
एक कहावत है ” तुम करो तो रासलीला हम करे तो कैरेक्टर ढीला ” जो इन दिनों सांय सांय वाली दुरंगी सरकार पर खरी उतरती दिखती है । जब दुरंगी सरकार व उनकी पार्टी विपक्ष में थी तब उन्हें शराब और शराबियों के सेहत की काफी चिंता थी । शराब बंदी के प्रबल पक्षधर थे दाऊ की तिरंगी सरकार को शराब बंदी के दावों व वादा खिलाफी और शराब की बढ़ती कीमतों और उसकी क्वालिटी को लेकर भी चिंतित रहते थे । उन्होंने सरकार को कई बार इस विषय पर घेरने की कोशिश भी की , आबकारी मन्त्री से तीखी नोकझोंक व हास्य व्यंग्य भी सुर्खियाँ बटोरता रहा है फिलहाल शराब घोटले को लेकर तिरंगी सरकार के साक्षर मंत्री जेल में है । विधानसभा चुनाव में शराब बंदी के दावों और वादों के साथ सत्ता में आते ही दाऊजी और उनकी तिरंगी सरकार सरकारी शराब दुकानों को लेकर दुरंगी सरकार का मजाक उड़ाते उड़ाते शराब की व्यापारी बन गद्दीदार बन गई । वैसे ही शराब के मुद्दे में दाऊ की तिरंगी सरकार को घेरते घेरते सत्ता मर आई दुरंगी सांय सांय वाली सरकार को शराब और इसकी कमाई बड़ी प्यारी लगने लगी क्योंकि अब अपनी आम जनता की सरकार है । शराब दुकान बंद करने की जगह अब प्रीमियम शाप खोलने की तैयारी में दिखने लगी है सरकार । प्रीमियम शॉप की आड़ में शहर के बीच अच्छी और उच्चकोटि की प्रीमियम शराब शोरूम के शक्ल में आसानी से जल्द ही उपलब्ध होने लगेगी ।
सरकार किसी की भी हो शराबी अत्यंत शालीन जीव होता है , बिना किसी विरोध के सरकार जैसी शराब पिला दे पी लेता है इसीलिए शराबियों का प्रिय नारा ” पियेगा इंडिया तभी तो जियेगा इंडिया ” बना हुआ है । वैसे एक बात माननी पड़ेगी शराबी एक ईमानदार टेक्स दाता है । उसका तो आयकर विभाग द्वारा सम्मान होना चाहिए कि ईमानदारी से बिना किसी विरोध के टैक्स अदा करता है , वरना सरकार किसी भी समान पर टैक्स लगा दे या रेट बढ़ा दे बवाल मचा जाता है , लोग सड़कों पर उतर आते है, ज्ञापन सौंपे जाते है ,पुतला दहन का कार्यक्रम भी होता है , परंतु आज तक महंगी होती शराब को लेकर कभी किसी शराबी या शराबियों के गुट ने सड़क पर उतर कर विरोध नही किया । देश मे बढ़ती मंहगाई मुफ्तखोरी की योजनाओं से खाली होते खजाने के बावजूद ऐसे समय में शराबीयो का संयम काबिले तारीफ है। देश के प्रति सच्ची श्रद्धा , अनुशासन , सहनशीलता , शालीनता और संयम सीखना है तो किसी शराबी से सीखे । वैसे चुनावी मौसम में बरसने वाले वादों के चलते 5 लाख का मुफ्त इलाज, प्रधानमंत्री आवास में मकान, 35 किलो मुफ्त में चावल , सायकल , सिलाई मशीन , महतारी वंदन में 1000 रुपये प्रतिमाह और ना जाने क्या क्या मुफ्त की चीजों के साथ अब कमाने की चिंता भी खतम । अब आप शान से कह सकते है कि –
हम उस देश के वासी है ,
जहाँ मुफ्तखोरी की योजनाओं पर जनता पलती और
राजनीति चलती व नेता चुने जाते है ।
चलते चलते एक सवाल :-
अवैध क्रेशर प्लांट की कमाई और जिले के खनिज अधिकारी
का रिश्ता क्या कहलाता है ?
और अंत मे
समझने में ज़रा सा वक्त लेना, नेता हूँ कोई भरोसा नहीं ।
मुल्क विकसित हो गया, कि तरक्की कागज़ों में बोलती दिखती है ।
#जय हो 2 अप्रैल 2025 कवर्धा (छत्तीसगढ़)