
दिल्ली तक पहुंची धमतरी के कमारों की धमक…..
प्रधानमंत्री जनमन कॉन्क्लेव में शामिल हुए कमार जनजाति के सदस्य
धमतरी । विशेष पिछड़ी जनजाति कही जाने वाले धमतरी की कमार जनजाति की पहुंच अब दिल्ली तक हो गई है। पहली बार इस जनजाति के श्री सरोज नेताम ने भारत मण्डपम में आयोजित प्रधानमंत्री जनमन कॉन्क्लेव में अपने जनजातीय समुदाय के विकास की गाथा सुनाई। कमार जनजाति के सामाजिक-आर्थिक सहित सर्वांगीण विकास के लिए किए जा रहे कामों का प्रजेंन्टेशन भी देशभर के आईएएस अधिकारियों और कलेक्टरों के समक्ष प्रस्तुत किया। श्री नेताम ने कमार जनजाति के सदस्यों के आगे बढ़ने में आने वाली बाधाओं- परेशानियों को कॉन्क्लेव में सभी के साथ साझा किया और इन चुनौतियों से निपटने के लिए जनमन योजना द्वारा मिले लाभ के बारे में भी सभी को बताया। धमतरी जिले में 130 बसाहटों में 7 हजार से अधिक कमार जनजाति के लोग निवास करते हैं। एक हजार आठ सौ परिवारों का यह कुनबा दूरस्थ वनांचलों के अलग-अलग इलाकों में बिखरा पड़ा है। जनमन योजना से शिक्षा, स्वास्थ्य, सबको घर, खेती-किसानी की सुविधाएं, शासकीय योजनाओं का लाभ लेने के लिए जरूरी दस्तावेज बनाने से लेकर हितग्राही मूलक योजनाओं को इन तक पहुंचाकर विशेष पिछड़ी जनजाति को विकास की मुख्य धारा में जोड़ने की पहल धमतरी जिले में साकार से हो पाई है। इन योजनाओं को कमार जनजाति के लोगों तक पहुंचाने में खुद सरोज कुमार नेताम का विशेष योगदान रहा है और वे अब अपनी जनजाति के लिए ’’जनमन मिते, जमाय चो हिते,’’ के रूप में स्थापित हो गए हैं।
*जनमन पैकेज से बदला माहौल, हमारी चिंता करने के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को धन्यवादः-* नई दिल्ली के भारत मण्डपम में आयोजित कॉन्क्लेव में देशभर के प्रशासनिक अधिकारियों को अपने जनजातीय समुदाय की विकास गाथा बताते हुए कमार समाज के प्रमुख श्री सरोज नेताम ने कहा कि अशिक्षा और जमीनी स्तर पर शासन की योजनाओं की जानकारी नहीं होने के कारण कमार समाज विशेष पिछड़ी जनजाति की श्रेणी में शामिल है। घुमंतू जीवन जीने, स्थायी आवास नहीं होने, खेती-किसानी का अभाव, बाल विवाह जैसी कुप्रथा और प्रशासन की पहुंच से दूर होने के कारण लंबे समय से यह जनजाति पिछड़ेपन का दंश झेल रही है। श्री नेताम ने बताया कि कलेक्टर सुश्री नम्रता गांधी के नेतृत्व में प्रशासन ने प्रधानमंत्री जनमन कार्यक्रम के तहत कमार जनजाति के विकास के लिए परिणाममूलक योजना तैयार की। निर्धारित समय अवधि में योजना अनुसार घटकों की पूर्ति की गई और जनमन योजना का एक पूरा पैकेज हमारी जनजाति को मिला। कमार गांवों में सड़क, लोगों को रहने के लिए स्थायी घर, बिजली और पानी के साथ बच्चों की पढ़ाई के लिए शिक्षक भी मिले। श्री नेताम ने इन सभी सुविधाओं के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और राज्य के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय का भी आभार जताया। उन्होंने विशेष पिछड़ी जनजाति के लोगों की चिंता करने और उन्हें विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए जनमन पैकेज देने के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को धन्यवाद भी दिया।
विकास योजनाएं बनाने और उनके क्रियान्वयन तथा मॉनिटरिंग के लिए कमार समुदाय की सहभागिता से मिला रिजल्ट :- कमार जनजातीय समुदाय की विकास गाथा को बताते हुए श्री नेताम ने आगे कहा कि दूरस्थ वनांचल क्षेत्रों में विकास कार्यों को करना अपने आप में एक चुनौती थी, परन्तु जिला प्रशासन की योजना काम कर गई। योजना में कमार समुदाय की पूरी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों ने स्थानीय भाषा में संवाद का प्रयास किया। जनमन योजना में परिणाम पाने के लिए प्रशासन ने समयबद्ध प्लानिंग की। कमार बसाहटों के दस सर्किलों के अध्यक्षों और हर गांव के ग्राम अध्यक्ष को योजना में शामिल किया गया। विकास योजनाएं बनाने और उनके क्रियान्वयन तथा मॉनिटरिंग के लिए भी कमार समुदाय की सहभागिता स्टैक होल्डर के रूप में सुनिश्चित की गई। प्रशासकीय स्तर पर योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए। कई स्तरों की बैठकों और संवाद के बाद जनमन कार्यक्रम से कमार समाज और प्रशासन के बीच की दूरियां कम हुई और उनके मनोविचारों में भी बदलाव आया। कमार परिवारों के दसवीं कक्षा पास लगभग 130 लोगों को जनमन मिते के रूप में प्रशिक्षित किया गया। प्रशासनिक अधिकारियों और सामाजिक लोगों की बार-बार की बैठकों में कमार परिवारों को अपनी समस्याओं को बताने और उनके समाधान के लिए अपने गांव-घर पर ही एक खुला मंच मिला। कमार सदस्यों ने ही अपनी समस्याएं बतायीं और उनके निराकरण के लिए सकारात्मक सहयोग करने की पहल की। कमार सदस्यों ने ही योजनाओं के बारे में अपना फीडबैक दिया। इससे कमारों के लिए विकास योजनाएं तैयार करने में सहायता मिली। मॉडल बसाहटों के प्लान बनाने, स्थल चिन्हांकन करने जैसे लगभग सभी कामों में कमार सदस्यों की आवश्यकताओं और सुविधाओं को प्राथमिकता दी गई। प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत कमार सदस्यों द्वारा बताई गई अति आवश्यक सड़कों का निर्माण प्राथमिकता से कराया गया।
कमारों की सहभागिता और जरूरतों के हिसाब से बनी योजना के प्रशासनिक स्तर पर क्रियान्वयन का परिणाम यह हुआ कि आज 7 हजार एक सौ से अधिक कमार सदस्यों के आधार कार्ड बनाए जा चुके हैं। 650 लोगों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन मिलना शुरू हो गई है। दो हजार एक सौ से अधिक परिवारों के राशनकार्ड बन गए हैं और लगभग डेढ़ हजार परिवारों को प्रधानमंत्री उज्जवला योजना का गैस कनेक्शन भी मिल गया है। यह जनमन पैकेज का ही परिणाम है कि दूरस्थ वनांचलों में रहने वाले कमार जनजातीय समुदाय को अब खेती-किसानी के लिए 600 किसान क्रेडिट कार्ड जारी कर दिए गए हैं। लगभग एक हजार सात सौ कमार किसानों को प्रधानमंत्री किसान समृद्धि निधि भी मिलने लगी है। बालिकाओं के लिए 437 सुकन्या समृद्धि खाते खोले गए हैं, 365 महिलाओं को प्रधानमंत्री मातृत्व वंदन योजना से लाभान्वित किया गया है। लगभग 7 हजार परिवारों के आयुष्मान कार्ड बन जाने से अब कमार लोगों को सस्ते इलाज की सुविधा मिलना भी शुरू हो गई है। चार हजार तीन सौ से अधिक लोगों की सिकलसेल एनीमिया की जांच की गई है। इसी तरह बैंकिंग सेवाओं से भी कमार लोगों को जोड़ने के प्रयास जनमन कार्यक्रम के तहत तेजी से किए गए हैं। लगभग चार हजार लोगों के प्रधानमंत्री जनधन योजना के खाते खोले गए हैं। ढाई हजार लोगों का प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा कराया गया है। दो हजार से अधिक लोगों का प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा भी कराया गया है।
कमार जनजाति के लोगों को शासकीय योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए जरूरी दस्तावेज बनाने का भी विशेष अभियान जनमन कार्यक्रम के तहत चलाया गया। दो हजार दो सौ से अधिक लोगों के जन्म प्रमाण पत्र, दो हजार लोगों के जाति प्रमाण पत्र और एक हजार दो सौ से अधिक लोगों के श्रम कार्ड बनाए गए। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना से 362 लोगों को लाभान्वित किया गया। साक्षर 72 लोगों को लाईवलीहुड ट्रेनिंग भी दिलाई गई।
जरूरत के हिसाब से प्रधानमंत्री आवास की डिजाईन तय करने की मिली छूट, एक हजार 315 आवास स्वीकृत किए गए :-प्रधानमंत्री आवास बनाने में भी कमार परिवारों की सक्रिय सहभागिता रही। योजना से इन परिवारों को भौतिक रूप से ही नहीं बल्कि सामाजिक और वैचारिक रूप से भी जोड़ा गया। घरों के डिजाईन, घर बनाने के तरीकों, भवन निर्माण सामग्री खरीदने से लेकर मजदूरों तक की व्यवस्था के लिए कमार परिवारों ने सामुदायिक सहभागिता का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया। कभी अस्थायी आवास में रहने वाले या पारिवारिक सदस्य की मृत्यु पर निवास स्थल को छोड़कर अन्यत्र चले जाने वाले कमारों को स्थायी निवास के लिए प्रोत्साहित करने प्रधानमंत्री आवास की डिजाईन में जरूरत के हिसाब से बदलाव करने की छूट भी प्रशासन से मिली। अपने घर में बनोपज सुखाने, जीविकोपार्जन की गतिविधियां करने के लिए स्थान बनाने की छूट ने कमारों को एक ही स्थान पर रहने के लिए प्रोत्साहित किया। एक हजार 315 कमार परिवारों को उनकी आवश्यकता अनुसार प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत कर दिया गया है। घर बनाने के लिए आर्थिक परेशानी को दूर करने बैंक सखी के माध्यम से आर्थिक सहायता भी उपलब्ध कराई गई। ग्राम स्तर पर कुड़िया दिवस मनाकर एक साथ गांव के सभी स्वीकृत प्रधानमंत्री आवास बनाने के लिए भूमिपूजन का सामुहिक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। भवन निर्माण सामग्री को भी समुदाय स्तर पर खरीदा गया। इसके साथ ही सभी ने मिलजुलकर सामाजिक सहभागिता से अपने लिए स्थायी घर बनाया। एक साथ भवन सामग्री खरीदने और घर बनाने में सामुहिक श्रम की साझेदारी से होने वाला फायदा भी सभी कमार परिवारों को मिला। जल जीवन मिशन के तहत एक हजार आठ सौ से अधिक घरों में नल लगाकर पीने का पानी उपलब्ध कराया जा रहा है।
कुपोषण हटाने और जीविकोपार्जन गतिविधियों का समन्वयः- कमार जनजाति के लोगों में व्याप्त कुपोषण को कम करने के लिए भी विशेष अभियान चलाया गया। जनमन कार्यक्रम के तहत गंभीर कुपोषित कमार बच्चों को विशेष पुनर्वास केन्द्रों में रखा गया। यहां बच्चों के साथ उनकी माताओं को भी रहने की सुविधा दी गई। इसके साथ ही बांस कला में माहिर कमार महिलाओं को सुपोषण केन्द्र में ही बांस उपलब्ध कराकर बांस शिल्प के हुनर से जोड़े रखा गया। यहां बनाए जाने वाले शिल्प और सूपा, टोकनी आदि को स्थानीय बाजार में बेचकर कमार महिलाओं ने अच्छा लाभ कमाया। कुपोषण से लड़ाई के लिए जीविकोपार्जन के समन्वय ने एक ओर कमार बच्चों को गंभीर कुपोषण की स्थिति से बाहर किया, तो दूसरी ओर कमारों की आर्थिक स्थिति भी सुधरी। अपने इलाके से बाहर के बाजारों में कमार बांस शिल्प और बांस उत्पादों की वास्तविक कीमत का भी उन्हें ज्ञान हुआ और अब अपनी उत्पादों का सही दाम उन्हें मिलने लगा है।