
विगत विधानसभा व लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के 5 साल मुखिया रहे भूपेश व उनके कद्दावर नेता मो. अकबर की करारी हार के बाद से बदली राजनैतिक फिजा व अकबर की जिले से बना ली गई दूरी के चलते जिले के कांग्रेसी रायपुर और भिलाई के चक्कर काटने मजबूर है । भूपेश लोकसभा चुनाव के बाद से लोहारिडीह कांड तक जिले के हर छोटे बड़े धरना प्रदर्शन में अपनी उपस्थिति लगातार देते रहे डिप्टी सीएम विजय शर्मा को घेरने और उनके पुतले जलाने में कोई कोर कसर नही छोड़ी किंतु लोहारिडीह कांड के बाद कका के दामाद बाबू को जिले में कलेक्टरी मिलने के बाद से कका भी अकबर की तरह लापता है ।
आज छोटे मोटे कार्यो व शिकवा शिकायतो के लिए कांग्रेसियों को राजधानी व इस्पातधानी के नेताओ के चौखट पर दस्तक देनी पड़ती है। दबंग नेताओ के होते हुए भी नेताओ के अप डाउन की संस्कृति के चलते कांग्रेस फिर दोराहे पर खड़ी है। हिंदुत्व व भगवा की बयार में बह चुकी अपने अस्तित्व की जंग लड़ रही कांग्रेस के लिए शुभ संकेत नही है। मतलब परस्त नेता सत्ता परिवर्तन के बाद विपक्ष वाली सक्रिय राजनीति से दूरी बनाते अपनी दुकानदारी में मस्त है । बैनर पोष्टर वीर नेता लापता । मतलब परस्त नेताओ से हासिये में गई कांग्रेस आपसी खींचतान व निपटो निपटाव की राजनीती के चलते खोखली होती जा रही है।
जिला जनपद और नगरीय निकायों के चुनाव में दोनो पार्टीयां अपनी कमर कस चुकी है । सत्ता पक्ष के लिए चुनाव उनकी अस्मिता का सवाल है तो विपक्ष के लिए सत्ता पक्ष को पटखनी देने का एक मौका । कवर्धा नगरपालिका के दंगल में भाजपा ने चंद्रप्रकाश चंद्रवंशी पर अपना दांव आजमाया है तो कांग्रेस ने महल के करीबी भक्कू यादव को सत्ता के सामने बली का बकरा बना कर खड़ा किया है । हांलाकि चंद्र प्रकाश और भक्कू यादव के बीच मुकाबला रोचक होने वाला है । घपले घोटालों व एक ठेकेदार पर मेहरबान रही नगरपालिका के 3 बार से पार्षद रहे उमंग पांडे को टिकट के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा वही भाजपा से कांग्रेस और कांग्रेस से भाजपा में आने जाने वाले सुनील साहू टिकट कब्जाने में कामयाब रहे । दूसरी ओर भाजपा ने मुस्लिम जमात के अपने पूर्व पार्षद रहे हामिद सिद्दकी ,निजाम को दौड़ से बाहर कर मुस्लिम समाज से किसी को टिकट ना दे हिंदुत्व को लेकर कड़ा रुख अपनाया है । कांग्रेस ने कांग्रेस से निष्कासन व वापसी का खेल खेल रहे चुनवा खान पर फिर दांव आजमाया है तो नगर पालिका के उपाध्यक्ष रहे जमील खान को भाजपा से यारी महंगी पड़ी कांग्रेस से टिकट की दौड़ से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया । हांलाकि कवर्धा में कांग्रेस के चुनाव की कमान सम्हाल रहे अशोक सिंग को लेकर कांग्रेसियों में नाराजगी है कई स्थापित नेता अशोक सिंग के नेतृत्व को पचा नही पा रहे बाहरी बताते विरोध भी करते है किंतु अशोक सिंग की दबंग छवि के आगे बेबस नज़र आते है । बहरहाल चुनावो को लेकर कोई भविष्यवाणी करना व चुनाव परिणाम को लेकर अभी से कुछ कहना जल्दबाजी होगी ।
चलते चलते एक सवाल :-
सोनपुरी रानी हाई स्कूल के बच्चों से पैसा वसूलने वाले प्राचार्य और व्याख्याता को कौन बचा रहा और बचाने के लिए कितने में हुआ है सौदा ?
और अंत में :-
हमसे इश्क है तो इजहार किजिए ,
हम लक्ष्मण थोडी है जो नाक कान काट देंगे ।
#जय_हो 31 जनवरी 25 कवर्धा (छत्तीसगढ़)