रायपुर में रिक्शा चलाकर गिरौदपुरी में सदाराम बांधे ने बनवाया था सतनाम धर्मशाला ,ट्रस्टी ने राजगुरु बालदास को संचालन के लिए सौंपा

 

0 गिरौदपुरी धाम मेला के अवसर पर सतनाम धर्मशाला , राजागुरु धर्मगुरु गुरु बालदास साहेब जी को सौंपा गया

सतनाम धर्मशाला गिरोदपुरी धाम का निर्माण- 24 नवंबर 1936 को सीमगा मे जन्मे और अच्छोंली रायपुर में निवासरत *संत सदाराम बांधे जी* ने एक पुराने मकान को खरीदकर उसे नया रूप देकर सन 2007- 08 में लगभग 7 लाख रुपये की लागत से करवाया था। वे पेशे से रिक्शा चालक थे। धर्मशाला का उद्घाटन गिरोदपुरी धाम मेला के अवसर पर 3 मार्च 2009 को राजगुरु धर्मगुरु गुरु बालदास साहेब जी के सुपुत्र गुरु सोमेश साहेब जी और गुरु खुशवंत साहेब जी ने किया था। सतनाम धर्मशाला- 10 कमरों वाला बरामदा – रसोईघर युक्त था, जिसमें दर्शनार्थियों- श्रद्धालुओं- पर्यटकों के रुकने की व्यवस्था थी। भोजन भंडारा के लिए पर्याप्त बर्तन, दरी, कुर्सी टेबल, कंबल -चादर- तकिया , बिजली पानी आदि की व्यवस्था थी। सतनाम धर्मशाला में गिरोदपुरी धाम आने वाले संत- श्रद्धालु ठहरते थे, आराम करते थे।
वहां समाज के लोग बैठक, सतनाम सत्संग सहित अन्य सामाजिक- धार्मिक कार्यक्रम करते रहते थे।
चूंकि संत सदाराम बांधे जी 74- 75 साल के हो गए थे, उन्हें यह चिंता सताती रहती थी कि उनके बाद सतनाम धर्मशाला का क्या होगा–?? उनका एक बेटा और 5- 7 नाती पोते थे, जिन्होंने उन्हें मार पीट कर घर से वर्षों पहले निकाल दिए थे और वे पीने खाने वाले थे। इसलिये उन पर संत सदाराम बांधे जी का विश्वास नहीं था कि वे उनके बाद सतनाम धर्मशाला का संचालन सही तरीके से उनके बाद भी करते रहे। उन्हें यह चिंता रहती कि उनके जाने के बाद सतनाम धर्मशाला को उनके परिवार वाले बेचकर- खा पीकर कहीं बर्बाद न कर दे। उसी समय मैं यानी कि अश्वनी कुमार रात्रे पिता श्री फागु लाल रात्रे, वर्तमान निवास नया रायपुर अटल नगर उनके संपर्क में आया। दरअसल जब सतनाम धर्मशाला पूर्णरूप से बना नहीं था, कुछ काम बचा था, तो ऐसे ही गिरोदपुरी धाम यात्रा के दौरान धर्मशाला जाने का मौका मिला। तब संत सदाराम बांधे जी सतनाम धर्मशाला के बचे हुए काम को पूरा कराने की चिंता में बैठे हुए थे। उनके पास पैसा खत्म हो गया था। उद्घाटन भी नहीं हुआ था और धर्मशाला संचालन के लिए आवश्यक मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था नहीं हो पायी थी। उनके दुविधा- चिंता और समाज सेवा की भावना को देखते हुए मैंने धर्मशाला में सभी आवश्यक सुविधाएं जैसे- बिजली वायरिंग, पंखा, कूलर, टीवी, दरी, कुर्सी टेबल, भोजन भंडारे के लिए बर्तन, पानी के लिए नल कनेक्शन आदि जुटाने में उनका साथ – सहयोग दिया था। इसके बाद उनका विश्वास मुझ पर होने लगा। उनके बाद धर्मशाला संचालन के लिए वे मुझे बार बार जिम्मेदारी लेने के लिए आग्रह करते व अपने लोगों से कहलाते थे। मैं उस समय इस जिम्मेदारी को लेने के लिए तैयार नहीं था। बाद में स्थिति- परिस्थिति, उनके चिंता और व्यग्रता को समझते हुए जिम्मेदारी लेने को तैयार हुआ।
सितंबर 2009 को उन्होंने रायपुर पंजीयन कार्यालय में कानूनी प्रक्रिया के तहत मुझे यानी अश्वनी कुमार रात्रे को सतनाम धर्मशाला गिरोदपुरी धाम का का संचालक, व्यवस्थापक और सर्वेसर्वा नियुक्त किया। इसके बाद संत सदाराम बांधे जी चिंता मुक्त हो गए थे और बहुत राहत महसूस करने लगे थे। तब से अब तक यानी 2009 से 2025 तक मैं ही सतनाम धर्मशाला की सारी व्यवस्था सम्हाल रहा था।
संत सदाराम बांधे जी का तबीयत 2011- 12 में खराब रहने लगा। रायपुर अस्पताल में उनका अच्छा इलाज करवाया। कुछ ठीक होने के बाद वे पुनः सतनाम धर्मशाला के कार्यो में व्यस्त रहने लगे। इसी बीच 23 अप्रेल 2012 को गिधौरी के पहले बरपाली चौक में एक ट्रक दुर्घटना में उनका दुःखद निधन हो गया। उनका अंतिम क्रिया कर्म और दशगात्र 30 अप्रेल 2012 को धर्मशाला में ही हुआ।
उनके जाने के बाद और भी बड़ी जिम्मेदारी से मैंने सतनाम धर्मशाला का संचालन- प्रबंधन और व्यवस्था यथासम्भव बेहतर तरीके से करने का प्रयास किया। वहां की सुविधाओं का विस्तार किया। उनके जीवन काल में ही सतनाम धर्मशाला से सतनाम सार- मासिक पत्र और सतनाम कैलेंडर का प्रकाशन प्रारंभ हो गया था।इससे वे अत्यंत खुश थे।
2009 से 2025 यानी 16 वर्षो तक मैंने सतनाम धर्मशाला का संचालन- प्रबंधन यथाशक्ति बेहतर तरीके से किया। चूंकि सतनाम धर्मशाला का निर्माण एक पुराने घर को परिवर्तित कर बनवाया गया था, इसलिए भवन जल्दी ही जीर्ण शीर्ण होने लगा। अब पुनर्निर्माण की आवश्यकता महसूस होने लगी थी। धर्मशाला में समाज और जनता के लिए और भी आधुनिक सुविधाओं की जरूरत थी। और मैं भी इन हालातों में धर्मशाला संचालन के लिए अपने को सक्षम- समर्थ नहीं पाया। इसलिये संत सदाराम बांधे द्वारा निर्मित सतनाम धर्मशाला को भविष्य में और भी बेहतर तरीके से पुनर्निर्माण- संचालन- प्रबंधन के लिए हमारे समाज के  धर्मगुरु- राजागुरु गुरु बालदास साहेब जी* को सौंपने का निर्णय लिया गया। जिससे कि *सतनाम धर्मशाला का भविष्य सुरक्षित रह सके और उसके निर्माण कर्ता संत सदाराम बांधे जी के सपनों- सोंच के अनुसार उसका संचालन- प्रबंधन बेहतर तरीके से हो सके।

इस वर्ष 2025 गिरोदपुरी धाम मेला फाल्गुन शुक्ल 5;6,7 यानी 4,5,6 मार्च 2025 के अवसर पर हजारों संत समाज के बीच

सतनाम धर्मशाला, गिरोदपुरी धाम के सम्पूर्ण संचालन- प्रबंधन की जिम्मेदारी और सर्वेसर्वा, समाज के राजागुरु धर्मगुरु गुरु बालदास साहेब जी को सौंपा दिया। और अब वे ही इसके सर्वेसर्वा और सर्व प्रमुख होंगे* । इस महती जिम्मेदारी को स्वीकार करने के लिए मैं परमपूज्य, परम आदरणीय, सतनामी समाज- सतनाम धर्म के आदेशक, निर्देशक, मार्गदर्शक और प्रेरणास्रोत, सतनामी आन बान शान के प्रतीक,राजागुरु धर्मगुरु गुरु बालदास साहेब जी, गुरुगद्दी नशीन गिरोदपुरी धाम – भंडारपुरी धाम का हृदय से धन्यवाद- आभार व्यक्ति करता हूँ

 

अश्वनी कुमार रात्रे
पूर्व संचालक- सतनाम धर्मशाला गिरोदपुरी धाम
संपादक- प्रकाशक
सतनाम सार- मासिक पत्र एवं सतनाम कैलेंडर
गिरोदपुरी धाम/ नया रायपुर
मोबा 81205 83111,
81201 77077

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