वीरांगना रानी अवंती बाई का हौसला हिमालय से भी बडा : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

समना विकासखण्ड को तहसील बनाया जायेगा

मुख्यमंत्री डिंडोरी जिले के बालपुर में वीरांगना रानी अवंती बाई लोधी के बलिदान दिवस कार्यक्रम में हुए शामिल

भोपाल । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि वीरांगना रानी अवंती बाई के अद्भुत साहस और पराक्रम को देखकर अंग्रेज दहशत में रहते थे। उनके बलिदान दिवस पर नमन कर हम सभी उन्हें कृतज्ञता पूर्वक स्मरण कर रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने डिंडौरी में वीरांगना रानी अवंती बाई के बलिदान दिवस पर डिंडौरी में बालपुर स्थित समाधि स्थल पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रृद्धा सुमन अर्पित किये। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि महान व्यक्तित्व के धनी अल्पायु में ही ऐसे काम कर जाते हैं, जिससे कि वे सदैव इतिहास में स्मरण किये जाते है। उन्होंने बताया कि अवंती का अर्थ है, ‘जिसका कभी अंत न हो।’ वीरांगना रानी अवंतीबाई ने अंग्रेजों की हड़प नीति के विरोध में मात्र 26 वर्ष की आयु में आजादी का झण्डा बुलंद करते हुए प्राणोत्सर्ग कर दिया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि डिंडौरी जिले का समना विकासखंड को तहसील बनाया जायेगा।

मुख्यमत्री डॉ. यादव ने वीरांगना रानी अवंतीबाई के शौर्य और पराक्रम का पुण्य स्मरण करते हुए कहा कि यह वीरांगनाओं और वीरों की धरती है।यहाँ रानी दुर्गावती, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, देवी अहिल्याबाई, राजा रघुनाथशाह एवं कुंवर शंकरशाह जैसे महान व्यक्तित्व जन्मे हैं। रानी लक्ष्मीबाई, रानी अवंती बाई और राजा रघुनाथ शाह एवं कुंवर शंकरशाह ने अपने सीमित संसाधनों से देश व स्वाभिमान के लिये अंग्रेजी शासन के खिलाफ जमकर लोहा लिया। उन्होंने तात्कालिक समय में कठिन परिस्थतियों में सिर्फ आत्म सम्मान, राष्ट्रभक्ति को लेकर समाज को एक नई दिशा दी। रानी अवंती बाई का चरित्र से हमें सीख मिलती है कि डलहौजी की हडप नीति के विरोध में उन्होंने अपनी शासन की रक्षा की।उनके इस योगदान के कारण लोधी समाज सहित सम्पूर्ण समाज रानी अवंती बाई को पूजता है।

महापुरूषों की गौरव गाथा स्वर्णिम अक्षरों में लिखी जाएगी

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में देश के स्वतंत्रता संग्राम में आहूति देने वाले महान लोगों की गौरव गाथा को स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जा रहा है। ऐसे महापुरूषों की गौरव गाथाओं को समाज की अगली पीढ़ी तक पहुंचाया जाएगा ताकि भावी पीढ़ी भी महापुरूषों की शौर्य गाथाओं से परिचित हो सकें। भगवान बिरसा मुंडा सहित अन्य वीर इस बात के प्रतीक हैं। जनजातीय समाज के लिए बिरसा मुंडा भगवान हैं। उनके जन्मदिन पर जनजाति गौरव दिवस मनाया जाता है। वीरांगना रानी दुर्गावती की योगदान याद करने के लिए जबलपुर में मध्यप्रदेश शासन की पहली केबिनेट आयोजित की। जनजातीय गौरव को ध्यान में रखते हुए खरगोन विश्वविद्यालय का नाम क्रांतिसूर्य टंटया मामा के नाम पर किया गया।

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