जलीय कृषि करने वाले किसानों के लिए बीमा

नई दिल्ली । मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2026-27 तक चार वर्षों की अवधि के लिए वर्तमान प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के अंतर्गत प्रधान मंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) नामक एक नई केंद्रीय क्षेत्र उप-योजना को कार्यान्वित कर रहा है और इसका अनुमानित परिव्यय 6000 करोड़ रुपए है, जिसमें 3000 करोड़ रुपए सार्वजनिक वित्त और शेष 3000 करोड़ रुपए निजी निवेश से है। उप-योजना के चार घटक हैं जैसे घटक 1-क: मात्स्यिकी क्षेत्र का औपचारिकीकरण और कार्यशील पूंजी वित्तपोषण के लिए भारत सरकार के कार्यक्रमों तक मात्स्यिकी सूक्ष्म उद्यमों की पहुंच को सुविधाजनक बनाना, घटक 1-ख: जलीय कृषि बीमा को अपनाने में सुविधा प्रदान करना, घटक 2: फिशरीज़ सेक्टर वैल्यू चैन एफिशिएंसी में सुधार के लिए सूक्ष्म उद्यमों को सहायता प्रदान करना, घटक 3: मत्स्य और मात्स्यिकी उत्पाद सुरक्षा और गुणवत्ता आश्वासन प्रणालियों को अपनाना और उनका विस्तार करना, और घटक 4: परियोजना प्रबंधन, निगरानी और रिपोर्टिंग।
मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने 11.09.2024 को पीएम-एमकेएसएसवाई के अंतर्गत नेशनल फिशरीज़ डिजिटल प्लेटफॉर्म (एनएफडीपी) लॉन्च किया है। एनएफडीपी का उद्देश्य मात्स्यिकी क्षेत्र में सभी हितधारकों के लिए कार्य-आधारित डिजिटल पहचान और डेटाबेस के निर्माण के माध्यम से भारतीय मात्स्यिकी और जलीय कृषि क्षेत्र को औपचारिक बनाना है। यह संस्थागत ऋण तक पहुंच, मात्स्यिकी सहकारी समितियों को मजबूत करने, जलीय कृषि बीमा को प्रोत्साहित करने, निष्पादन-आधारित प्रोत्साहन, फिशरीज़ ट्रेसबिलिटी सिस्टम और प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए ‘वन-स्टॉप’ सोल्यूशन के रूप में भी कार्य करता है।
पीएम-एमकेएसएसवाई के घटक 1-ख के अंतर्गत किसानों द्वारा जलीय कृषि बीमा खरीदने के लिए एकमुश्त प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है। पीएम-एमकेएसएसवाई के अंतर्गत दो प्रकार के बीमा उत्पाद उपलब्ध हैं: (i) मूल बीमा जो गैर-रोकथाम योग्य खतरों (जोखिमों) के कारण उपज के नुकसान को कवर करता है, जैसे कि गर्मी के कारण होने वाली मौतें, प्रदूषण, भूकंप, चक्रवात, बाढ़, अन्य प्राकृतिक आपदाएँ, दंगे, जहर सहित थर्ड पार्टी के दुर्भावनापूर्ण कार्य, फार्म के स्ट्रक्चरल डैमेज के कारण क्रॉप का नुकसान आदि। (ii) व्यापक बीमा जो मूल बीमा के अंतर्गत खतरों और बीमारियों आदि के कारण होने वाले अतिरिक्त खतरों को कवर करता है। जलकृषि बीमा के लिए एकमुश्त प्रोत्साहन भुगतान किए गए प्रीमियम के 40% की दर से 25,000 रुपए प्रति हेक्टेयर या 4 हेक्टेयर जल विस्तार क्षेत्र (डब्ल्यूएसए) के लिए प्रति किसान 1 लाख रुपए तक की सीमा के साथ प्रदान किया जाता है। गहन प्रणालियों सहित जलकृषि प्रणालियों जैसे कि फार्म, केज कल्चर, आरएएस, बायो-फ्लोक और रेसवे आदि के लिए प्रति किसान को 1800 मी3 के लिए 1 लाख रुपए तक की सीमा के साथ भुगतान किए गए प्रीमियम पर 40% की दर से जलकृषि बीमा प्रदान किया जाता है इसके अलावा, अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति और महिला लाभार्थियों को अतिरिक्त 10% प्रोत्साहन मिलता है।
एनएफडीपी के तहत एक्वाकल्चर मॉड्यूल विकसित किया गया है और इसे लाइव किया गया है। लाभार्थी एनएफडीपी पोर्टल पर लॉग इन कर सकते हैं और लाभ उठा सकते हैं । आज तक, 710 हेक्टेयर फार्म्स को कवर करने वाले 262 प्रमुख आवेदन लाभार्थियों द्वारा प्रस्तुत किए गए हैं और उन्हें पोर्टल पर बीमा कंपनियों को भेज दिया गया है।
यह जानकारी मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री, श्री जॉर्ज कुरियन ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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