वरिष्ठ पत्रकार चंद्रशेखर शर्मा की बात बेबाक

2024 का महाभारत चालू हो चुका है मैं भी चौकीदार से चालू हुई भाजपा के मोदी काल की राजनीति 2024 आते आते मैं भी मोदी का परिवार तक पहुंच गई दूसरी ओर कांग्रेस की राजनीति राहुल बाबा के जनेऊ धोती गोत्र मोहब्बत की दुकान से होते हुए न्याय यात्रा में उलझी पड़ी है । राम मंदिर बनने के बाद अबकी बार 400 पार वाला नमो मंत्र इंडी गठबंधन पर भारी पड़ रहा है ।
लोक सभा चुनाव में राजनाँदगाँव क्षेत्र से भूपेश के मैदान में कूदने से राजनाँदगाँव लोकसभा क्षेत्र कुरुक्षेत्र बन गया है जहां चुनाव जीतने शाम दाम दंड भेद छल प्रपंच सब आजमाए जाएंगे । सत्ता के सिंहासन पर बने रहने संतोष पांडेय अपना सारा दमखम लगा साख बचाने जिले के आला नेताओ में वर्चस्व के शीतयुद्ध के बावजूद जुटे हुए है तो भूपेश कार्यकर्ताओ की नाराजगी और पार्टी के विभीषणों से जूझ रहे है । मोदी मोदी और राहुल राहुल के नारों वाली राजनीति के बावजूद ऐसा पहली बार हो रहा है कि चुनाव भूपेश और संतोष पर केंद्रित रहने वाला है । कुल मिलाकर सत्ता गंवाने के बाद भूपेश गोबर , पीएससी भर्ती, शराब , कोयला लेवी , महादेव सट्टा एप्प घोटाले के चलते चुनावी चक्रव्यूह में फंसते दिख रहे।
शराब माफिया ,चाटुकारों, ठेकेदार , सप्लायर एवं दलाल गुटबाजों से मुक्ति के लिए छटपटा रही कांग्रेस को विधानसभा चुनावो में मिली करारी शिकस्त के बाद लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के भविष्य को लेकर सवाल उठने लगे हैं। जिले के अधिकांश बड़े नेता चाटुकारी, गुटबाजी एवं ठेकेदारी के चलते कांग्रेस का अप्रत्यक्ष रूप से अहित ही करते आ रहे हैं। ऐसे कार्यकर्ताओ के कर्मकांड कांग्रेस की जड़ों में मठा डालने का काम करते रहे । विधानसभा चुनाव में ठेकेदारी , कमीशनखोरी , चौथे खम्बे के पैसे का भुगतान समय पर ना करने की प्रवृत्ति, गुटबाजी और स्वहित कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन का सबसे बड़ा कारण रहा है। लोकसभा चुनाव में ठेकदारी और नेतागीरी की दुकानदारी चलाने वाले कांग्रेसी ताल ठोककर कांग्रेस का प्रचार ना कर मुँह में राम बगल में छुरी का रोल प्ले करते प्रतीत होते है क्योकि ऐसा न करने से उनकी ठेकेदारी की दूकान पर विपरीत असर पडऩे की संभावना नज़र आती है । ऐसे ठेकेदार कांग्रेस का हित कर ही नही सकते। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि कांग्रेस के दुर्दिन कैसे दुर होगे और भूपेश की नैया कैसे पार लगेगी ?
क्या कांग्रेसियों के पास ऐसा कोई नेता नही है जो चाटुकारी , ठेकेदारी एवं गुटबाजी से उपर उठकर जनता व पार्टी के हित में आगे आए और विपक्ष की सही भूमिका निभाते हुए जनता के दिल में जगह बनाये। वर्तमान जिला अध्यक्ष का सीधापन वैसे भी सर्वविदित है। इसके साथ पूर्व में बड़े पद पर रह चुके नेता भी विज्ञप्ति वीर बने हुए है जिनकी चौथे खम्बे की कर्जदारी की गूंज भूपेश की प्रेस कांफ्रेंस में भी जगजाहिर हो चुकी है । थोड़ी बहुत सक्रियता युवक कांग्रेस के पदाधिकारी ही दिखाते है । समय रहते जिले में कांग्रेस को चाटुकारों, ठेकेदारों , गुटबाजों व विभीषणों से मुक्त कर सक्रिय एवं निस्वार्थभाव से जनसेवा करने वाले कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी नहीं सौपी तो स्थिति इसके विपरीत हो सकती है। बहरहाल कांग्रेस में सर्जरी की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
काबिलेगौर है की पूर्व में जब चुनाव में शर्मनाक हार होती थी तो पदाधिकारी नैतिकता के नाते पद से इस्तिफा दे देते थे किंतु अब तो ऐसा है कि शर्मनाक हार के बाद भी पदाधिकारी इसकी जिम्मेदारी लेने से कतराते हैं। ऐसे में नेतृत्व परिवर्तन बिना कांग्रेस की आम जनता में स्वीकार्यता तो मुश्किल है ही साथ ही भूपेश की डगर भी आसान नही रहने वाली ।
चलते चलते :-
भाई मेरा बनेगा अध्यक्ष कहते रंगीन कागज की पोटली लेकर सर्किट हाउस में घूमने वाला नेता कौन?
और अंत में :-
हाथ हैं तरसे साथ को, कितै ना दीखे ठौर ।
सत्ता सुख की चाह में, नेता भटकै चारो ओर ॥
#जय_हो 20 मार्च 2024 कवर्धा (छत्तीसगढ़)

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