
शारदे आराधना से, नित-नित साधना से,
लयबद्ध गीत गाऊँ,
सुहावना स्वर दे।
‘सुषमा’ सुंदर नाम, करूँ मैं निष्काम काम,
सर्जना मैं नित करूँ,
देवी मुझे वर दे।
साहित्य सम्मान मिले, छंद-छंद ज्ञान मिले,
तूलिका समृद्ध बने,
मैया पूर्ण कर दे।
समय है अनमोल, बात बोलूँ तोल-मोल,
घमंड का घड़ा सभी,
कोने में तू धर दे।
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…कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल (रायगढ़/रायपुर)