द्वार सजाओ, दीप जलाओ, आंगन में।
गीत सुनाओ, मिलजुल गाओ, जीवन में।।
खुशी मनाओ, नाचो गाओ, रंग रसिया।
श्याम सलोना, नटखट ग्वाला, मन बसिया।।(१)
हिलमिल खेलो, रंग उड़ेलो, दामन में।
वंशी बाजे, राधा नाचे, मधुवन में।।
करता चोरी, सीना जोरी, गलियन में।
रास रचाए, चित्त चुराए, कुंजन में।।(२)
माधव मोहन, करती वंदन, चरणन में।
हे गिरधारी, रास बिहारी, निधिवन में।।
’सुषमा’ हँसती, बातें करती, नैनन में।
है अलबेली, नुपुर बजाती, कानन में।(३)
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*…✍️कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल , रायपुर छ ग