लाये वो रात है हम,
तोड़ देते है लोग रिश्ते बनाकर,
जो कभी छूटे न वो साथ है हम ।
#जय_हो 27.नवम्बर .2022कवर्धा【छत्तीसगढ़】

【वैधानिक चेतावनी :- कॉपी-पेस्ट बाबा , नकल चोट्टे स्वयं अपने रिस्क पर बात बेबाक का प्रयोग कर सकते हैं लेकिन लेख के कारण हुई किसी भी प्रकार की शारीरिक मरम्मत कुटाई पिटाई की जिम्मेदारी लेखक की नहीं होगी उपयोग कर्ता की स्वयं की होगी ।】

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