
कार्यक्रम में सभी 9 विश्वविद्यालयों के स्वयंसेवक बौद्धिक परिचर्चा हुई। इस सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में रायपुर से श्रीमती नीलम सिंह (सखी फाउंडेशन) और डॉ. डीके सोनी (अधिवक्ता, अंबिकापुर) उपस्थित रहे।
श्रीमती नीलम सिंह ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी संस्था झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्रों में जाकर विभिन्न जागरूकता अभियान चलाती है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण पर जोर देते हुए पॉलिथीन, पेड़ों की अन्धाधुंध कटाई और पानी की कमी जैसी समस्याओं से निपटने के लिए समाज को जागरूक करने की आवश्यकता पर बल दिया। इसके साथ ही उन्होंने कचरे से इको-फ्रेंडली ईट्स बनाने और पानी के दुरुपयोग को रोकने के उपाय भी साझा किए।
अधिवक्ता डॉ. डीके सोनी ने विधि की जानकारी प्रदान करते हुए वाहन चलाने से संबंधित आवश्यकताओं और विभिन्न कानूनों पर चर्चा की। उन्होंने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के बारे में विस्तार से बताया और उसकी प्रक्रिया को भी समझाया।
सत्र के बाद तात्कालिक भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें स्वयंसेवकों ने विभिन्न सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर अपने विचार प्रस्तुत किए। प्रतियोगिता के विषयों में “नशा युवाओं के भविष्य के लिए सबसे बड़ा खतरा“, “डिजिटल इंडियाः अवसर और चुनौतियां“ और “नशा मुक्त समाज स्वस्थ जीवन की पहली सीढ़ी“ जैसे महत्वपूर्ण विषय थे।
दूसरी ओर, देसी खेल सत्र में विभिन्न विश्वविद्यालयों के स्वयंसेवकों ने रस्साकशी, रुमाल झपट्टा, और रिले रेस जैसे खेलों में अपनी कौशलता का प्रदर्शन किया। अंत में, सांस्कृतिक कार्यक्रम में सभी विश्वविद्यालयों के स्वयंसेवकों ने नृत्य, गायन, और नृत्य नाटिका जैसे विधाओं के माध्यम से अपने क्षेत्रीय कला और संस्कृति का प्रदर्शन दिया। इस शिविर का आयोजन राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है।