प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश के सर्वांगीण विकास के लिए सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद का लाभ उठाने की आवश्यकता पर बल दिया है
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने राज्यों को सशक्त बनाने और नीतिगत ढांचे में केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर समझ को बढ़ावा देने के लिए सहकारी संघवाद दृष्टिकोण पर ज़ोर दिया है
केंद्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता में गत वर्ष सभी 5 क्षेत्रीय परिषदों की बैठकें आयोजित की गईं , इस वर्ष क्षेत्रीय परिषदों की बैठकों से पूर्व इनकी संबंधित स्थायी समितियों की समस्त बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं
क्षेत्रीय परिषदें बुनियादी ढांचे, खनन, जल आपूर्ति, पर्यावरण और वन तथा राज्य-पुनर्गठन से सम्बंधित व्यापक मुद्दों के साथ साथ, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT), दूर संचार और इन्टरनेट के व्यापक विस्तार तथा क्षेत्रीय स्तर के सामान्य हित आदि पर भी चर्चा करती हैं
राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 की धारा 15-22 के तहत वर्ष 1957 में पांच क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना की गई थी। केंद्रीय गृह मंत्री इन पांचों क्षेत्रीय परिषदों के अध्यक्ष हैं, जबकि संबंधित क्षेत्रीय परिषद में शामिल राज्यों के मुख्यमंत्री तथा संघ राज्य क्षेत्र के प्रशासक/उपराज्यपाल इसके सदस्य हैं। राज्यपाल द्वारा प्रत्येक राज्य से दो और मंत्रियों को परिषद के सदस्य के रूप में नामित किया जाता है। प्रत्येक क्षेत्रीय परिषद ने मुख्य सचिवों के स्तर पर एक स्थायी समिति का भी गठन किया है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश के सर्वांगीण विकास के लिए सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद का लाभ उठाने की आवश्यकता पर बल दिया है। सशक्त राज्य ही सशक्त राष्ट्र का निर्माण करते हैं की भावना से क्षेत्रीय परिषदें दो या अधिक राज्यों अथवा केंद्र और राज्यों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर नियमित संवाद और चर्चा के लिए एक व्यवस्थित तंत्र के जरिए सहयोग बढ़ाने का मंच प्रदान करती हैं।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने राज्यों को सशक्त बनाने और नीतिगत ढांचे में केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर समझ को बढ़ावा देने के लिए सहकारी संघवाद दृष्टिकोण पर ज़ोर दिया है। उन्होंने विवादों के समाधान और सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय परिषद के मंच का उपयोग करने पर बल दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता में गत वर्ष सभी 5 क्षेत्रीय परिषदों की बैठकें आयोजित की गईं । इस वर्ष, क्षेत्रीय परिषदों की बैठकों से पूर्व इनकी संबंधित स्थायी समितियों की समस्त बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं।
क्षेत्रीय परिषदें बुनियादी ढांचे, खनन, जल आपूर्ति, पर्यावरण और वन तथा राज्य-पुनर्गठन से सम्बंधित व्यापक मुद्दों के साथ साथ, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT), दूर संचार/इन्टरनेट के व्यापक विस्तार तथा क्षेत्रीय स्तर के सामान्य हित आदि पर भी चर्चा करती हैं।
क्षेत्रीय परिषदों की प्रत्येक बैठक में राष्ट्रीय महत्व् के अनेक मुद्दों पर भी चर्चा की जा रही है। इनमें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ दुष्कर्म के मामलों की त्वरित जांच और शीघ्र निपटान के लिए फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों (FTSC) का कार्यान्वयन, प्रत्येक गांव में 5 किमी के भीतर बैंकों/इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक शाखाओं की सुविधा, पोषण अभियान के माध्यम से बच्चों में कुपोषण दूर करना, स्कूली बच्चों की ड्रॉप आउट दर कम करना, आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में सरकारी अस्पतालों की भागीदारी और राष्ट्रीय स्तर के सामान्य हित के मुद्दें शामिल हैं।