चुनाव की घोषणा क्या हुई बुकी खिल उठे, यानि सत्ता के लिये संघर्ष में चालू हो गया सट्टा।
देखो आया चुनाव, नेता की आंखों में प्रेम का भाव, प्रत्याशी साथ लेकर निकले मोहल्ले का लश्करे लाव। इस लश्कर मे मतदाताओ के साथ सटोरिये भी होते हैं जो अपना धंधा करते हैं। आंकलन करते हैं और फिर अपने नेटवर्क के माध्यम से कमाई का जुगाड़ करते हैं।
बेहद आनंददायक होते हैं चुनाव। रोमांच से भरपूर। जानकार लोग एक अलग ही मजा लेते हैं। कभी उपर कभी नीचे, प्रत्याशियों कभी मजबूत तो कभी डांवाडोल स्थिति। बेहद दिलचस्प, मजेदार।
ऐसे में चुनाव की घोषणा के साथ-साथ एकाएक सारे सियासी दल सक्रिय हो उठे। सभी ने प्रेस वार्ताएं लीं। शायद सबसे पहले राहुल गांधी ने ली।
राहुल ने प्रेस वार्ता ली और मजाक बन गया।
राहुल बोले
उनकी ‘खुदकी’ सरकार जा रही है
दरअसल उन्होने प्रेस वार्ता में ये कह दिया कि राजस्थान में उनकी सरकार जा रही है, छत्तीसगढ़ में उनकी सरकार जा रही है। फिर कहा तेलंघाना में उनकी सरकार जा रही है। यानि अपनी ही सरकार के जाने की भविष्यवाणी करते नजर आएं। फिर चैंके और बोले ‘साॅरी, उल्टा बोल दिया’।
इस गलती के लोगों ने बड़े मजे लिये। सोशल मीडिया में जमकर चल रहा है।
बोलने वाले बोलते हैं कि भाजपा का पं्रचार शुरू। सबसे पहले भाजपा के स्टार प्रचारक राहुल की प्रेसवार्ता….. संपन्न।
ऐसे ही कुछ दिन पहले प्रियंका गांधी ने एक सभा में कह दिया था कि ‘इंदिरा गांधी एक महापुरूष थीं’। महान लेडी को महान पुरूष कह दिया था। ये मानवीय भूलें हैं लेकिन राहुल और प्रियंका से अधिकतर हो जाती हैं।
‘आप’ ने कर दी हैं कई आपराधिक भूलें
इंसाफ के तराजू ने हिला दीं उनकी चूलें
एक बार संसद मे नेता प्रतिपक्ष कांग्रेसी सांसद अधीर रंजन चैधरी ने दहाड़-दहाड़ कर कहा कि ‘अरे ऐसे आरोप लगाते हो। है दम तो सोनिया जी को गिरफ्तार करके दिखाओ, है दम तो राहुलजी को गिरफ्तार करके दिखाओ’।
उसी समय मन में आया कि सोनिया जी जरूर सोच रही होंगी कि ‘अरे नासपीटे ऐसा मत बोल। इन लोगों को मत उकसा, उचक गये तो मौका भी नहीं देेंगे। कर लेंगे गिरफ्तार। उसके बाद सोनिया और राहुल पर चल रहा पांच हजार करोड़ की गड़बड़ी का मामला तेज हो गया।
अपने ‘आप’ के संजय सिंह ने घर के आगे झाड़ियों में बैनर लगा के रखा था कि ‘फक्कड़ हाउस में ईडी का स्वागत है’। ईडी वाले अभिभूत हो गये। पहुंच गये। स्वागत देखकर द्रवित हो गये। स्वागत का बदला स्वागत। जो दोगे वही पाओगे। लिहाजा पकड़ा हाथ, ले गये साथ।
संजयसिंह दहाड़ा करते थे ‘मुझे पकड़ो न, क्या छोटे लोगों पर कार्यवाही करते हो, मुझ पर करो न। लो भैया पकड़ लिया, कर दी कार्यवाही। अब काहे की शिकायत ?
अब जमानत के लिये अर्जी पर अर्जी लगा रहे हैं।
दिलचस्प यह है कि आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार के लिये पंजाब में कांग्रेसी विधायक को ‘धरती’ है और दिल्ली में कांग्रेस संजयसिंह पर कार्यवाही की निंदा करे, ऐसी उम्मीद करती है।
कितने आदमी हैं
एक को नहीं मिली, दूसरे को नहीं मिली, अब तीसरे को नहीं मिली….
गब्बरसिंग होता तो कहता…
बेईमानी के तीनों आरोपियों को जमानत नहीं मिली। तीनों आरोपियों को जमानत नहीं मिली। हा… हा…. हा…. हा…. ये तीन ‘……… ’
बहुत बेइंसाफी है, बहुत बेईसाफी है ये। तीनों ‘…… ’ को जमानत नहीं मिली।
और अब मिलेगी भी नहीं।
क्योंकि केस तो अब चलने वाला है और सजा तो अब होने वाली है।
जो काला-पीला किया है उसका हिसाब देना होगा न। कब तक आम और साधारण आदमी का ढोंग करते रहोगे। लोग न तो आंख से अंधे हैं, न अकल से पैदल…. कि उन्हे पचपन करोड़ का केजरीवाल का बंगला न दिखे। न ही कोर्ट इतनी नासमझ है कि एक निर्दोष को अंदर रखने पर उतारू हो जाए।
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जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
मोबा. 9522170700
‘बिना छेड़छाड़ के लेख का प्रकाशन किया जा सकता है’
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