अगले तीन वर्षों में भारत का जैविक निर्यात 20,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा: पीयूष गोयल
नई दिल्ली । भारत में जैविक खेती का कुल निर्यात मूल्य अगले तीन वर्षों में 20,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की क्षमता रखता है। यह बात केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज नई दिल्ली में पूसा स्थित भारत रत्न सी. सुब्रमण्यम ऑडिटोरियम (एनएएससी कॉम्प्लेक्स) में राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (एनपीओपी) के 8वें संस्करण के शुभारंभ के अवसर पर अपने संबोधन में कही।
पीयूष गोयल ने वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद, सहकारिता राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल, सहकारिता राज्य मंत्री श्री कृष्ण पाल गुर्जर, सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ एक समर्पित एनपीओपी पोर्टल के साथ-साथ जैविक संवर्धन पोर्टल का भी अनावरण किया, जो जैविक हितधारकों के लिए अधिक दृश्यता और परिचालन में आसानी प्रदान करेगा।
उन्होंने ट्रेसनेट 2.0 का भी अनावरण किया, जो निर्बाध संचालन के लिए उन्नत ऑनलाइन ट्रेसेबिलिटी सिस्टम है और विनियामक निरीक्षण के लिए उन्नत उपकरण हैं। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के हितधारकों के लाभ के लिए उन्नत उपयोगकर्ता अनुभव और जानकारी के साथ पुन: डिज़ाइन किए गए एपीडा पोर्टल का भी प्रदर्शन किया गया। पुन: डिज़ाइन किए गए एग्रीएक्सचेंज पोर्टल को भी लॉन्च किया गया, यह अधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल डेटा विश्लेषण और कृषि निर्यात की रिपोर्ट और डेटा तैयार करने में सक्षम होगा, जिससे इसे आम जनता के लिए सुलभ बनाया जा सकेगा।
कार्यक्रम के दौरान, मंत्री ने ऑर्गेनिक ऑपरेटरों को ट्रेसनेट 2.0 पर तैयार पहले पांच पंजीकरण प्रमाणपत्र भी वितरित किए। गोयल ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने संसद में अपने पहले भाषण में जैविक खेती के महत्व को रेखांकित किया था। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री ने 78वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में दुनिया भर में जैविक खेती के बढ़ते महत्व और व्यक्तिगत स्वास्थ्य तथा मिट्टी के पोषक तत्वों की बहाली पर इसके दूरगामी लाभों का उल्लेख किया था।
मंत्री ने यह भी कहा कि केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने इलेक्ट्रॉनिक सेवा पोर्टल ट्रेसनेट 2.0 के लिए आवेदन लागत को सरल बनाने और कम करने में बहुत बड़ा योगदान दिया है। श्री गोयल ने आगे कहा कि श्री शाह ने देश में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और सहकारी समितियों के माध्यम से जैविक किसानों के बढ़ते समुदाय का भी उल्लेख किया।
मंत्री ने कहा कि टिकाऊ कृषि पद्धति के रूप में जैविक खेती से पानी की कमी और उर्वरकों तथा कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से निपटने में मदद मिलेगी, जिससे देश में मिट्टी की गुणवत्ता और फसल की पैदावार को नुकसान पहुँच रहा है। खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में किसानों के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए श्री गोयल ने कहा कि जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से महत्वपूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं।
जैविक खेती देश के लिए प्राथमिकता बन गई है और इसे दुनिया भर में खेती का एक मूल्यवान तरीका माना जाएगा। उन्होंने कहा कि जैविक खेती अपनाने वाले किसानों की पैदावार और आय में वृद्धि देखी गई है। मंत्री ने कहा कि जैविक खेती भारतीय कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में जैविक उत्पादों के निर्यात में वृद्धि से सरकार को लाभ होगा।
मंत्री ने यह भी कहा कि किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने के लिए जैविक उत्पादों की पैकेजिंग और विपणन पर जोर देने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी बताया कि यह मूल्य श्रृंखला रोजगार सृजन में भी मदद करेगी और देश दुनिया भर में लोकप्रियता हासिल करेगा। श्री गोयल ने जैविक क्षेत्र के विकास में योगदान देने के लिए अमूल, भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) और राष्ट्रीय सहकारी जैविक लिमिटेड (एनसीओएल) के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने यह भी कहा कि सहकारी क्षेत्र, कृषि क्षेत्र और व्यापार क्षेत्र भविष्य में जैविक क्षेत्र को विकसित करने में सहायता करेंगे।
बाजार विस्तार और उत्पादों के गुणवत्ता मानकों को बढ़ाने पर ध्यान देने की आवश्यकता है। किसानों के लिए क्षमता निर्माण और अधिक उपज के लिए आधुनिक तकनीकों के उपयोग पर शोध भी आवश्यक है। मंत्री गोयल ने कहा कि अधिक उपज से उत्पादों की उपलब्धता बढ़ेगी, जिससे उपभोक्ताओं के खरीद निर्णय में मदद मिलेगी।
राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (एनपीओपी) के 8वें संस्करण में किसानों सहित हितधारकों के लिए परिचालन को आसान बनाने और पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रमुख संशोधन पेश किए गए हैं। जैविक उत्पादक समूहों के लिए प्रमाणन आवश्यकताओं को सरल बनाया गया है, और इन समूहों को अब आंतरिक नियंत्रण प्रणाली (आईसीएस) के स्थान पर कानूनी दर्जा दिया गया है। संशोधित छूट प्रावधानों के तहत जैविक खेती में भूमि परिवर्तन की अवधि को तीन साल तक कम करने की संभावना है, जो शर्तों और सुरक्षा उपायों पर निर्भर करती है। जैविक उत्पादक समूहों के आईसीएस को संपूर्ण जैविक उपज की खरीद सुनिश्चित करनी चाहिए या किसानों को सहायता करने के लिए बाजार संपर्क स्थापित करना चाहिए। सार्वजनिक डोमेन में जैविक किसानों और अन्य प्रासंगिक विवरणों के बारे में जानकारी के प्रकटीकरण के माध्यम से पारदर्शिता बढ़ाई गई है, जिससे सिस्टम की विश्वसनीयता बढ़ी है। इसके अतिरिक्त, निगरानी, सर्विलांस और डेटा एनालिटिक्स के लिए आईटी टूल्स और वेब-आधारित ट्रेसिबिलिटी सिस्टम, ट्रेसनेट के एकीकरण के साथ निरीक्षण तंत्र को मजबूत किया गया है।
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