
*जब तक गलत कार्य अबाँटन सभी वन कर्मियों का आदेश निरस्त नहीं किया जाता जारी रहेंगा आंदोलन.*
कवर्धा :- 10/04/25.काष्ठागार कवर्धा में हुए वन विभाग के कर्मचारियों के बैठक में जिले भर से आए कर्मचारियों ने विभाग में अधिकारियों के तानाशाही रवैया से नाराजगी व्यक्त किए।
वन कर्मचारी संघ के चार पदाधिकारियों का चुनकर, जानबूझकर, कर्मचारियों की आवाज को दबाने के उद्देश्य से नियम विरुद्ध कार्य आबंटन किया गया है। उक्त कार्य आबंटन अग्नि सीजन में, विधानसभा सत्र चलने के दौरान, स्थानांतरण प्रतिबंधित अवधि में किया गया है। जिले भर के कर्मचारियो ने उक्त आदेश के लिए नाराजगी प्रगट किया है। कर्मचारियों ने उक्त आदेश को निरस्त करने वन मंडलाधिकारी कवर्धा से मिलकर निवेदन किया जिसका कोई परिणाम नहीं आने से मुख्य वन संरक्षक दुर्ग से निवेदन किया है। संभागीय पदाधिकारियों ने नियमों का हवाला देते सीसीएफ दुर्ग के उक्त आदेश को नियम विरुद्ध आदेश बताकर नियम की कॉपियां भी सौंपी है और उसे निरस्त करने का अनुरोध किया है।
निवेदन से बात नहीं बनने पर कर्मचारी संघ ने आंदोलन की राह चुनी है। छ. ग. वन कर्मचारी संघ जिला कबीरधाम के समस्त वन कर्मचारी दिनांक 09/04/2025 से अनिश्चित कालीन हड़ताल पर हैं। हड़ताल में जिले के समस्त वन कर्मी पदाधिकारी , सभी तहसील अध्यक्ष और सभी रेंज अध्यक्ष सहित जिले भर के कर्मचारी गण धरना स्थल मौजूद रहे।
जिले में पहले से वनरक्षकों की कमी फिर नियम विरुद्ध अन्य जिला में कार्य अबाटन से कर्मचारियों में नाराजगी
ज्ञातव्य हो कि कवर्धा जिले में पहले से कर्मचारियों की टोटा है, साल 2023-24 में होने वाली वनरक्षकों की भर्ती अभी भी लटकी हुई है। कई बीटगार्ड डबल बीट के प्रभार में है, फिर भी अधिकारियों को मनमानी सूझ रही है।
जिलाध्यक्ष वन कर्मचारी संघ परसराम चंद्राकर ने बताया कि उक्त कार्य आबंटन आदेश नियम विरुद्ध है। सामान्य प्रशासन विभाग और शासन के गाईड लाईन के ठीक उलट आदेश जारी किया गया है । बताया कि इस आदेश से कर्मचारियों में आक्रोश है और यह कर्मचारियों का दमन करने की नियत से किया गया आदेश प्रतीत होता है। उन्होंने आगे कहा कि वन कर्मचारी संघ के समस्त सदस्य अपने कर्तव्य के प्रति सजग हैं अधिकारियों के समस्त निर्देशों का पालन किया जाता है। किंतु नियम विरुद्ध आदेश को किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
अग्नि घटनाओं में होगी बढ़ोत्तरी
16 फ़रवरी से 15 जून तक फायर सीजन में जंगल में आगजनी की घटना होती है। मैदानी कर्मचारी आग बुझाने का काम करते हैं। कर्मचारियों के हड़ताल में चले जाने से जंगल में अग्नि दुर्घटना बढ़ेगा। फायर कंट्रोल नहीं होने से जंगल को काफी नुकसान हो सकता है। तेंदूपत्ता खरीदी पर भी हड़ताल का असर दिखेगा।
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जिले में वन कर्मचारियों को रेंजर स्तर के कर्मचारी परेशान करते हैं। समस्याओं से अवगत कराने पर उच्चाधिकारियों से आश्वासन तो मिलता है किंतु समाधान नहीं होता। उच्चाधिकारी रेंजर के साथ खड़े नज़र आते हैं । बिना हथियार अपराध नियंत्रण करने वाले, दिन और रात में आग बुझाने वाले, संवेदनशील जंगल में अकेले गस्त करने वाले मैदानी कर्मचारी आज पीड़ित दिख रहे हैं। ऐसे में कर्मचारियों की पीड़ा और समस्या को रखने वाले संघ पदाधिकारियों को ही निशाना बनाया जा रहा है। वह भी नियम विरुद्ध। मनमानी, तानाशाही और दमनकारी रवैया कर्मचारी नहीं सहेंगे। अपनी बात रखने का आंदोलन ही एकमात्र रास्ता बचा है।
कर्मचारियों के आंदोलन में जाने के सुचना के बाद तीन कर्मचारियों की आनन फ़ानन में कार्य अबाटन को निरस्त किया गया हैं.
जब की अधिकारीयों के तानाशाही के कारण एक वन कर्मी के गलत कार्य अबाटन को अभी भी निरस्त नहीं किया गया हैं, वन कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों ने बताया की जब तक सभी कर्मचारियों के गलत अन्य जिले में किये गए कार्य अबाटन को निरस्त नहीं किया जाता जारी रहेंगा आंदोलन.
– गणेश सिंह ठाकुर
जिला संरक्षक वन कर्मचारी संघ कबीरधाम