” लाउडस्पीकर की आवाज सुनकर कभी अमीरों ने जमघट नही लगाया , गरीब ही हमेशा खींचे चले आते है । ये सोच के कि आज उनके मतलब की बात होगी , लेकिन वो बोल कर चुप हो गए और हम चिल्लाकर रह गए ।” वन्स अपॉन अ टाइम मुंबई – फिल्म का यह डायलाग पार्टियों और नेताओं की सत्ता की प्यास जनता को मुफ्तखोर बनाने वाले वादो और गारंटी की घोषणा को लेकर याद आ गया । आज कल पार्टियां अपने काम व विकास को भूल नगद बांटने की योजना के दावे वादे कर रहे । भाजपा महतारी वंदन की 1000 की गारंटी से सत्ता में पहुंच गई किन्तु लोकसभा चुनाव में कांग्रेस महालक्ष्मी न्याय योजना के बहाने 8333 रुपये महिलाओं को देने के दावे वादे कर रही । आज राजनीति मुफ्त में बांटने वाली योजनाओं के भरोसे रह गई है नेताओ की छवि की चर्चा तक नही होती घपले घोटालों को छोड़ कर । अपने नेता की छवि पर वोट मांगने की जगह फोकट में बांटने वाली व कर्जमाफी के वादे पर मांगने लगे है ।
चुनाव सर पर आते ही पार्टी के प्रति आस्था भी बदलने लगती है कहते है समय सबसे ताकतवर होता है। यह सबकुछ बदल देता है। जुबान, आंख – नाक – कान सब कुछ बदल जाता है। आदमी बदल जाता है, रिश्ते बदल जाते हैं, आस्था बदल जाती है, भरोसा बदल जाता है, दावा बदल जाता है ,दोस्त और दुश्मन बदल जाते हैं, टारगेट बदल जाता है।
नेताओ में बदलाव की यह प्रक्रिया, आदमी की तुलना में कई गुना अधिक होती है। नेता तो सेकंड में मतलब और फायदे के हिसाब से बदलता है जो दिखने भी लगा है कांग्रेस शासनकाल में सत्ता की मलाई का रसास्वादन करने वाले सरकार बदलते ही अपने चहेते नेता पर आरोप लगा अपनी आस्था व पार्टी बदलने लगे है ताकि सत्ता की मलाई का स्वाद अनवरत मिलता रहे ।
वैसे राजनीति की दुनिया के अपने अलग कायदे है कि यहां कोई कायदा नही होता यंहा सिर्फ फायदा देखा जाता है । राजनीति में रुतबा रुआब और इज़्ज़त होती है जिसके साथ साथ समानांतर रूप से कीचड़ का प्रवाह भी अनवरत चलता रहता है । जब जब राजनीति में कीचड़ और इज़्ज़त उछलती हैं तभी राजनीति में गतिशीलता के दर्शन होते हैं वरना राजनीति कीचड़ भरे नाले के समान प्रवाहहीन दिखाई देती है । वर्तमान राजनीति में और लोकसभा चुनाव के दौर में पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री पर गोबर , शराब , कोयला और पीएचसी भर्ती घोटाले को लेकर खूब कीचड़ उछाले जा रहे । कांग्रेस घपले घोटालों के कीचड़ से जितनी परेशान नही उससे ज्यादा अपने पाले पोशे लीचड़ो से हैं जो पार्टी की नैया डुबाने में लगे है । कांग्रेस में आ रहे बदलाव की झलक नेताओ पर लगते आरोप और ईडी व ईओडब्लू की दहशत बताती है । कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा चुनाव आते आते न्याय यात्रा में बदल जाती है । दूसरी ओर भाजपा भाजपा ना रह कर मोदी वाली भाजपा बन कर रह गई है आज राजनीति के मैदान में भाजपा की गारंटी नही मोदी की गारंटी चल रही है तभी तो मोदी जरूरी है का नारा भी चल पड़ा है ।
चलते चलते :-
जिले के कांग्रेसी नेताओं की उधारी से परेशान पत्रकारों ने कका को सुनाई खरी खरी । क्या ऐसे कर्जदार नेताओं के भरोसे जीतेंगे चुनाव ?
और अंत मे :-
चला आया सिखाने वो हमें तहज़ीब का मतलब ,
मुखौटा दोग़लेपन का पहनकर घूमता है जो ।
#जय_हो 18 अप्रैल 2024 कवर्धा (छत्तीसगढ़)
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