झाड़ीखैरी क्षेत्र के 900 से अधिक किसानों ने जैविक खेती कर पूरे जिले को दी नई दिशा

सुदूर वनांचल ग्राम झाड़ीखैरी में जिला स्तरीय जैविक किसान मेला का हुआ आयोजन
– जैविक खेती से बढ़ती है भूमि की उर्वरता – जिला पंचायत अध्यक्ष
– जैविक खेती की ओर जाना बहुत जरूरी – कलेक्टर
– जल संरक्षण के लिए बारिश के पानी को गांव का पानी गांव में और खेत का पानी खेत में रोकना होगा
– हरियाली बहिनी जल यात्रा निकालकर ग्रामीणों को जल संरक्षण एवं फसल विविधीकरण के संबंध में किया जागरूक
राजनांदगांव 29 मार्च 2025। केन्द्र प्रवर्तित परम्परागत कृषि विकास योजना अंतर्गत आज जिला स्तरीय जैविक किसान मेला का आयोजन जिले के जैविक खेती के लिए चयनित छुरिया विकासखंड के सुदूर वनांचल ग्राम झाड़ीखैरी में किया गया। कार्यक्रम में अध्यक्ष जिला पंचायत श्रीमती किरण वैष्णव, कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल, सीईओ जिला पंचायत सुश्री सुरूचि सिंह, प्रशिक्षु आईपीएस श्री इशु अग्रवाल, श्री कोमल सिंह राजपूत शामिल हुए। इस अवसर पर कृषि विभाग द्वारा किसानों को बैटरी स्प्रेयर, मत्स्य विभाग द्वारा आईस बाक्स और जाल का वितरण किया गया। कार्यक्रम में कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन, सहकारिता, कृषि विज्ञान केन्द्र, जिला अग्रणी बैंक, राजस्व विभाग द्वारा विभागीय योजनाओं के संबंध में स्टॉल लगाया गया था। हरियाली बहनियों द्वारा ग्राम में जल यात्रा निकालकर ग्रामीणों को जल संरक्षण एवं संवर्धन और फसल विविधीकरण के लिए जागरूक किया गया।
अध्यक्ष जिला पंचायत श्रीमती किरण वैष्णव ने कहा कि जैविक खेती की ओर बढऩा है और रासायनिक खाद से बचना होगा। उन्होंने कहा कि पहले जैविक खेती ही की जाती थी जिससे स्वास्थ्य बहुत अच्छा रहता था। आज फसलों में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करने से कई प्रकार की बीमारियों और भूमि की उपजाऊ क्षमता की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इससे बचने के लिए जैविक खेती की ओर जाना बहुत जरूरी है। जैविक खेती से भूमि की उपजाऊ क्षमता भी बढ़ती है और सेहतमंद होती है। उन्होंने कहा कि जिले में पानी की समस्या है। इसके लिए जल संरक्षण करने के लिए सभी से आग्रह किया। उन्होंने सभी किसानों को धान की जगह अन्य कम पानी उपयोग वाली फसल लेने कहा।
कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल ने कहा कि खेती को नई दिशा देनी होगी। जैविक खेती की ओर जाना बहुत जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि रासायनिक खाद का उपयोग करने से कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसके लिए जैविक खेती की ओर बढऩा होगा। रासायनिक खाद का उपयोग करने से लोगों को कैंसर एवं अन्य बड़ी-बड़ी बीमारी होती जा रही है। पहले किसान जैविक खेती करते थे। घर के अपशिष्ट पदार्थों से खाद एवं कीटनाशक बनाकर खेती के लिए उपयोग किया करते थे। उन्होंने कहा कि प्रकृति की ओर जाना चाहिए और हमें जैविक खेती की ओर वापस जाना है। झाड़ीखैरी क्षेत्र में 1000 हेक्टेयर में 900 से अधिक किसान जैविक खेती कर रहे है। ये किसान पूरे जिले को नई दिशा दे रहे हैं इसके लिए उन्होंने किसानों को बधाई और शुभकामनाएं दी। इस अभियान को निरंतर रखने कहा। उन्होंने बताया कि जैविक खेती के लिए केन्द्र और राज्य शासन द्वारा प्रति हेक्टेयर 5 हजार रूपए का अनुदान दिया जा रहा।
कलेक्टर श्री अग्रवाल ने कहा कि जिले में पानी की गंभीर समस्या आ रही है। जिले के कई हैण्डपंप सूख गए हैं। उन्होंने कहा कि जिले में भूमिगत जल स्तर नीचे जा रहा है यह बहुत कठिन समय है। ऐसा ही चलता रहा तो पानी के कारण बहुत बड़ी विपत्ति आ सकती है। इसके लिए सभी को जल संरक्षण के प्रति जागरूक रहना होगा। यह कार्य सभी के सहयोग से संभव हो सकता है। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण कर आने वाली पीढ़ी के लिए पानी बचाना होगा। उन्होंने कहा कि जल संकट का समय नहीं आया है लेकिन आने वाले समय में इससे निपटने के लिए सभी को सतर्क रहना बहुत जरूरी है। कलेक्टर ने कहा कि पानी की समस्या को सभी को समझना होगा और पानी का सदुपयोग करना है। किसानों को कम पानी उपयोग वाली फसलों को लगाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि किसान मेहनतकश होते हैं। किसानों को अपने-अपने खेतों की मिट्टी परीक्षण कराने की सलाह दी, जिसके अनुरूप धान के अलावा अन्य फसल लें और अच्छा उत्पादन हो सके। उन्होंने बताया कि धान की खेती के लिए लगातार 24 घंटे पंप चलते है। जिससे भूमिगत जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। जिसके कारण जल संकट आने की संभावना बनी हुई है। उन्होंने बताया कि एक परिवार जितना पानी एक वर्ष में उपयोग करता उसका 100 गुना एक हेक्टेयर धान की खेती में किसान पानी का उपयोग करते है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए पानी बचाया था उसी तरह अभियान चलाकर सभी के सहयोग से वर्तमान और आने वाली पीढी के लिए जल संरक्षण करना बहुत जरूरी है। बारिश का पानी नदी-नालो से बहकर समुद्र में चला जाता है। जिसे रोकना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के लिए बारिश के पानी को गांव का पानी गांव में और खेत का पानी खेत में रोकना जरूरी है। जिससे भूमिगत जल स्तर को बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ वृक्षारोपण भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने कहा कि बरगद, पीपल, नीम, कहुआ जैसे बड़े पेड़ों के आस-पास 40 से 50 हजार लीटर पानी रोकने की क्षमता होती है और भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन भी देता है। इसके लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि इसके लिए अभी से तैयारी कर लें।
मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सुश्री सुरूचि सिंह ने कहा कि जैविक खेती को अपनाना है और कम पानी उपयोग वाली फसलों को लेना है। उन्होंने ग्रामीणों से कहा कि घर से निकलने वाले गीला कचरा का उचित प्रबंधन करें और उसका जैविक खाद बनाए। स्वच्छता दीदीयों को जैविक खाद निर्माण के संबंध में जानकारी दी गई है। उन्होंने कहा कि ग्रीष्म ऋतु में छुरिया विकासखंड में बहुत अच्छा उदाहरण देते हुए फसल विविधिकरण को बढ़ावा दिया है। इस क्षेत्र में धान की जगह दूसरी फसलों को लेकर जनमानस को अच्छा संदेश दिया गया है। उन्होंने कहा कि खरीफ सीजन में भी धान की जगह अन्य फसलों का उत्पादन करेंगे तो अच्छा मुनाफा होगा। उन्होंने कहा कि जिले में जल संकट की स्थिति निर्मित हो रही है। इससे बचने के लिए हम सभी को जल संवर्धन की दिशा में कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि जिले में जल बहनियों द्वारा जल यात्रा निकालकर गांव-गांव में जल संरक्षण के संबंध में जानकारी दी जा रही है। आज ग्राम झाड़ीखैरी में जल बहनियों ने जल यात्रा निकालकर ग्रामीणों को जल संरक्षण के संबंध में जागरूक किया जा रहा है।
समाजसेवी श्री कोमल सिंह राजपूत ने कहा कि प्रकृति से छेड़छाड़ न करें और पूर्वजों के सीखाएं हुए आदर्शों का अनुसरण करेंगे तो निश्चित रूप से हमारा जीवन खुशहाल होगा।  प्रकृति, किसानी और पानी को बचाना होगा। उन्होंने कहा कि सभी लोगों को पानी का चिंता करना होगा तभी हमारी प्रकृति बचेगी। कार्यक्रम में उपस्थित प्रदेश उपाध्यक्ष अनुसूचित जनजाति श्री एमडी ठाकुर, अध्यक्ष जनपद पंचायत छुरिया श्री संजय सिन्हा, नगर पंचायत अध्यक्ष श्री अजय पटेल, उपाध्यक्ष जनपद पंचायत छुरिया श्री प्रशांत ठाकुर, पद्मश्री श्रीमती फूलबासन यादव ने भी अपना उद्बोधन दिया। सभी ने जैविक खेती और कम पानी उपयोग वाली फसलों को अधिक से अधिक लेने लिए किसानों को प्रेरित किया। प्रगतिशील किसान श्री ऐनेश्वर वर्मा ने भी अपने विचार व्यक्ति करते हुए किसानों को जैविक खेती और फसल विविधीकरण कर जल संरक्षण के संबंध में जानकारी दी।
कार्यक्रम में उप संचालक कृषि श्री नागेश्वर लाल पाण्डेय ने प्रशासकीय प्रतिवेदन की जानकारी देते हुए परम्परागत कृषि और जैविक खेती के संबंध में विस्तार से बताया। इस दौरान कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन, सहकारिता के अधिकारियों ने किसानों को खेती-किसानी के तकनीकी विषयों पर विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर कृषि विकास अधिकारी श्रीमती सुषमा शुक्ला द्वारा कार्यक्रम का सफल संचालन किया गया। इस अवसर पर उपाध्यक्ष जिला पंचायत श्रीमती किरण साहू, जिला पंचायत सदस्य श्रीमती अनिता मंडावी, जनपद सदस्य श्रीमती सुनिता सेवता, जनपद सदस्य श्रीमती हेमीन साहू, श्रीमती गोदावरी निषाद, जनपद सदस्य डोंगरगांव श्रीमती कांति चंद्रवंशी, सरपंच श्री तिलक राम मंडावी सहित जनप्रतिनिधिगण, कृषि विभाग के अधिकारी-कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित थे।

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