
“लोग जिस्मों पे उतर आए हैं अब चलता बन ,
तू बहुत देर से पहुंचा है खिलौने वाले ।”
“ये क्या हाल बना रखा है , आखिर कुछ करते क्यों नही” कभी टीवी पर आने वाला यह विज्ञापन आज मां दुर्गा के आराधना के पर्व नवरात्रि पर दुर्ग में कन्या भोजन हेतु निकली 6 वर्षीय मासूम बालिका के साथ हुए अत्याचार , उत्पीड़न , बलात्कार के बाद हत्या अपराध तंत्र में लगाम कर पाने में बेबस होती सरकारों से अनायास ही याद आ गया । दुर्ग सहित देश के विभिन्न हिस्सों में बदहाल होती कानून व्यवस्था , बच्चियों व महिलाओं पर होते अत्याचार, महिलाओं की लुटती आबरू ने सोचने पर विवश कर दिया कि आखिर इनकी पीड़ा के लिए क्या एक दिन मोमबत्ती जला , काला फीता बांध, मौन जुलूस निकाल सोशल मीडिया में फ़ोटो अपलोड कर कर्तव्य से इतिश्री पा लाइक्स बटोरना भर रह गया है ?
हमारी बेटियां रोज उत्पीडित हो रही हैं स्कूल कालेज की राह पर सरेराह मनचलों द्वारा छेड़ी जाती है । बस ट्रेन में जानबूझ कर बैड टच सबको दिखता है पर हमारी संवेदनाओं को पाला मार गया है । देश का दुर्भाग्य कहे या विडम्बना कि देश की घटिया होती राजनीती और कार्पोरेट घराने के कब्जे में जाते मीडिया हाउस व टीआरपी की बीमारी के चलते बुद्धू बक्से के बुद्धिजीवियो की चुप्पी इन मुद्दों पर छाई रहती है मानो मीडिया व खद्दरधारीयों के मुंह पर फेवीक्विक की दो बूंद टपका दी गई हो।
आज आक्रोश तो इतना है कि आज सिर्फ “तमाम सबूतों और गवाहों के आधार पर आरोपीयों और चुप्पी साधे तमाश बिनों को सरेराह सजाए मौत दी जाती है लिखूं।
और अंत मे :-
हवस में तो औरत के पैर तक चाट जाता है,
हर मर्द कुत्ता तो नही होता मगर ये भी कभी काट लेता है ।
#जय_हो 07 अप्रैल 2025 कवर्धा(छत्तीसगढ़)